‘जब तेरे निज लोग अपने शत्रु से युद्ध करने के लिए नगर से बाहर निकलेंगे और उस मार्ग पर जाएंगे जिस पर तू उन्हें भेजेगा, तब यदि वे उस नगर की ओर जिसको तूने चुना है, और उस भवन की ओर, जो मैंने तेरे नाम की महिमा के लिए निर्मित किया है, तुझ-प्रभु से प्रार्थना करेंगे,
‘हे हमारे पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर, क्या तू स्वर्ग में ईश्वर नहीं है? क्या तू सब जातियों के राज्यों पर शासन नहीं करता है? हे हमारे परमेश्वर, तेरे ही हाथ में सम्पूर्ण शक्ति और सामर्थ्य है, जिसके कारण कोई भी तेरा सामना नहीं कर सकता है।
तब योशियाह मंच पर खड़ा हुआ। उसने प्रभु के साथ विधान की धर्मविधि सम्पन्न की कि वह प्रभु का अनुसरण करेगा, अपने सम्पूर्ण हृदय और सम्पूर्ण प्राण से उसकी आज्ञाओं, सािक्षयों, तथा संविधियों का पालन करेगा। वह इस विधान की पुस्तक में लिखे गए वचनों पर दृढ़ रहेगा।
यिर्मयाह उस तोपेत नामक स्थान से लौटे, जहां प्रभु ने उनको नबूवत करने के लिए भेजा था। वह यरूशलेम के मन्दिर के आंगन में खड़े हुए। यिर्मयाह ने सब लोगों से कहा,