एलियाह ने उससे कहा, ‘मुझे अपना पुत्र दो।’ एलियाह ने विधवा की गोद से उसको ले लिया, और उसको उपरले कक्ष में ले गए, जहाँ वह ठहरे हुए थे। उन्होंने मृत बालक को अपने बिस्तर पर लिटा दिया।
2 राजाओं 4:10 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) क्यों न हम उनके लिए अपने मकान की छत पर एक छोटी बरसाती बना दें। हम वहां उनके लिए एक पलंग, एक मेज, एक कुर्सी और एक दीया रख देंगे। जब-जब वह हमारे पास आएंगे, वह उसमें ठहरेंगे।’ पवित्र बाइबल कृपया हम लोग एक कमरा एलीशा के लिये छत पर बनाएं। इस कमरे में हम एक बिछौना लगा दें। उसमें हम लोग एक मेज, एक कुर्सी और एक दीपाधार रख दें। तब जब वह हमारे यहाँ आए तो वह इस कमरे को अपने रहने के लिये रख सकता है।” Hindi Holy Bible तो हम भीत पर एक छोटी उपरौठी कोठरी बनाएं, और उस में उसके लिये एक खाट, एक मेज, एक कुसीं और एक दीवट रखें, कि जब जब वह हमारे यहां आए, तब तब उसी में टिका करे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) हम भीत पर एक छोटी उपरौठी कोठरी बनाएँ, और उसमें उसके लिये एक खाट, एक मेज, एक कुर्सी और एक दीवट रखें, कि जब जब वह हमारे यहाँ आए, तब तब उसी में टिका करे।” सरल हिन्दी बाइबल हम छत पर दीवारें उठाकर एक छोटा कमरा बना लें, उनके लिए वहां एक बिछौना, एक मेज़ एक कुर्सी और एक दीपक रख दें, कि जब कभी वह यहां आएं, वहां ठहर सकें.” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 हम दीवार पर एक छोटी उपरौठी कोठरी बनाएँ, और उसमें उसके लिये एक खाट, एक मेज, एक कुर्सी और एक दीवट रखें, कि जब जब वह हमारे यहाँ आए, तब-तब उसी में टिका करे।” |
एलियाह ने उससे कहा, ‘मुझे अपना पुत्र दो।’ एलियाह ने विधवा की गोद से उसको ले लिया, और उसको उपरले कक्ष में ले गए, जहाँ वह ठहरे हुए थे। उन्होंने मृत बालक को अपने बिस्तर पर लिटा दिया।
परन्तु उदार मनुष्य उदारता की ही बातें सोचता है, न केवल वह सोचता है, वरन् उनको कार्यरूप में परिणत भी करता है!
“राजा उन्हें यह उत्तर देगा, ‘मैं तुम से सच कहता हूँ, जो कुछ तुम ने मेरे इन छोटे से छोटे भाई-बहिनों में से किसी एक के लिए किया, वह तुम ने मेरे लिए ही किया।’
“जो तुम्हें एक कटोरा पानी पिलाएगा, इसलिए कि तुम मसीह के शिष्य हो, मैं तुम से सच कहता हूँ कि वह अपना पुरस्कार कदापि नहीं खोएगा।”
हेरोदेस के गृह-प्रबन्धक खूजा की पत्नी योअन्ना; सूसन्नाह और अनेक अन्य स्त्रियाँ भी, जो अपनी सम्पत्ति से येशु और उनके शिष्यों की सेवा-परिचर्या करती थीं।
हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम किस प्रकार प्रेम तथा परोपकार के लिए एक दूसरे को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
आप लोग आतिथ्य-सत्कार भूलें नहीं, क्योंकि इसी के कारण कुछ लोगों ने अनजाने ही अपने यहाँ स्वर्गदूतों का सत्कार किया है।