मैंने यह भी सोचा था कि महाराज के, मेरे स्वामी के वचन से मुझे शान्ति मिलेगी, क्योंकि महाराज भले और बुरे में भेद करने वाले परमेश्वर के दूत के सदृश हैं। प्रभु परमेश्वर आपके साथ हो!’
अय्यूब 32:21 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मैं किसी के प्रति पक्षपात नहीं करूंगा; और न ही किसी की चापलूसी करूंगा। पवित्र बाइबल इस बहस में मैं किसी भी व्यक्ति का पक्ष नहीं लूँगा और मैं किसी का खुशामद नहीं करुँगा। Hindi Holy Bible न मैं किसी आदमी का पक्ष करूंगा, और न मैं किसी मनुष्य को चापलूसी की पदवी दूंगा। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) न मैं किसी आदमी का पक्ष करूँगा, और न मैं किसी मनुष्य की चापलूसी करूँगा। सरल हिन्दी बाइबल मैं अब किसी का पक्ष न लूंगा और न किसी की चापलूसी ही करूंगा; इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 न मैं किसी आदमी का पक्ष करूँगा, और न मैं किसी मनुष्य को चापलूसी की पदवी दूँगा। |
मैंने यह भी सोचा था कि महाराज के, मेरे स्वामी के वचन से मुझे शान्ति मिलेगी, क्योंकि महाराज भले और बुरे में भेद करने वाले परमेश्वर के दूत के सदृश हैं। प्रभु परमेश्वर आपके साथ हो!’
आपके सेवक योआब ने बात छिपाने के लिए इस ढंग से कार्य किया है। परन्तु महाराज में परमेश्वर के दूत की बुद्धि के सदृश बुद्धि है। देश में घटने वाली सब बातों को महाराज जानते हैं।’
हृदय की शान्ति के लिए मुझे बोलना ही पड़ेगा; मुझे अपने ओंठ खोलकर अय्यूब को उत्तर देना ही होगा।
क्योंकि मुझे चापलूसी करना नहीं आता, अन्यथा मुझे रचनेवाला मेरा परमेश्वर तुरन्त मेरा अन्त कर देता!
वह सामन्तों के प्रति पक्षपात नहीं करता, और न अमीर को गरीब से अधिक सम्मान देता है। क्योंकि दोनों को उसने अपने हाथ से रचा है।
‘कब तक तुम अन्यायपूर्ण निर्णय करते रहोगे, कब तक तुम दुर्जनों का पक्ष लेते रहोगे? सेलाह
दूसरे की चापलूसी करनेवाले की अपेक्षा वह मनुष्य उसका कृपापात्र बनता है जो गलत काम के लिए उसको डांटता है।
‘तुम न्याय करते समय अन्याय मत करना। तुम न तो दरिद्र व्यक्ति का पक्ष लेना और न बड़े मनुष्य के सम्मुख झुकना, वरन् धार्मिकता से अपने देश-भाई अथवा बहिन का न्याय करना।
अत: मैंने भी सब लोगों के सम्मुख तुम्हें भी निकृष्ट और अधम बनाया; क्योंकि तुमने मेरी व्यवस्था के अनुसार आचरण नहीं किया, तुम मेरी व्यवस्था के प्रति निष्पक्ष नहीं हो।’
उन्होंने येशु के पास हेरोदेस-दल के सदस्यों के साथ अपने शिष्यों को यह प्रश्न पूछने भेजा, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सच्चे हैं और सच्चाई से परमेश्वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। आप किसी की परवाह नहीं करते, क्योंकि आप मुँह-देखी बात नहीं कहते।
तुम मुंह देख कर न्याय मत करना। बड़े और छोटे मनुष्य का मुकदमा समान भाव से सुनना। तुम किसी भी व्यक्ति से मत डरना; क्योंकि न्याय परमेश्वर का है। यदि तुम्हें कोई मुकदमा कठिन प्रतीत हो, तो तुम उसको मेरे पास लाना। मैं उसको सुनूंगा।”
तू न्याय को भ्रष्ट मत करना। तू पक्षपात नहीं करना। तू घूस मत लेना; क्योंकि घूस बुद्धिमान व्यक्ति की आंख को बन्द कर देती है। वह धार्मिकों के न्याय-पक्ष को उलट देती है।