मिस्र देश की सीमा पर शीहोर नदी से उत्तर में एक्रोन नगर-राज्य की सीमा के अन्तर्गत का भूमि-भाग कनानी जाति का देश माना जाता था। पलिश्ती जाति के पांच सामन्त गाजा, अश्दोद, एश्कलोन, गत और एक्रोन नगरों में रहते थे।) और दक्षिण में अव्वी जाति का प्रदेश।
तब पलिश्ती जाति के सामंत दलीलाह के पास आए। उन्होंने उससे कहा, ‘शिमशोन को फुसलाओ। तुम पता लगाओ कि उसकी महाशक्ति का स्रोत कहाँ है। हम उसे किस प्रकार वश में कर सकते हैं, ताकि उसे बाँध कर शक्तिहीन कर सकें। हममें से प्रत्येक सामंत तुम्हें चांदी के ग्यारह सौ सिक्के देगा।’
प्रभु ने इन जातियों को छोड़ दिया था : पलिश्ती जाति के पांच नगर-राज्य, समस्त कनानी जाति, सीदोनी जाति, और हिव्वी जाति, जो बअल-हेर्मोन पहाड़ से हमात के प्रवेश-मार्ग तक लबानोन पहाड़ पर रहती थी।
इसलिए गत नगर के रहनेवालों ने परमेश्वर की मंजूषा एक्रोन नगर भेज दी। परन्तु जब परमेश्वर की मंजूषा एक्रोन नगर में आई, तब एक्रोन नगर के रहने वाले चिल्लाने लगे, ‘वे हमें और हमारे लोगों को मार डालने के लिए इस्राएल के परमेश्वर की मंजूषा को हमारे पास लाए हैं।’
गायें सीधे बेतशेमश के मार्ग पर चली गईं। वे रंभाती हुई जा रही थीं। वे मार्ग की न दाहिनी ओर मुड़ीं और न बायीं ओर। पलिश्ती सामंत बेतशेमश की सीमा तक उनके पीछे-पीछे गए।
पलिश्तियों ने पूछा, ‘हमें उसको दोष-बलि में क्या चढ़ाना चाहिए?’ उन्होंने कहा, ‘पलिश्तियों के सामंतों की संख्या के अनुसार सोने की पाँच गिल्टियाँ, और सोने के पाँच चूहे चढ़ाना चाहिए, क्योंकि जिस प्लेग से तुम पीड़ित थे, उसी प्लेग से सामंत भी पीड़ित थे।