करूब मंजूषा के स्थान के ऊपर अपने पंख फैलाए हुए थे। यों वे मंजूषा और उसके डण्डों को ऊपर से आच्छादित करते थे।
1 राजाओं 8:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) डण्डे लम्बे थे। उनके सिर अन्तर्गृह के सम्मुख के पवित्र स्थान से दिखाई देते थे, किन्तु वे बाहर से नहीं दिखाई देते थे। मंजूषा के भीतर पत्थर की दो पट्टियों के अतिरिक्त कुछ नहीं था। मूसा ने ये पत्थर की पट्टियां होरेब पर्वत पर मंजूषा के भीतर रखी थीं। ये प्रभु के विधान की पट्टियां थीं। जब इस्राएली मिस्र देश से बाहर निकले थे तब प्रभु ने उनके साथ विधान स्थापित किया था। वे आज भी वहां हैं। पवित्र बाइबल ये सहायक बल्लियाँ बहुत लम्बी थीं। यदि कोई व्यक्ति पवित्र स्थान में सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने खड़ा हो, तो वह बल्लियों के सिरों को देख सकता था। किन्तु बाहर को कोई भी उन्हें नहीं देख सकता था। वे बल्लियाँ आज भी वहाँ अन्दर हैं। Hindi Holy Bible डंडे तो ऐसे लम्बे थे, कि उनके सिरे उस पवित्र स्थान से जो दर्शन-स्थान के साम्हने था दिखाई पड़ते थे परन्तु बाहर से वे दिखाई नहीं पड़ते थे। वे आज के दिन तक यहीं वर्तमान हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) डंडे तो इतने लंबे थे, कि उनके सिरे उस पवित्र–स्थान से जो पवित्र–स्थान के सामने था दिखाई पड़ते थे परन्तु बाहर से वे दिखाई नहीं पड़ते थे। वे आज के दिन तक यहीं हैं। सरल हिन्दी बाइबल ये डंडे इतने लंबे थे, कि संदूक के इन डंडों को भीतरी कमरे से देखा जा सकता था, मगर इसके बाहर से नहीं. आज तक वे इसी स्थिति में हैं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 डंडे तो ऐसे लम्बे थे, कि उनके सिरे उस पवित्रस्थान से जो पवित्रस्थान के सामने था दिखाई पड़ते थे परन्तु बाहर से वे दिखाई नहीं पड़ते थे। वे आज के दिन तक यहीं वर्तमान हैं। |
करूब मंजूषा के स्थान के ऊपर अपने पंख फैलाए हुए थे। यों वे मंजूषा और उसके डण्डों को ऊपर से आच्छादित करते थे।
डण्डे इतने लम्बे थे कि उनके सिर अन्तर्गृह के सम्मुख पवित्र स्थान से दिखाई देते थे। किन्तु वे बाहर से नहीं दिखाई देते थे। वे आज तक वहीं हैं।
मूसा ने साक्षी-पट्टियाँ लेकर मंजूषा में रख दीं। उन्होंने मंजूषा में डण्डे डाले और मंजूषा के ऊपर दया-आसन रखा।
पहरेदारों ने रुपया ले लिया और वैसा ही किया, जैसा उन्हें सिखाया गया था। यही कहानी फैल गयी और अब तक यहूदी लोगों में प्रचलित है।
यहोशुअ ने यर्दन नदी के मध्य उस स्थान पर, जहां विधान की मंजूषा वहन करनेवाले पुरोहितों ने पैर रखे थे, बारह पत्थर प्रतिष्ठित किए (वे आज भी वहां हैं)।