1 शमूएल 2:25 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यदि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के प्रति अपराध करता है, तो परमेश्वर उसके लिए हस्तक्षेप करता है। परन्तु यदि व्यक्ति स्वयं प्रभु के प्रति पाप करेगा तो कौन उसकी क्षमा के लिए प्रार्थना कर सकता है?’ पुत्रों ने अपने पिता की बातों पर कान नहीं दिया; क्योंकि यह प्रभु की इच्छा थी कि वे मर जाएँ। पवित्र बाइबल यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध पाप करता है, तो परमेश्वर उसकी मध्यस्थता कर सकता है। किन्तु यदि कोई व्यक्ति यहोवा के ही विरुद्ध पाप करता है तो उस व्यक्ति की मध्यस्थता कौन कर सकता है?” किन्तु एली के पुत्रों ने एली की बात सुनने से इन्कार कर दिया। इसलिए यहोवा ने एली के पुत्रों को मार डालने का निश्चय किया। Hindi Holy Bible यदि एक मनुष्य दूसरे मनुष्य का अपराध करे, तब तो परमेश्वर उसका न्याय करेगा; परन्तु यदि कोई मनुष्य यहोवा के विरुद्ध पाप करे, तो उसके लिये कौन बिनती करेगा? तौभी उन्होंने अपने पिता की बात न मानी; क्योंकि यहोवा की इच्छा उन्हें मार डालने की थी। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यदि एक मनुष्य दूसरे मनुष्य का अपराध करे, तब तो परमेश्वर उसका न्याय करेगा; परन्तु यदि कोई मनुष्य यहोवा के विरुद्ध पाप करे, तो उसके लिये कौन विनती करेगा?” तौभी उन्होंने अपने पिता की बात न मानी; क्योंकि यहोवा की इच्छा उन्हें मार डालने की थी। सरल हिन्दी बाइबल यदि एक व्यक्ति किसी दूसरे के विरुद्ध पाप करे, तो उसके लिए परमेश्वर द्वारा विनती संभव है; मगर यदि कोई याहवेह ही के विरुद्ध पाप करे, तब उसकी विनती के लिए कौन बाकी रह जाता है?” मगर एली के पुत्रों को उनके पिता का तर्क अस्वीकार ही रहा, क्योंकि याहवेह उनके प्राण लेने का निश्चय कर चुके थे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यदि एक मनुष्य दूसरे मनुष्य का अपराध करे, तब तो न्यायी उसका न्याय करेगा; परन्तु यदि कोई मनुष्य यहोवा के विरुद्ध पाप करे, तो उसके लिये कौन विनती करेगा?” तो भी उन्होंने अपने पिता की बात न मानी; क्योंकि यहोवा की इच्छा उन्हें मार डालने की थी। |
यहूदा का ज्येष्ठ पुत्र एर प्रभु की दृष्टि में बुरा आदमी था। अतएव प्रभु ने उसे मार डाला।
‘जब कोई मनुष्य अपने पड़ोसी के विरुद्ध अपराध करेगा, और पड़ोसी उसको शपथ देगा और वह तेरे इस भवन की वेदी के सम्मुख शपथ खाएगा
तब तू स्वर्ग से उनका मुकदमा सुनना, और कार्य करना। प्रभु, अपने सेवकों का न्याय करना; दुर्जन को दुर्जन घोषित करना, और उसके आचरण का फल उसके सिर पर लौटाना। परन्तु सज्जन को सज्जन सिद्ध करना, और उसकी सज्जनता के अनुरूप उसे फल देना।
यों राजा ने जनता का निवेदन नहीं सुना। वस्तुत: प्रभु परमेश्वर ने यह पूर्व-निर्धारित कर दिया था जिससे वह अपने वचन को, जो उसने शिलोह के नबी अहीयाह के माध्यम से यारोबआम बेन-नबाट से कहा था, पूर्ण कर सके।
