परन्तु प्रभु के भवन में चढ़ाए गए रुपयों से मन्दिर के लिए चांदी की चिलमचियां, चिमटे, प्याले, तुरहियां तथा सोना-चाँदी के अन्य पात्र नहीं बनाए गए।
1 राजाओं 7:48 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) सुलेमान ने प्रभु के भवन की ये वस्तुएं भी बनाई थीं : स्वर्ण वेदी और स्वर्ण मेज, जिस पर ‘प्रभु-भेंट की रोटी’ रखी जाती थी; पवित्र बाइबल सुलैमान ने यह भी आदेश दिया कि मन्दिर के लिये सोने की बहुत सी चीज़ें बनाई जायें। सुलैमान ने मन्दिर के लिये सोने से जो चीज़ें बनाईं, वे ये हैं: सुनहली वेदी, सुनहली मेज (परमेश्वर को भेंट चढ़ाई गई विशेष रोटी इस मेज पर रखी जाती थी) शुद्ध सोने के दीपाधार (सर्वाधिक पवित्र स्थान के सामने ये पाँच दक्षिण की ओर, और पाँच उत्तर की ओर थे।) सुनहले फूल, दीपक और चिमटे, प्याले, दीपक को पूरे प्रकाश से जलता रखने के लिये औजार, कटोरे, कड़ाहियाँ, कोयला ले चलने के लिये उपयोग में आने वाली शुद्ध सोने की तश्तरियाँ और मन्दिर के प्रवेश द्वार के दरवाजे। Hindi Holy Bible यहोवा के भवन के जितने पात्र थे सुलैमान ने सब बनाए, अर्थात सोने की वेदी, और सोने की वह मेज़ जिस पर भेंट की रोटी रखी जाती थी, पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यहोवा के भवन के जितने पात्र थे सुलैमान ने सब बनाए, अर्थात् सोने की वेदी, और सोने की वह मेज़ जिस पर भेंट की रोटी रखी जाती थी, सरल हिन्दी बाइबल इस प्रकार शलोमोन ने याहवेह के भवन में इस्तेमाल के लिए ठहराए गए सभी बर्तनों का निर्माण पूरा किया: सोने की वेदी, भेंट की रोटी के लिए ठहराई गई सोने की मेज़, इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यहोवा के भवन के जितने पात्र थे सुलैमान ने सब बनाए, अर्थात् सोने की वेदी, और सोने की वह मेज जिस पर भेंट की रोटी रखी जाती थी, |
परन्तु प्रभु के भवन में चढ़ाए गए रुपयों से मन्दिर के लिए चांदी की चिलमचियां, चिमटे, प्याले, तुरहियां तथा सोना-चाँदी के अन्य पात्र नहीं बनाए गए।
जैसा प्रभु ने कहा था, बेबीलोन का राजा प्रभु-मन्दिर तथा राजमहल का सारा खजाना लूटकर ले गया। वह प्रभु-मन्दिर के सोने के पात्र, जिनको इस्राएली राष्ट्र के राजा सुलेमान ने बनाया था, टुकड़े-टुकड़े कर ले गया।
करछे तथा रक्त छिड़कने के पात्र भी ले गए। अंगरक्षकों का नायक सोने-चांदी के सब पात्र ले गया।
राजा सुलेमान ने परमेश्वर के भवन की ये वस्तुएं भी बनाईं: स्वर्ण वेदी और मेज, जिसपर ‘प्रभु-भेंट की रोटी’ रखी जाती थी;
उसने दस मेजें भी बनवाईं और उनको मन्दिर में रख दिया: पांच दाहिनी ओर और पांच बाईं ओर। इनके अतिरिक्त उसने रक्त छिड़कने के लिए सोने के सौ पात्र भी बनवाए।
‘चाँदी प्राप्त करने के लिए खदान होती है; सोने को शुद्ध करने के लिए भी एक स्थान होता है।
फाटक के ओसारे में ही उसके दोनों ओर, दो-दो तख्ते थे। इन तख्तों पर अग्नि-बलि, पाप-बलि और दोष-बलि में चढ़ाए जानेवाले पशु वध किए जाते थे।
वहां अग्नि-बलि चढ़ाने के लिए तराशे हुए पत्थरों की चार चौकियां थीं। प्रत्येक चौकी पचहत्तर सेन्टीमीटर लम्बी, पचहत्तर सेन्टीमीटर चौड़ी, और पचास सेन्टीमीटर ऊंची थी। इन चौकियों पर विशेष औजार रखे जाते थे, जिनसे अग्नि-बलि तथा अन्य बलि के पशुओं का वध किया जाता था।
वह लकड़ी की वेदी के समान था। वह डेढ़ मीटर ऊंचा, एक मीटर लम्बा और एक मीटर चौड़ा था। उसके कोने, उसका आधार और उसके अलंग लकड़ी के थे। उसने मुझसे कहा, ‘यह प्रभु के सम्मुख की मेज है।’
वे मेरे पवित्र स्थान में प्रवेश करेंगे। वे मेरी सेवा के लिए मेरी मेज के समीप आएंगे। वे ही मेरी सेवा का दायित्व संभालेंगे।
परन्तु तुम अपने इस विचार से कि प्रभु की मेज पवित्र नहीं है, उसे अपवित्र कर देते हो। अत: जो भोजन स्वयं तुम्हारी दृष्टि में तुच्छ है, वह तुम मेरी मेज पर चढ़ाते हो।’
उसने परमेश्वर के भवन में प्रवेश किया और अपने साथियों के साथ भेंट की रोटियाँ खायीं, जिनका खाना उसके और उसके साथियों के लिए मना था। भेंट की रोटियाँ केवल पुरोहित खा सकते थे।
आप प्रभु के कटोरे और भूतों के कटोरे, दोनों में से पी नहीं सकते। आप प्रभु की मेज़ और भूतों की मेज़, दोनों के सहभागी नहीं बन सकते।