हागार ने उस प्रभु का नाम, जो उससे बोला था, ‘अत्ता-एल-रोई’ रखा, क्योंकि वह कहती थी, ‘क्या मैंने सचमुच परमेश्वर को देखा और उसे देखने के पश्चात् भी जीवित रही?’
उत्पत्ति 32:31 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जब याकूब ने पनीएल से प्रस्थान किया तब वह अपनी जांघ के कारण लंगड़ा रहा था और सूर्य उस पर चमकने लगा था। पवित्र बाइबल जैसे ही वह पनीएल से गुजरा, सूरज निकल आया। याकूब अपने पैरों के कारण लंगड़ाकर चल रहा था। Hindi Holy Bible पनूएल के पास से चलते चलते सूर्य उदय हो गया, और वह जांघ से लंगड़ाता था। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) पनीएल के पास से चलते–चलते सूर्य उदय हो गया, और वह जाँघ से लंगड़ाता था। नवीन हिंदी बाइबल जब उसने पनीएल को पार किया तो सूर्य उदय हो गया था, और वह जाँघ के जोड़ के कारण लंगड़ा रहा था। सरल हिन्दी बाइबल जब याकोब पनीएल से निकले तब सूरज उसके ऊपर उग आया था. वह अपनी जांघ के कारण लंगड़ा रहे थे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 पनीएल के पास से चलते-चलते सूर्य उदय हो गया, और वह जाँघ से लँगड़ाता था। |
हागार ने उस प्रभु का नाम, जो उससे बोला था, ‘अत्ता-एल-रोई’ रखा, क्योंकि वह कहती थी, ‘क्या मैंने सचमुच परमेश्वर को देखा और उसे देखने के पश्चात् भी जीवित रही?’
जब पौ फटने लगी तब दूतों ने लोट से आग्रह किया कि वह शीघ्रता करे। उन्होंने कहा, ‘उठो, अपनी पत्नी और दोनों पुत्रियों को जो यहाँ हैं, लेकर चले जाओ। अन्यथा तुम भी इस नगर के कुकर्म-दण्ड में भस्म हो जाओगे।’
जब उस मनुष्य ने देखा कि वह याकूब को पराजित नहीं कर सकता, तब उसने याकूब की जांघ के जोड़ को स्पर्श किया। अत: उससे लड़ते-लड़ते याकूब की जांघ का जोड़ उखड़ गया।
इस्राएली जाति के लोग आज तक पशु के कूल्हे की नस को, जो जांघ के जोड़ों पर होती है, नहीं खाते; क्योंकि उस मनुष्य ने याकूब की जांघ में कूल्हे की नस को स्पर्श किया था।
यारोबआम ने एफ्रइम पहाड़ी पर शकेम नगर को पुन: निर्मित किया और वहाँ रहने लगा। तत्पश्चात् वह वहाँ से निकला। उसने पनूएल नगर का पुन: निर्माण किया।
लोगों ने बअल देवता के नबियों को बैल दिया। नबियों ने उसको पकड़ा और उसकी बलि तैयार की। वे सबेरे से दोपहर तक बअल देवता के नाम की दुहाई देते रहे। वे यह कह रहे थे, ‘हे बअल देवता, हमें उत्तर दे!’ पर आवाज नहीं हुई। किसी ने उत्तर नहीं दिया। जो वेदी उन्होंने बनाई थी, उसके चारों ओर वे नाचते-कूदते रहे।
उन्होंने इस्राएल के परमेश्वर को देखा। उसके चरणों के नीचे नीलमणि का चबूतरा-जैसा कुछ था, जो आकाश के सदृश स्वच्छ था।
परमेश्वर ने इस्राएली समाज के प्रधानों पर हाथ नहीं उठाया, वरन् उन्होंने परमेश्वर का दर्शन किया, और खाया-पिया।
तब मैंने कहा, ‘हाय! अब मैं जीवित नहीं रह सकता! मैं अशुद्ध ओंठवाला मनुष्य हूं, और अशुद्ध ओंठवाले लोगों के मध्य निवास करता हूं। मैंने साक्षात् स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु, महाराजाधिराज को अपनी आंखों से देखा।’
पर तुम मेरे नाम के प्रति श्रद्धा-भक्ति रखते हो, इसलिए तुम पर धार्मिकता का सूर्य उदय होगा, उसके पंखों में रोग-निवारण की किरणें होंगी, जिनके स्पर्श से तुम स्वस्थ होगे। जैसे पशुशाला से छूटकर बछड़ा आनन्द से कूदता-फांदता है, वैसे ही तुम मुक्त होकर आनन्द से विचरण करोगे।
मुझ पर बहुत-से ईश्वरीय प्रकाशन प्रकट किए गए हैं। मैं इन पर घमण्ड न करूँ, इसलिए मेरे शरीर में एक कांटा चुभा दिया गया है। मुझे शैतान का दूत मिला है, ताकि वह मुझे घूंसे मारता रहे और मैं घमण्ड न करूँ।
किन्तु प्रभु ने कहा-“मेरी कृपा तुम्हारे लिए पर्याप्त है, क्योंकि तुम्हारी दुर्बलता में मेरा सामर्थ्य पूर्ण रूप से प्रकट होता है।” इसलिए मैं बड़ी खुशी से अपनी दुर्बलताओं पर गौरव करूँगा, जिससे मसीह का सामर्थ्य मुझ पर छाया रहे।
तुमने कहा था, “देखिए, हमारे प्रभु परमेश्वर ने हमें अपनी महिमा और महानता के दर्शन कराए हैं। हमने अग्नि के मध्य से उसका स्वर भी सुना है। आज हमने देखा कि परमेश्वर मनुष्य से बोला, और मनुष्य फिर भी जीवित रहा!
समस्त प्राणियों में वह कौन प्राणी है, जिसने अग्नि के मध्य से जीवन्त परमेश्वर का स्वर सुना, उसको वार्तालाप करते हुए सुना, जैसे हमने सुना, और वह फिर भी जीवित रहा?
तब गिद्ओन को अनुभव हुआ कि वह प्रभु का दूत था। गिद्ओन ने कहा, ‘हाय! हे मेरे स्वामी, हे प्रभु! मैंने प्रभु के दूत को साक्षात देखा!’
गिद्ओन वहाँ से पनूएल नगर गया। उसने पनूएल के निवासियों से ये ही बातें कहीं। पर उन्होंने भी उसे वैसा ही उत्तर दिया जैसा सूक्कोत के नेताओं ने उत्तर दिया था।