नबी यह बोल ही रहा था कि राजा अमस्याह ने उससे कहा, ‘तुझको किसने मेरा सलाहकार नियुक्त किया है? चुप रह! तू क्यों मरना चाहता है?’ नबी चुप हो गया; किन्तु उसने कहा, ‘मैं जानता हूं, परमेश्वर ने आपको नष्ट करने का निश्चय कर लिया है; क्योंकि आपने मेरी सलाह नहीं सुनी और मुझे चुप करा दिया।’
तेरे विरुद्ध, तेरे ही विरुद्ध मैंने पाप किया है। और वही किया जो तेरी दृष्टि में बुरा है। इसलिए तू अपने निर्णय में निर्दोष, और न्याय में निष्पक्ष है।
बुद्धिमान पुत्र अपने पिता की शिक्षा की बातें सुनता है, परन्तु पिता की हंसी उड़ानेवाला कुपुत्र डांट-कपट पर भी ध्यान नहीं देता।
जो मनुष्य पथभ्रष्ट हो जाता है, वह कठोर दण्ड पाता है; डांट-डपट की उपेक्षा करनेवाला मनुष्य समय से पहले मर जाता है।
जो मनुष्य बार-बार डांटे जाने पर भी अपना हठ नहीं छोड़ता, उसका अचानक सर्वनाश होगा, और वह फिर नहीं सुधर सकेगा।
हत्या का समय, और स्वस्थ करने का समय, ढाहने का समय और निर्माण का भी समय निर्धारित है।
यदि कोई व्यक्ति, चाहे वह देशी हो अथवा प्रवासी, जान-बूझकर पाप करता है, तो वह मुझ-प्रभु की निन्दा करता है। वह अपने लोगों में से नष्ट किया जाएगा।
तुम मुंह देख कर न्याय मत करना। बड़े और छोटे मनुष्य का मुकदमा समान भाव से सुनना। तुम किसी भी व्यक्ति से मत डरना; क्योंकि न्याय परमेश्वर का है। यदि तुम्हें कोई मुकदमा कठिन प्रतीत हो, तो तुम उसको मेरे पास लाना। मैं उसको सुनूंगा।”
किन्तु हेश्बोन के राजा सीहोन ने हमें अपने पास से होकर नहीं जाने दिया; क्योंकि तुम्हारे प्रभु परमेश्वर ने उसकी आत्मा को कठोर, और हृदय को हठीला बना दिया था, जिससे वह उसे तुम्हारे हाथ में सौंप दे, जैसे वह आज भी है।
केवल एक ही परमेश्वर है और परमेश्वर तथा मनुष्यों के बीच केवल एक ही मध्यस्थ हैं, अर्थात् येशु मसीह, जो स्वयं मनुष्य हैं
क्योंकि सत्य का ज्ञान प्राप्त करने के बाद भी यदि हम जान-बूझ कर पाप करते रहते हैं, तो पापों के लिए कोई बलि शेष नहीं रह जाती,
एक भयानक आशंका ही शेष रह जाती है−न्याय की, और एक भीषण अग्नि की, जो विद्रोहियों को निगल जाना चाहती है।
यही कारण है कि जो लोग उनके द्वारा परमेश्वर की शरण लेते हैं, वह उन्हें पूर्णत: बचाने में समर्थ हैं; क्योंकि वह उनकी ओर से निवेदन करने के लिए सदा जीवित हैं।
यह प्रभु का कार्य था; क्योंकि उसने उनका हृदय कठोर कर दिया था कि वे इस्राएलियों से युद्ध करने के लिए अपने नगर से बाहर निकलें, जिससे उनको पूर्णत: नष्ट किया जा सके; उन पर दया-दृष्टि नहीं की जा सके वरन् उन्हें धरती से मिटाया जा सके, जैसी प्रभु ने मूसा को आज्ञा दी थी।
इसलिए मैं एली के परिवार के सम्बन्ध में यह शपथ खाता हूँ कि उस के परिवार के अधर्म का प्रायश्चित न बलि और न भेंटों के चढ़ाने से कभी हो सकेगा।’