दाऊद ने दूत से कहा, ‘तुम योआब से यह कहना, “तुम इस बात के कारण चिन्तित मत हो, क्योंकि तलवार कभी एक का वध करती है, कभी दूसरे का। नई शक्ति से नगर पर हमला करो, और उसको खंडहर बना दो।” इस प्रकार सेनापति का उत्साह बढ़ाना।’
2 शमूएल 14:14 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) हम सबको एक न एक दिन मरना ही है। हम भूमि पर उण्डेले गए जल के समान हैं जिसको फिर एकत्र नहीं किया जा सकता है; और न परमेश्वर शव को खड़ा करता है। अब महाराज ऐसी योजना बनाएँ कि निर्वासित व्यक्ति उनसे दूर न रहे, वह देश-निकाला हुआ न रहे। पवित्र बाइबल यह सही है कि हम सभी किसी दिन मरेंगे। हम लोग उस पानी की तरह हैं जो भूमि पर फेंका गया है। कोई भी व्यक्ति भूमि से उस पानी को इकट्ठा नहीं कर सकता। किन्तु परमेश्वर माफ करता है। उसके पास उन लोगों के लिए एक योजना है जो अपना घर छोड़ने को विवश किये गए हैं—परमेश्वर उनको अपने से अलग नहीं करता। Hindi Holy Bible हम को तो मरना ही है, और भूमि पर गिरे हुए जल के समान ठहरेंगे, जो फिर उठाया नहीं जाता; तौभी परमेश्वर प्राण नहीं लेता, वरन ऐसी युक्ति करता है कि निकाला हुआ उसके पास से निकाला हुआ न रहे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) हम को तो मरना ही है, और हम भूमि पर गिरे हुए जल के समान ठहरेंगे, जो फिर उठाया नहीं जाता; तौभी परमेश्वर प्राण नहीं लेता, वरन् ऐसी युक्ति करता है कि निकाला हुआ उसके पास से निकाला हुआ न रहे। सरल हिन्दी बाइबल हम सभी की मृत्यु निश्चित है. हम सभी भूमि पर छलक चुके उस जल के समान हैं, जिसे दोबारा इकट्ठा करना संभव नहीं होता. मगर परमेश्वर जीवन नष्ट नहीं करते. वह ऐसी युक्ति करते हैं कि कोई भी निकाले हुए हमेशा उनकी उपस्थिति से दूर न रहे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 हमको तो मरना ही है, और भूमि पर गिरे हुए जल के समान ठहरेंगे, जो फिर उठाया नहीं जाता; तो भी परमेश्वर प्राण नहीं लेता, वरन् ऐसी युक्ति करता है कि निकाला हुआ उसके पास से निकाला हुआ न रहे। |
दाऊद ने दूत से कहा, ‘तुम योआब से यह कहना, “तुम इस बात के कारण चिन्तित मत हो, क्योंकि तलवार कभी एक का वध करती है, कभी दूसरे का। नई शक्ति से नगर पर हमला करो, और उसको खंडहर बना दो।” इस प्रकार सेनापति का उत्साह बढ़ाना।’
मैं महाराज से ये ही बातें कहने के लिए आई थी; क्योंकि लोगों ने मुझे डरा दिया था। आपकी सेविका ने यह सोचा था कि मैं महाराज से ये बातें कहूँगी। कदाचित महाराज अपनी सेविका के कथन के अनुसार कार्य करें।
‘यदि कोई मनुष्य मर जाए तो क्या वह फिर जीवित होगा? जब तक मुझे अन्धकार से मुक्ति नहीं मिलेगी, मैं कठिन सेवा की पूर्ण अवधि में प्रतीक्षा करता रहूँगा।
हां, मैं जानता हूं कि तू मुझे मृत्यु के हाथ में सौंप देगा; तू मुझे उस घर में भेज देगा, जो सब प्राणियों के लिए निश्चित् किया गया है।
वह सामन्तों के प्रति पक्षपात नहीं करता, और न अमीर को गरीब से अधिक सम्मान देता है। क्योंकि दोनों को उसने अपने हाथ से रचा है।
मैं जल के सदृश उण्डेला गया हूँ; मेरी अस्थियाँ जोड़ से उखड़ गई हैं; मेरा हृदय मोम-सा बन गया है; वह मेरी छाती के भीतर पिघल गया है।
मेरा कंठ ठीकरे के समान सूख गया है और मेरी जीभ तालू से चिपक गई है; तू मुझे मृत्यु की धूल में मिला रहा है।
क्या उसकी करुणा सदैव के लिए मिट गई? क्या उसकी प्रतिज्ञाएं सदा-सर्वदा को समाप्त हो गईं?
