‘जब तेरे निज लोग अपने शत्रु से युद्ध करने के लिए नगर से बाहर निकलेंगे और उस मार्ग पर जाएंगे, जिस पर तू उन्हें भेजेगा, तब यदि वे उस नगर की ओर, जिसको तूने चुना है, और उस भवन की ओर मुख कर, जो मैंने तेरे नाम की महिमा के लिए निर्मित किया है, तुझसे प्रार्थना करेंगे
‘जब वे तेरे विरुद्ध पाप करेंगे (ऐसा कौन मनुष्य है जिसने कभी पाप नहीं किया?) और तू उनसे क्रुद्ध होगा, उन्हें शत्रुओं के हाथ में सौंप देगा कि वे उन्हें बन्दी बनाकर दूर अथवा समीप के, अपने देश में ले जाएं
वे मोटे हो गए हैं, उनके शरीर पर चर्बी चढ़ गई है। उनके लिए दुष्कर्म करने की कोई सीमा नहीं है वे निष्पक्ष होकर न्याय नहीं करते। वे अनाथों के न्याय की उपेक्षा कर अपना उल्लू सीधा करते हैं। वे गरीबों के हक की रक्षा नहीं करते।