जो भवन राजा सुलेमान ने प्रभु के लिए बनाया, वह सत्ताइस मीटर लम्बा, नौ मीटर चौड़ा और साढ़े तेरह मीटर ऊंचा था।
1 राजाओं 6:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) इस्राएली लोगों के मिस्र देश से बाहर निकलने के चार सौ अस्सी वर्ष व्यतीत हो चुके थे। इस्राएली राष्ट्र पर सुलेमान के राज्य-काल का चौथा वर्ष था। इस वर्ष के दूसरे महीने में, अर्थात् ज़िव महीने में, राजा सुलेमान ने प्रभु के लिए भवन का निर्माण-कार्य आरम्भ किया। पवित्र बाइबल तब सुलैमान ने मन्दिर बनाना आरम्भ किया। यह इस्राएल के लोगों द्वारा मिस्र छोड़ने के चार सौ अस्सीवाँ वर्ष बाद था। यह राजा सुलैमान के इस्राएल पर शासन के चौथे वर्ष में था। यह वर्ष के दूसरे महीने जिव के माह में था। Hindi Holy Bible इस्राएलियों के मिस्र देश से निकलने के चार सौ अस्सीवें वर्ष के बाद जो सुलैमान के इस्राएल पर राज्य करने का चौथा वर्ष था, उसके जीव नाम दूसरे महीने में वह यहोवा का भवन बनाने लगा। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) इस्राएलियों के मिस्र देश से निकलने के चार सौ अस्सीवें वर्ष के बाद जो सुलैमान के इस्राएल पर राज्य करने का चौथा वर्ष था, उसके जीव नामक दूसरे महीने में वह यहोवा का भवन बनाने लगा। सरल हिन्दी बाइबल यह उस समय की बात है, जब इस्राएलियों को मिस्र देश से निकले हुए चार सौ अस्सी साल हो चुके थे, और इस्राएल पर शलोमोन के शासन के चार साल. शलोमोन ने साल के ज़ीव नामक दूसरे महीने में याहवेह के लिए भवन बनाना शुरू किया. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 इस्राएलियों के मिस्र देश से निकलने के चार सौ अस्सीवें वर्ष के बाद जो सुलैमान के इस्राएल पर राज्य करने का चौथा वर्ष था, उसके जीव नामक दूसरे महीने में वह यहोवा का भवन बनाने लगा। |
जो भवन राजा सुलेमान ने प्रभु के लिए बनाया, वह सत्ताइस मीटर लम्बा, नौ मीटर चौड़ा और साढ़े तेरह मीटर ऊंचा था।
मेरे पुत्र सुलेमान को यह वरदान दे: वह सम्पूर्ण हृदय से तेरी आज्ञाओं, सािक्षयों, संविधियों का पालन करे और उनके अनुसार आचरण करे। इस प्रकार वह इस भवन को बना सके जिसके लिए मैंने तैयारी की है।’
योहानान से अजर्याह उत्पन्न हुआ। (जिस मन्दिर को सुलेमान ने यरूशलेम में बनाया था, उसका पुरोहित यही अजर्याह था।)
उसने परमेश्वर के भवन की लम्बाई-चौड़ाई यह रखी: पुरानी नाप के अनुसार भवन सत्ताईस मीटर लम्बा, और नौ मीटर चौड़ा था।
तब उन्होंने हमें यह उत्तर दिया, ‘हम आकाश और पृथ्वी के सृष्टिकर्ता परमेश्वर के सेवक हैं। यह भवन जिसको आज हम फिर बना रहे हैं, बहुत पहले बना था। इसको इस्राएल देश के एक महान राजा ने बनाकर तैयार किया था।
उसने गगन सदृश ऊंचा पवित्र स्थान बनाया, और पृथ्वी के समान उसको दृढ़ किया; उसने सदा के लिए उसको स्थापित किया।
इसके पश्चात् वह मुझे मन्दिर के मध्यभाग में लाया। उसके दोनों ओर खम्भे थे जिन की मोटाई तीन-तीन मीटर थी।
पहाड़ पर जाओ; वहां से इमारती लकड़ी लाओ और मेरे भवन को बनाओ। तब मैं भवन को देखकर प्रसन्न होऊंगा, और अपनी महिमा प्रकट करूंगा। मैं-प्रभु तुमसे यह कह रहा हूं:
‘जो मेरे निज लोग दूर-दूर के देशों में तितर-बितर हैं, वे भी आएंगे और प्रभु के मन्दिर का निर्माण करने में सहायता करेंगे।’ तब तुम्हें ज्ञात होगा कि स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने मुझे तुम्हारे पास भेजा है। यदि तुम अपने प्रभु परमेश्वर की आज्ञाओं का तत्परतापूर्वक पालन करोगे, तो यह कार्य निश्चय ही पूरा होगा।
जब इस्राएली लोग मिस्र देश से निकल आए तब दूसरे वर्ष के दूसरे महीने के पहले दिन प्रभु सीनय के निर्जन प्रदेश में मिलन-शिविर में मूसा से बोला,
क्या आप यह नहीं जानते कि आपका शरीर पवित्र आत्मा का मन्दिर है? वह आप को परमेश्वर से प्राप्त हुआ है और वह आप में निवास करता है। आपका अपने पर अधिकार नहीं है;
परमेश्वर के मन्दिर का देवमूर्तियों से क्या समझौता? क्योंकि हम जीवन्त परमेश्वर के मन्दिर हैं, जैसा कि परमेश्वर ने कहा है : “मैं उन के बीच निवास करूँगा और उनके साथ चलूँगा। मैं उनका परमेश्वर होऊंगा और वे मेरी प्रजा होंगे।
उन्हीं में आपकी जड़ें गहरी हों और उन्हीं में अपना आध्यात्मिक निर्माण करें। आप को जिस विश्वास की शिक्षा प्राप्त हुई है, उसी में दृढ़ बने रहें और आपके हृदय में धन्यवाद की प्रार्थना उमड़ती रहे।
अब्राहम ने ऐसा किया, क्योंकि वह उस पक्की नींव वाले नगर की प्रतीक्षा में थे, जिसका वास्तुकार तथा निर्माता परमेश्वर है।
किन्तु अब मसीह हमारे भावी कल्याण के महापुरोहित के रूप में आये हैं। उन्होंने एक ऐसे महान् और सिद्धतर शिविर को पार किया, जो मनुष्य के हाथ से नहीं बना और इस पृथ्वी का नहीं है।
और जीवन्त पत्थरों के समान आत्मिक भवन में निर्मित हो जाएं। इस प्रकार आप पवित्र पुरोहित-वर्ग बन कर ऐसी आत्मिक बलि चढ़ा सकेंगे, जो येशु मसीह द्वारा परमेश्वर को स्वीकार हो।
जब इस्राएली तीन सौ वर्ष तक हेश्बोन नगर और उसके गाँवों में, अरोएर नगर और उसके गाँवों में तथा अर्नोन नदी के किनारे के समस्त नगरों में निवास करते रहे, तब आपने इस अवधि में उन नगरों और गाँवों को मुक्त क्यों नहीं किया?