यरूशलेम के चारों ओर उन्होंने उनका रक्त पानी के समान बहाया है; उन्हें मिट्टी देनेवाला कोई नहीं है।
हमारी आयु के वर्ष सत्तर हैं; यदि वे बल के कारण अस्सी भी हो जाएं, तोभी उनकी अवधि दु:ख और कष्ट में बीतती है। वे अविलम्ब व्यतीत हो जाते हैं और हमारे प्राण-पखेरू उड़ जाते हैं।
पर यदि उसने घात लगाकर प्रहार नहीं किया था, वरन् दुर्घटनावश ऐसा हो गया था, तो मैं तुम्हारे लिए एक स्थान निश्चित करूंगा, जहाँ वह भाग सकेगा।
जो जीवित हैं, वे जानते हैं कि उन्हें एक दिन मरना ही होगा, किन्तु जो मर चुके हैं, वे क्या जानते हैं? उन्हें प्रतिफल मिल चुका है। उनकी स्मृति मिट चुकी है।
‘सुनो, मैं स्वामी-प्रभु यह कहता हूँ: क्या मैं दुर्जन की मृत्यु से प्रसन्न होता हूं? नहीं, जब कोई दुर्जन अपने दुराचरण को छोड़ देता और जीवित रहता है, तब मुझे प्रसन्नता होती है।
‘यदि वे अपने अधर्म को और पूर्वजों के अधर्म को स्वीकारते हैं, जो उन्होंने मेरे विरुद्ध विश्वासघात करके और मेरे विरुद्ध चलकर किया था,
ये छ: नगर इस्राएलियों, विदेशियों तथा उनके मध्य में निवास करने वाले प्रवासियों के लिए शरण-स्थल होंगे कि बिना किसी अभिप्राय से किसी मनुष्य की हत्या करने वाला व्यक्ति वहाँ भाग कर शरण ले सके।
मंडली रक्त-प्रतिशोधी के हाथ से हत्यारे को मुक्त करेगी। मंडली उसे उस शरण-नगर वापस भेज देगी, जहाँ वह भाग गया था। वह तब तक उसमें निवास करेगा, जब तक महापुरोहित की मृत्यु न हो जाए, जिसका पवित्र तेल से अभ्यंजन किया गया है।
क्योंकि जब तक महापुरोहित की मृत्यु न हो जाए तब तक हत्यारे को अपने शरण-नगर के भीतर ही निवास करना चाहिए। महापुरोहित की मृत्यु के पश्चात् हत्यारा अपनी पैतृक भूमि को लौट सकता है।
उन्होंने येशु के पास हेरोदेस-दल के सदस्यों के साथ अपने शिष्यों को यह प्रश्न पूछने भेजा, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सच्चे हैं और सच्चाई से परमेश्वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। आप किसी की परवाह नहीं करते, क्योंकि आप मुँह-देखी बात नहीं कहते।
पतरस ने कहना आरम्भ किया, “मैं अब अच्छी तरह समझ गया कि परमेश्वर किसी के साथ पक्षपात नहीं करता।
क्योंकि तुम्हारा प्रभु परमेश्वर समस्त देवताओं का परमेश्वर है। वह समस्त स्वामियों का स्वामी है। वह महान, बलवान और आतंकमय परमेश्वर है। वह किसी का पक्षपात नहीं करता, और न किसी से घूस ही लेता है।
यदि आप उसे “पिता” कह कर पुकारते हैं, जो पक्षपात किये बिना प्रत्येक मनुष्य का उसके कर्मों के अनुसार न्याय करता है, तो जब तक आप यहाँ परदेश में रहते हैं, तब तक उस पर श्रद्धा रखते हुए जीवन बितायें।