किन्तु राजा योराम की पुत्री यहोशाबा ने, जो अहज्याह की बहिन थी, अपने भतीजे योआश का अन्य राजकुमारों के मध्य से, जिनकी हत्या की जानेवाली थी, अपहरण कर लिया। उसने योआश और उसकी धाय को शयनागार में छिपा दिया। यों उसने अतल्याह की दृष्टि से उसको छिपा दिया। अत: योआश का वध नहीं हुआ।
सातवें वर्ष में पुरोहित यहोयादा ने दूत भेजकर कारी जाति के सैनिकों और अंगरक्षकों के शतपतियों को बुलाया। पुरोहित यहोयादा ने उन्हें प्रभु के भवन में आने दिया। उसने उनसे सन्धि की। उसने प्रभु के भवन में उनको शपथ दिलाई। तत्पश्चात् उसने उनको राजपुत्र दिखाया।
येहू के राज्य-काल के सातवें वर्ष में योआश ने राज्य करना आरम्भ किया। वह राजधानी यरूशलेम में चालीस वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी मां का नाम सिब्याह था। वह बएर-शेबा नगर की रहने वाली थी।
जब योशियाह ने राज्य करना आरम्भ किया तब वह आठ वर्ष का था। उसने राजधानी यरूशलेम में इकतीस वर्ष तक राज्य किया। उसकी मां का नाम यदीदाह था। वह बोस्कत नगर में रहने वाले अदायाह की पुत्री थी।