मन्दिर के मध्य भाग के सम्मुख की ड्योढ़ी नौ मीटर चौड़ी थी। यह मन्दिर की चौड़ाई के बराबर थी। ड्योढ़ी मन्दिर के सम्मुख साढ़े चार मीटर लम्बी थी।
1 राजाओं 7:12 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) बड़े आंगन के चारों ओर एक दीवार थी, जिसमें गढ़े हुए पत्थरों के तीन रद्दों और देवदार के शहतीरों की एक परत थी; जैसा प्रभु-भवन के भीतर के आंगन में तथा भवन की ड्योढ़ी में था। पवित्र बाइबल महल के आँगन, मन्दिर के आँगन और मन्दिर के प्रवेश द्वार मण्डप के चारों ओर दीवारें थीं। वे दीवारें पत्थर की तीन पंक्तियों और देवदारु लकड़ी की एक पंक्ति से बनीं थीं। Hindi Holy Bible और बड़े आंगन के चारों ओर के घेरे में गढ़े हुए पत्थरों के तीन रद्दे, और देवदारु की कडिय़ों का एक परत था, जैसे कि यहोवा के भवन के भीतर वाले आंगन और भवन के ओसारे में लगे थे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) बड़े आँगन के चारों ओर के घेरे में गढ़े हुए पत्थरों के तीन रद्दे, और देवदारु की कड़ियों की एक परत थी, जैसे कि यहोवा के भवन के भीतरवाले आँगन और भवन के ओसारे में लगे थे। सरल हिन्दी बाइबल बड़े आंगन में चारों ओर काटी गई चट्टानों की तीन पंक्तियां थी. उसके बाद देवदार की छतों की एक पंक्ति; ठीक ऐसी ही संरचना याहवेह के भवन के भीतरी आंगन और भवन की बीच वाली ड्योढ़ी की थी. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 बड़े आँगन के चारों ओर के घेरे में गढ़े हुए पत्थरों के तीन रद्दे, और देवदार की कड़ियों की एक परत थी, जैसे कि यहोवा के भवन के भीतरवाले आँगन और भवन के ओसारे में लगे थे। |
मन्दिर के मध्य भाग के सम्मुख की ड्योढ़ी नौ मीटर चौड़ी थी। यह मन्दिर की चौड़ाई के बराबर थी। ड्योढ़ी मन्दिर के सम्मुख साढ़े चार मीटर लम्बी थी।
उसने आन्तरिक आंगन की दीवार को गढ़े हुए पत्थरों के तीन रद्दों से तथा देवदार के शहतीरों की एक परत से बनाया।
इन पत्थरों के ऊपर कीमती पत्थर और देवदार की लकड़ी थी। पत्थरों को नाप के अनुसार काटा गया था।
उसने खम्भों वाला एक बरामदा बनाया। उसकी लम्बाई साढ़े बाईस मीटर, और चौड़ाई साढ़े तेरह मीटर थी। बरामदे के सम्मुख स्तंभावलि तथा एक छज्जा था।
मनश्शे ने प्रभु के भवन के दो आंगनों में आकाश की सब प्राकृतिक शक्तियों की पूजा के लिए वेदियां बनाईं।
उसने पुरोहितों का आंगन, बड़ा आंगन, तथा आंगन के दरवाजे भी बनवाए, और उन दरवाजों को पीतल से मढ़ दिया।
वह मनुष्य पतरस और योहन के साथ लगा हुआ था। इसलिए सारी जनता, आश्चर्यचकित हो कर, सुलेमान नामक मण्डप में उनकी ओर दौड़ पड़ी।
प्रेरितों द्वारा जनता के बीच बहुत-से चिह्न तथा चमत्कार हो रहे थे। सब विश्वासी एक भाव से सुलेमान के मण्डप में एकत्र हुआ करते थे।