ऐसा क्यों? क्या इसलिए कि मैं आप को प्यार नहीं करता? परमेश्वर जानता है कि मैं आप लोगों को कितना प्यार करता हूँ।
2 कुरिन्थियों 7:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) वास्तव में मैंने वह पत्र इसलिए नहीं लिखा था कि मुझे अन्याय करने वाले अथवा अन्याय सहने वाले व्यक्ति की अधिक चिन्ता थी, बल्कि इसलिए कि आप लोग परमेश्वर के सामने यह अच्छी तरह समझ लें कि हमारे प्रति आपकी कितनी निष्ठा है। पवित्र बाइबल सो यदि मैंने तुम्हें लिखा था तो उस व्यक्ति के कारण नहीं जो अपराधी था और न ही उसके कारण जिसके प्रति अपराध किया गया था। बल्कि इस लिए लिखा था कि परमेश्वर के सामने हमारे प्रति तुम्हारी चिंता का तुम्हें बोध हो जाये। Hindi Holy Bible फिर मैं ने जो तुम्हारे पास लिखा था, वह न तो उसके कारण लिखा, जिस ने अन्याय किया, और न उसके कारण जिस पर अन्याय किया गया, परन्तु इसलिये कि तुम्हारी उत्तेजना जो हमारे लिये है, वह परमेश्वर के साम्हने तुम पर प्रगट हो जाए। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) फिर मैं ने जो तुम्हारे पास लिखा था, वह न तो उसके कारण लिखा जिसने अन्याय किया और न उसके कारण जिस पर अन्याय किया गया, परन्तु इसलिये कि तुम्हारा उत्साह जो हमारे लिये है, वह परमेश्वर के सामने तुम पर प्रगट हो जाए। नवीन हिंदी बाइबल यद्यपि मैंने तुम्हें लिखा, फिर भी यह न तो उस अन्याय करनेवाले के कारण था और न ही अन्याय सहनेवाले के कारण, बल्कि इसलिए कि हमारे प्रति तुम्हारा उत्साह परमेश्वर की दृष्टि में तुम पर प्रकट हो जाए। सरल हिन्दी बाइबल हालांकि यह पत्र मैंने न तो तुम्हें इसलिये लिखा कि मुझे उसकी चिंता थी, जो अत्याचार करता है और न ही उसके लिए, जो अत्याचार सहता है परंतु इसलिये कि परमेश्वर के सामने स्वयं तुम्हीं यह देख लो कि तुम हमारे प्रति कितने सच्चे हो. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 फिर मैंने जो तुम्हारे पास लिखा था, वह न तो उसके कारण लिखा, जिसने अन्याय किया, और न उसके कारण जिस पर अन्याय किया गया, परन्तु इसलिए कि तुम्हारी उत्तेजना जो हमारे लिये है, वह परमेश्वर के सामने तुम पर प्रगट हो जाए। |
ऐसा क्यों? क्या इसलिए कि मैं आप को प्यार नहीं करता? परमेश्वर जानता है कि मैं आप लोगों को कितना प्यार करता हूँ।
और इन बातों के अतिरिक्त सब कलीसियाओं के विषय में मेरी चिन्ता, जो हर समय मुझे व्याकुल किये रहती है।
हम उन बहुसंख्यक लोगों के समान नहीं हैं, जो परमेश्वर के वचन का सौदा करते हैं, बल्कि हम परमेश्वर से प्रेरित हो कर और मसीह से संयुक्त रह कर, परमेश्वर की आंखों के सामने, सच्चाई से वचन का प्रचार करते हैं।
मैंने आपकी परीक्षा लेने के उद्देश्य से भी लिखा था। मैं यह जानना चाहता था कि आप सभी बातों में आज्ञाकारी हैं या नहीं।
यद्यपि मैंने आप लोगों को उस पत्र द्वारा दु:ख दिया, फिर भी मुझे उस पर खेद नहीं है। मुझे यह देख कर खेद हुआ था कि उस पत्र ने आप को थोड़े समय के लिए दु:खी बना दिया था,
यदि कोई अपने घर का प्रबन्ध नहीं कर सकता, तो वह परमेश्वर की कलीसिया की देखभाल कैसे करेगा?