2 राजाओं 16:15 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) राजा आहाज ने पुरोहित ऊरियाह को यह आदेश दिया, ‘आप इस महावेदी पर पहले के समान प्रात:कालीन अग्नि-बलि, सन्ध्याकालीन अन्न-बलि, राज अग्नि-बलि और राज अन्न-बलि तथा समस्त देशवासियों की अग्नि-बलि, अन्न-बलि और पेय-बलि चढ़ा सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप इसी महावेदी पर अग्नि-बलि के पशु तथा अन्य बलि-पशुओं का रक्त छिड़केंगे। परन्तु मैं कांस्य वेदी का उपयोग प्रभु का उत्तर प्राप्त करने के लिए करूंगा।’ पवित्र बाइबल आहाज ने याजक ऊरिय्याह को आदेश दिया। उसने कहा, “विशाल वेदी का उपयोग सवेरे की होमबलियों को जलाने के लिये, सन्ध्या की अन्नबलि के लिये और इस देश के सभी लोगों की पेय भेंट के लिये करो। होमबलि और बलियों का सारा खून विशाल वेदी पर छिड़को। किन्तु मैं काँसे की वेदी का उपयोग परमेश्वर से प्रश्न पूछने के लिये करूँगा।” Hindi Holy Bible तब राजा आहाज ने ऊरिय्याह याजक को यह आज्ञा दी, कि भोर के होमबलि और सांझ के अन्नबलि, राजा के होमबलि और उसके अन्नबलि, और सब साधारण लोगों के होमबलि और अर्घ बड़ी वेदी पर चढ़ाया कर, और होमबलियों और मेलबलियों का सब लोहू उस पर छिड़क; और पीतल की वेदी के विषय मैं विचार करूंगा। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब राजा आहाज ने ऊरिय्याह याजक को यह आज्ञा दी, “भोर के होमबलि और साँझ के अन्नबलि, राजा के होमबलि और उसके अन्नबलि, और सब साधारण लोगों के होमबलि और अर्घ बड़ी वेदी पर चढ़ाया कर, और होमबलियों और मेलबलियों का सब लहू उस पर छिड़क; और पीतल की वेदी को मैं यहोवा से पूछने के लिये प्रयोग करूँगा।” सरल हिन्दी बाइबल तब राजा आहाज़ ने पुरोहित उरियाह को आदेश दिया, “इस नई विशाल वेदी पर आप भोर की होमबलि, शाम की अन्नबलि, राजा के लिए होमबलि और अन्नबलि और सारी प्रजा के लिए होमबलि और अन्नबलि और उनका अर्घ इस वेदी पर ही चढ़ाना, तथा होमबलि और बलि का सारा लहू इसी वेदी पर छिड़कना. मगर यह कांसे की वेदी सिर्फ मेरे ही इस्तेमाल के लिए रहेगी, कि मैं इसके द्वारा परमेश्वर की इच्छा जान सकूं.” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब राजा आहाज ने ऊरिय्याह याजक को यह आज्ञा दी, “भोर के होमबलि और साँझ के अन्नबलि, राजा के होमबलि और उसके अन्नबलि, और सब साधारण लोगों के होमबलि और अर्घ बड़ी वेदी पर चढ़ाया कर, और होमबलियों और मेलबलियों का सब लहू उस पर छिड़क; और पीतल की वेदी को मैं यहोवा से पूछने के लिये प्रयोग करूँगा।” |
एक दिन राजा सुलेमान पशु-बलि चढ़ाने के लिए गिबओन नगर गया; क्योंकि वहां पहाड़ी शिखर की महावेदी थी। सुलेमान ने उस महावेदी पर एक हजार अग्नि-बलि चढ़ाई।
तत्पश्चात् हीराम ने ढली हुई धातु का एक हौज बनाया। वह गोलाकार था। वह एक किनारे से दूसरे किनारे तक साढ़े चार मीटर चौड़ा था और सवा दो मीटर ऊंचा था। उसकी सम्पूर्ण परिधि साढ़े तेरह मीटर थी।
