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2 इतिहास 25:4 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

प्रभु की आज्ञा के अनुसार, जो मूसा के व्‍यवस्‍था-ग्रन्‍थ में लिखी है, उसने उन हत्‍यारों के पुत्रों का वध नहीं किया। प्रभु ने यह आज्ञा दी थी : ‘पुत्रों के पाप के लिए पिता को मृत्‍यु-दण्‍ड नहीं दिया जाएगा, और न पिता के पाप के लिए पुत्रों को मृत्‍यु-दण्‍ड दिया जाएगा। प्रत्‍येक व्यक्‍ति को उसके ही पाप के लिए मृत्‍यु-दण्‍ड दिया जाएगा।’

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पवित्र बाइबल

किन्तु अमस्याह ने उन अधिकारियों के बच्चों को नहीं मारा। क्यों? क्योंकि उसने मूसा के पुस्तक में लिखे नियमों को माना। यहोवा ने आदेश दिया था, “पिताओं को अपने पुत्रों के पाप के लिये नहीं मारना चाहिए। बच्चों को अपने पिता के पापों के लिये नहीं मरना चाहिए। हर एक व्यक्ति को अपने स्वयं के पाप के लिये मरना चाहिए।”

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Hindi Holy Bible

परन्तु उसने उनके लड़के वालों को न मारा क्योंकि उसने यहोवा की उस आज्ञा के अनुसार किया, जो मूसा की व्यवस्था की पुस्तक में लिखी है, कि पुत्र के कारण पिता न मार डाला जाए, और न पिता के कारण पुत्र मार डाला जाए, जिसने पाप किया हो वही उस पाप के कारण मार डाला जाए।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

परन्तु उसने उनके बच्‍चों को न मारा क्योंकि उसने यहोवा की उस आज्ञा के अनुसार किया, जो मूसा की व्यवस्था की पुस्तक में लिखी है, “पुत्र के कारण पिता न मार डाला जाए, और न पिता के कारण पुत्र मार डाला जाए, जिसने पाप किया हो वही उस पाप के कारण मार डाला जाए।”

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सरल हिन्दी बाइबल

मगर मोशेह द्वारा लिखी व्यवस्था की पुस्तक में याहवेह ने आदेश दिया था, “पुत्र के पाप का दंड उसके पिता को न मिले और न पिता के कारण पुत्र मार डाला जाए, जिसने पाप किया हो वही उस पाप के कारण मार डाला जाए.” उसके अनुसार, उसने उनकी संतानों की हत्या नहीं की.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

परन्तु उसने उनके बच्चों को न मारा क्योंकि उसने यहोवा की उस आज्ञा के अनुसार किया, जो मूसा की व्यवस्था की पुस्तक में लिखी है, “पुत्र के कारण पिता न मार डाला जाए, और न पिता के कारण पुत्र मार डाला जाए, जिसने पाप किया हो वही उस पाप के कारण मार डाला जाए।”

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2 इतिहास 25:4
6 क्रॉस रेफरेंस  

राजा अमस्‍याह ने यहूदा प्रदेश के निवासियों को एकत्र किया और उन्‍हें पितृ-कुल के अनुसार सेना के सहस्रपतियों और शतपतियों के अधीन समस्‍त यहूदा प्रदेश तथा बिन्‍यामिन कुल-क्षेत्र में नियुक्‍त किया।


केवल पाप करनेवाला प्राणी ही मरेगा। पिता के अधर्म का फल पुत्र कदापि नहीं भोगेगा, और न ही पुत्र के अधर्म का दण्‍ड पिता को मिलेगा। किन्‍तु धार्मिक व्यक्‍ति को उसके धर्म का फल और दुर्जन को उसके पाप का फल मिलेगा।


देखो, सब प्राणी मेरे ही हैं। पिता का प्राण और पुत्र का प्राण, दोनों पर मेरा ही अधिकार है। इसलिए जो प्राणी पाप करता है, केवल वही मरेगा।


‘पुत्र के पाप के लिए पिता को मृत्‍यु-दण्‍ड नहीं दिया जाएगा, और न पिता के पाप के लिए पुत्र को। प्रत्‍येक व्यक्‍ति को उसके ही पाप के लिए मृत्‍यु-दण्‍ड दिया जाएगा।