तब धरती में कंपन हुआ, और वह डोल उठी; पर्वतों की नींव कंपित होकर हिल गई; क्योंकि प्रभु अति क्रुद्ध था।
आमोस 8:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) क्या इस कारण भूमि कंपित न होगी? क्या इस धरती पर रहनेवाले विलाप न करेंगे? यह प्रदेश नील नदी की बाढ़ के समान, उफनेगा, उछलेगा: और मिस्र देश की नील नदी के समान वह फिर शान्त हो जाएगा।’ पवित्र बाइबल उन कामों के कारण पूरा देश काँप जाएगा। इस देश का हर एक निवासी मृतकों के लिये रोयेगा। पूरा देश मिस्र में नील नदी की तरह उमड़ेगा और नीचे गिरेगा। पूरा देश चारों ओर उछाल दिया जायेगा।” Hindi Holy Bible क्या इस कारण भूमि न कांपेगी? और क्या उन पर के सब रहने वाले विलाप न करेंगे? यह देश सब का सब मिस्र की नील नदी के समान होगा, जो बढ़ती है, फिर लहरें मारती, और घट जाती है॥ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्या इस कारण भूमि न काँपेगी? क्या उन पर के सब रहनेवाले विलाप न करेंगे? यह देश सब का सब मिस्र की नील नदी के समान होगा, जो बढ़ती है, फिर लहरें मारती, और घट जाती है।” सरल हिन्दी बाइबल “क्या इस कारण धरती न कांपेंगी, और जो इसमें रहते हैं, वे शोकित न होंगे? समस्त पृथ्वी नील नदी के समान उफनेगी; यह मिस्र देश के नदी समान ऊंची की जाएगी और फिर दबा दी जाएगी.” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्या इस कारण भूमि न काँपेगी? क्या उन पर के सब रहनेवाले विलाप न करेंगे? यह देश सब का सब मिस्र की नील नदी के समान होगा, जो बढ़ती है, फिर लहरें मारती, और घट जाती है।” |
तब धरती में कंपन हुआ, और वह डोल उठी; पर्वतों की नींव कंपित होकर हिल गई; क्योंकि प्रभु अति क्रुद्ध था।
अत: प्रभु का क्रोध अपने लोगों के विरुद्ध भड़क उठा। उसने उन पर हाथ उठाया, और उन पर प्रहार किया। पहाड़ हिल उठे। उनकी लाशें कूड़ा-कचरा-सी सड़कों पर बिछ गईं। इस विनाश के बाद भी उसका क्रोध शान्त नहीं हुआ, और प्रहार के निमित्त उसका हाथ उठा रहा।
कब तक देश विलाप करता रहेगा? कब तक हमारे चरागाह की घास सूखती रहेगी? क्योंकि देशवासियों के दुष्कर्मों के कारण पशु और पक्षी भी नष्ट हो गए हैं: ये दुष्कर्मी कहते हैं, ‘प्रभु हमारा आचरण नहीं देखता है।’
यह मिस्र है, जो नील नदी की तरह उठता है; वह महानदियों की बाढ़ के सदृश ऊंचा उठता है। वह कहता है, “मैं ऊपर उठूंगा और पृथ्वी को ढक लूंगा। मैं नगरों को नष्ट कर दूंगा, और उसके निवासियों का संहार कर दूंगा।”
पृथ्वी कांप रही है, वह पीड़ा से तड़प रही है; क्योंकि प्रभु ने निश्चय किया है कि वह बेबीलोन देश को उजाड़ देगा, वह उसको निर्जन बना देगा।
बासठ सप्ताहों के पश्चात् एक दूसरा ‘अभिषिक्त’ होगा। वह काटा जाएगा, और उसके पास कुछ नहीं रह जाएगा। एक अगुआ आएगा। उस की सेना नगर और पवित्र स्थान को खण्डहर बना देगी। उसका अन्त बाढ़ से होगा, और अन्त तक युद्ध होता रहेगा। विनाश ठहराया जा चुका है।
सामरी राज्य के निवासी बेत-आवेन के बछड़े की मूर्ति के लिए चिंतित हैं; बछड़े के आराधक उसके लिए शोक मना रहे हैं। पुजारी मूर्ति की महिमा के लिए विलाप कर रहे हैं; क्योंकि वह वहाँ से निष्कासित हो गई है।
इस कारण देश मृत्यु-शोक मना रहा है, सब निवासी कष्ट से मुरझा गए हैं; वन-पशु, आकाश के पक्षी; समुद्र की मछलियाँ भी मर गई हैं।
मैं तुम्हारे आनन्द के उत्सव-पर्वों को शोक-दिवसों में परिणत कर दूंगा; मैं तुम्हारे स्तुति गीतों को विलाप गीतों में बदल दूंगा। शोक प्रदर्शित करने के लिए तुम-सबको कमर में टाट के वस्त्र पहनने पड़ेंगे, तुम्हें सिर मुंड़ाना होगा। मैं तुमसे ऐसा शोक कराऊंगा, जैसा इकलौते पुत्र का मृत्यु शोक होता है। वह दिन अन्त तक भयावह होगा।’
स्वर्गिक सेनाओं के स्वामी-प्रभु के स्पर्श से धरती पिघलती है, और उस पर रहनेवाले सब शोक करते हैं। नील नदी की बाढ़ के समान धरती उछलती; और मिस्र देश की नील नदी के समान वह फिर शान्त हो जाती है।
वह जलप्रलय से अपने बैरियों का पूर्ण संहार करता है; वह महाअंधकार में अपने शत्रुओं को खदेड़ देता है।
तब आकाश में मानव-पुत्र का चिह्न दिखाई देगा। पृथ्वी की समस्त जातियाँ छाती पीटेंगी और मानव-पुत्र को सामर्थ्य और अपार महिमा के साथ आकाश के बादलों पर आते हुए देखेंगी।