उसी दिन राजा ने मध्यवर्ती आंगन को भी प्रभु की महिमा के लिए अर्पित किया। यह प्रभु-भवन के सामने था। प्रभु के सम्मुख की कांस्य वेदी छोटी थी। उस पर अग्नि-बलि, अन्न-बलि और सहभागिता-बलियों की चर्बी चढ़ाना सम्भव न था। इसलिए राजा ने मध्यवर्ती आंगन में अग्नि-बलि, अन्न-बलि और सहभागिता-बलियों की चर्बी चढ़ाई।
उसने प्रभु के सम्मुख की कांस्य वेदी को मन्दिर के सामने से, अर्थात् अपनी नई वेदी और प्रभु-मन्दिर के बीच में से, हटा दिया और उसको अपनी वेदी के उत्तर की ओर रख दिया।
उसने पहाड़ी शिखर की वेदियां हटा दीं। पूजा-स्तम्भ तोड़ दिए। अशेराह देवी की मूर्ति ध्वस्त कर दी। जो पीतल का सर्प मूसा ने बनाया था, और जिसके सम्मुख अब तक इस्राएली सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाते आ रहे थे, उसको भी हिजकियाह ने टुकड़े-टुकड़े कर दिया। पीतल के सर्प का नाम नहूश्तान था।
दूसरे दिन सबेरे, बलि-अर्पण के समय, एदोम देश की दिशा से पानी उमड़ा और सारा देश पानी से भर गया।
आराधकों द्वारा अग्नि-बलि में चढ़ाए गए पशुओं की संख्या इस प्रकार थी : सत्तर बछड़े, सौ मेढ़े, और दो सौ मेमने। ये सब पशु प्रभु को अग्नि-बलि में चढ़ाए गए।
इसके अतिरिक्त अग्नि-बलि में चढ़ाए जाने वाले पशुओं की संख्या बहुत थी। सहभागिता-बलि में चढ़ाए गए पशुओं की चर्बी भी बहुत थी। अग्नि-बलि में पेय-बलि भी चढ़ाई गई थी। इस प्रकार प्रभु के भवन में आराधना की पुन: प्रतिष्ठा हुई।
उसने बेन-हिन्नोम की घाटी में अपने पुत्र की बलि चढ़ाई। वह सगुनियों, भविष्य-फल बतानेवालों, प्रेतसाधकों और जादू-टोना करनेवालों से सम्बन्ध रखता था। उसने प्रभु की दृष्टि में और अधिक दुष्कर्म किये और प्रभु के क्रोध को भड़काया।
हे प्रभु, तूने अपने निज लोगों को, याकूब के वंशजों को त्याग दिया, क्योंकि उनमें पूर्व देश के व्यापारी भर गए हैं, पलिश्ती लोगों के सदृश झाड़-फूंक करनेवाले उनमें बस गए हैं; विदेशियों की सन्तान उनमें पनप रही है।
उसके द्वारा भेजे गए सैन्यदल पवित्र-स्थान और गढ़ को अशुद्ध कर देंगे। वे निरन्तर अग्नि-बलि को बन्द कर देंगे। वे उस घृणित वस्तु को प्रतिष्ठित करेंगे जो विध्वंस का कारण होगी।
जिस दिन पवित्र मन्दिर में नित्य अग्नि-बलि चढ़ाना बन्द कर दिया जाएगा और घृणित वस्तु वहाँ प्रतिष्ठित की जाएगी, जो विनाश का कारण होगी, उस दिन से बारह सौ नब्बे दिन व्यतीत होंगे।
वस्तुत: जब मैं प्रार्थना के शब्दों को बोल ही रहा था, तब वही गब्रिएल स्वर्गदूत द्रुतगति से मेरे पास आया, जिसको मैंने प्रथम दर्शन में देखा था। संध्या-बलि का समय था।
“अगुआ अनेक लोगों के साथ पक्की सन्धि करेगा। इस सन्धि की अवधि वर्षों के एक सप्ताह की होगी और इन वर्षों के आधे सप्ताह तक अगुआ पशुबलि और अन्नबलि चढ़ाना बन्द करा देगा। तब घृणित मूर्तिपूजा के छा जाने से वह अगुआ विनाशक सिद्ध होगा। वह उस समय तक विनाश करता रहेगा जब तक उसके अन्त का निश्चित समय न आएगा।” ’
मेरे निज लोग काठ के पुतले से सलाह लेते हैं, वे पूजा के डण्डों से शकुन पूछते हैं! वेश्यावृत्ति की आत्मा ने उन्हें पथभ्रष्ट कर दिया है। उन्होंने मुझ-परमेश्वर को त्याग कर अन्य देवताओं पर विश्वास किया है।