अनेक दिन बीत गए। अकाल के तीसरे वर्ष एलियाह को प्रभु का यह वचन सुनाई दिया, ‘जा, और राजा अहाब के सम्मुख स्वयं को प्रकट कर। मैं भूमि पर वर्षा करूंगा।’
1 राजाओं 8:36 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) तो तू स्वर्ग से उनकी प्रार्थना सुनना। अपने सेवकों, अपने निज लोग इस्राएलियों के पाप क्षमा करना। जिस सन्मार्ग पर उन्हें चलना चाहिए अपने उस सन्मार्ग की शिक्षा उनको देना। यह देश तूने अपने निज लोगों को पैतृक-अधिकार के लिए दिया है। अत: प्रभु, तू इस देश को वर्षा प्रदान करना। पवित्र बाइबल इसलिये कृपया स्वर्ग में उनकी प्रार्थना को सुन। तब हम लोगों को हमारे पापों के लिये क्षमा कर। लोगों को सच्चा जीवन बिताने की शिक्षा दे। हे यहोवा तब कृपया तू उस भूमि पर वर्षा कर जिसे तूने उन्हें दिया है। Hindi Holy Bible और अपने दासों, अपनी प्रजा इस्राएल के पाप को क्षमा करना; तू जो उन को वह भला मार्ग दिखाता है, जिस पर उन्हें चलना चाहिये, इसलिये अपने इस देश पर, जो तू ने अपनी प्रजा का भाग कर दिया है, पानी बरसा देना। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और अपने दासों, अपनी प्रजा इस्राएल के पाप को क्षमा करना; तू जो उनको वह भला मार्ग दिखाता है, जिस पर उन्हें चलना चाहिये, इसलिये अपने इस देश पर, जो तू ने अपनी प्रजा का भाग कर दिया है, पानी बरसा देना। सरल हिन्दी बाइबल तब स्वर्ग में अपने सेवकों और अपनी प्रजा इस्राएल की दोहाई सुनकर उनका पाप क्षमा कर दें. आप उन्हें उन अच्छे मार्ग पर चलने की शिक्षा दें. फिर अपनी भूमि पर बारिश भेजें; उस भूमि पर जिसे आपने उत्तराधिकार के रूप में अपनी प्रजा को प्रदान किया है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और अपने दासों, अपनी प्रजा इस्राएल के पाप को क्षमा करना; तू जो उनको वह भला मार्ग दिखाता है, जिस पर उन्हें चलना चाहिये, इसलिए अपने इस देश पर, जो तूने अपनी प्रजा का भागकर दिया है, पानी बरसा देना। |
अनेक दिन बीत गए। अकाल के तीसरे वर्ष एलियाह को प्रभु का यह वचन सुनाई दिया, ‘जा, और राजा अहाब के सम्मुख स्वयं को प्रकट कर। मैं भूमि पर वर्षा करूंगा।’
एलियाह ने राजा अहाब से कहा, “अब आप जाइए, अपना उपवास तोड़िए, और भोजन कीजिए। मुझे मुसलाधार वर्षा होने का गर्जन-स्वर सुनाई दे रहा है।’
कुछ क्षण पश्चात् सघन मेघ और तूफान से आकाश में अंधकार छा गया। तब भीषण वर्षा होने लगी। अहाब रथ पर सवार हो यिज्रएल घाटी को चला गया।
प्रभु, प्रात:काल अपनी करुणा के वचन मुझे सुना; मैं तुझपर ही भरोसा करता हूं। जिस मार्ग पर मुझे चलना चाहिए, प्रभु, वह मार्ग मुझे सिखा; क्योंकि मैं तेरा ही ध्यान करता हूं।
प्रभु, मुझे अपना मार्ग दिखा; उन लोगों के कारण जो मेरी घात में हैं, मुझे समतल मार्ग पर ले चल।
