राजा ने उससे कहा, ‘मैं तुम्हें कितनी बार शपथ दूं कि तुम मुझसे प्रभु के नाम में सच के अतिरिक्त कुछ मत बोला करो?’
2 इतिहास 18:15 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) राजा ने उससे कहा, ‘मैं तुम्हें कितनी बार शपथ दूं कि तुम मुझसे प्रभु के नाम में सच के अतिरिक्त कुछ मत बोला करो?’ पवित्र बाइबल राजा अहोब ने मीकायाह से कहा, “कई बार मैंने तुमसे प्रतिज्ञा करवायी थी कि तुम यहोवा के नाम पर मुझे केवल सत्य बताओ!” Hindi Holy Bible राजा ने उस से कहा, मुझे कितनी बार तुझे शपथ धरा कर चिताना होगा, कि तू यहोवा का स्मरण कर के मुझ से सच ही कह। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) राजा ने उससे कहा, “मुझे कितनी बार तुझे शपथ धराकर चिताना होगा, कि तू यहोवा का स्मरण करके मुझ से सच ही कह।” सरल हिन्दी बाइबल राजा ने मीकायाह से कहा, “मीकायाह, मुझे तुम्हें कितनी बार इसकी शपथ दिलानी होगी कि तुम्हें मुझसे याहवेह के नाम में सच के सिवाय और कुछ भी नहीं कहना है?” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 राजा ने उससे कहा, “मुझे कितनी बार तुझे शपथ धराकर चिताना होगा, कि तू यहोवा का स्मरण करके मुझसे सच ही कह।” |
राजा ने उससे कहा, ‘मैं तुम्हें कितनी बार शपथ दूं कि तुम मुझसे प्रभु के नाम में सच के अतिरिक्त कुछ मत बोला करो?’
मीकायाह अहाब के पास आया। राजा ने उससे पूछा, ‘मीकायाह, क्या हमें रामोत-गिलआद नगर से युद्ध करने के लिए जाना चाहिए? अथवा मुझे युद्ध नहीं करना चाहिए?’ मीकायाह ने उसको उत्तर दिया, ‘हां, हां! आप चढ़ाई कीजिए, और विजय प्राप्त कीजिए। नगर आप के हाथ में सौंप दिया जाएगा।’
तब मीकायाह ने कहा : ‘मैंने इस्राएली राष्ट्र को पहाड़ों पर तितर- बितर होते देखा, जैसे बिना चरवाहे का रेवड़! प्रभु मुझसे बोला, “इनका कोई स्वामी नहीं, प्रत्येक व्यक्ति अपने घर को सकुशल लौट जाए।” ’
परन्तु येशु चुप रहे। तब प्रधान महापुरोहित ने येशु से कहा, “तुम्हें जीवन्त परमेश्वर की शपथ! यदि तुम मसीह हो, परमेश्वर के पुत्र हो, तो हमें बता दो।”
ऊंचे स्वर से चिल्लाया, “हे येशु! सर्वोच्च परमेश्वर के पुत्र! मुझ से आप को क्या काम? आप को परमेश्वर की शपथ, मुझे न सताइए।”
इधर-उधर घूमने वाले कुछ यहूदी भूत-प्रेत साधकों ने भी प्रयास किया कि दुष्ट आत्मा से ग्रसित लोगों पर प्रभु येशु के नाम का उच्चारण करें। वे यह कहते थे, “पौलुस जिनका प्रचार करते हैं, तुम को उन्हीं येशु की शपथ!”
शाऊल ने उस दिन उतावली में एक मन्नत मानी। उसने अपने सैनिकों को एक महाशपथ दी। उसने कहा, ‘सन्ध्या के पूर्व, तथा जब तक मैं अपने शत्रुओं से बदला न ले लूँ, उसके पहले भोजन करने वाला व्यक्ति अभिशप्त होगा।’ अत: किसी भी सैनिक ने मुँह में दाना भी नहीं डाला।