प्रभु यह कहता है: “मैं तेरी अगुआई कर तुझे वह मार्ग सिखाऊंगा जिस पर तुझे चलना चाहिए; मैं तुझे परामर्श दूंगा। मेरी आंखें तुझ पर लगी रहेंगी।”
मेरी घात में बैठे शत्रुओं के कारण, प्रभु, अपने धर्म-पथ पर मुझे ले चल। मेरे समक्ष अपना मार्ग सीधा बना।
तेरा रेवड़ देश में बस गया; हे परमेश्वर, तूने अपनी भलाई के कारण, पीड़ित प्रजा की व्यवस्था की।
परमेश्वर, तूने मूसलाधार वर्षा की थी। जब तेरी मीरास निराश हुई थी, तब तूने ही उसे विश्वास में स्थिर किया था।
हे प्रभु, मुझे अपना मार्ग दिखा, कि मैं तेरी सच्चाई पर चलूं; मेरे हृदय को एकाग्रचित् बना कि वह तेरे नाम से डरे।
धन्य है वह मनुष्य, जिसको, प्रभु, तू ताड़ित करता है, और यों उसे अपनी व्यवस्था सिखाता है।
जब तुम सत्य मार्ग से दाएं-बाएं भटकोगे तब तुम्हारे कानों में पीछे से यह आवाज सुनाई देगी; “सत्य मार्ग यही है, इस पर चलो!”
वहां एक राजमार्ग होगा, वह ‘पवित्र मार्ग’ कहलाएगा। कोई अपवित्र प्राणी उस पर नहीं चलेगा। मूर्ख उस पर पैर भी नहीं रख सकेंगे।
अन्य जातियां निस्सार मूर्तियों की आशा करती हैं। क्या उन में सामर्थ्य है कि वे आकाश से वर्षा कर दें? क्या स्वयं आकाश वर्षा कर सकता है? हे हमारे प्रभु परमेश्वर, क्या तू पहले-जैसा ‘वह’ नहीं रहा? प्रभु, हम तेरी ही आस लगाए बैठे हैं; क्योंकि तू ही इन सब कामों को करता है।
ताकि आपका प्रभु परमेश्वर हमें वह मार्ग बताए जिस पर हमें चलना चाहिए; हमें वह काम बताए, जो हमें करना चाहिए।’
प्रभु यों कहता है, ‘मार्ग के किनारे खड़े हो, और स्वयं देखो। प्राचीन पथों का पता लगाओ। लोगों से पूछो कि सन्मार्ग कहां है। तब उस पर चलो, तभी तुम्हारी आत्मा को चैन मिलेगा। लेकिन यरूशलेम निवासी कहते हैं, “हम सन्मार्ग पर नहीं चलेंगे।”
‘ओ सियोन के निवासियो, प्रसन्न हो; अपने प्रभु परमेश्वर में आनन्द मनाओ। मैंने धार्मिकता के लिए तुम्हें एक गुरु प्रदान किया है। फिर, मैंने तुम्हारे लिए अपार वर्षा की है। पहले के समान मैंने शरदकालीन और वसंतकालीन वर्षा की है।
वे आकर यह कहेंगे, ‘आओ, हम प्रभु के पर्वत पर चढ़ें, याकूब के परमेश्वर के भवन में जाएं, ताकि वह हमें अपने मार्ग की शिक्षा दे; और हम उसके पथ पर चलें।’ सियोन पर्वत से व्यवस्था प्रकट होगी, यरूशलेम से ही प्रभु का शब्द सुनाई देगा।
उन्होंने येशु के पास हेरोदेस-दल के सदस्यों के साथ अपने शिष्यों को यह प्रश्न पूछने भेजा, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सच्चे हैं और सच्चाई से परमेश्वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। आप किसी की परवाह नहीं करते, क्योंकि आप मुँह-देखी बात नहीं कहते।
जहाँ तक मेरा प्रश्न है : प्रभु ऐसा न करे कि मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करना छोड़ दूँ, और इस प्रकार प्रभु के प्रति पाप करूँ! मैं तुम्हें सच्चे और सीधे मार्ग की शिक्षा देता रहूँगा।