मैं कल, इसी समय अपने सेवकों को तुम्हारे पास भेजूंगा। वे तुम्हारे महल और तुम्हारे दरबारियों के मकानों की तलाशी लेंगे। जो वस्तु तुम्हारी दृष्टि में प्रिय है, वे उसको अपने अधिकार में कर लेंगे और उसको छीन लेंगे।’
1 राजाओं 20:7 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) तब इस्राएल प्रदेश के राजा ने अपने प्रदेश के सब धर्मवृद्धों को बुलाया। उसने उनसे यह कहा, ‘आप इस बात पर विचार कीजिए। आप इस बात पर ध्यान दीजिए। यह व्यक्ति, बेन-हदद, हमसे झगड़ा मोल लेना चाहता है। उसने सन्देश भेजा है कि वह मेरा सोना-चांदी, मेरी स्त्रियां और बच्चे मुझसे छीन लेगा। मैं उसकी मांग को ठुकरा नहीं सकता।’ पवित्र बाइबल अत: राजा अहाब ने अपने देश के सभी अग्रजों (प्रमुखों) की एक बैठक बुलाई। अहाब ने कहा, “देखो बेन्हदद विपत्ति लाना चाहता है। प्रथम तो उसने मुझसे यह माँग की है कि मैं उसे अपनी पत्नियाँ, अपने बच्चे और अपना सोना—चाँदी दे दूँ। मैंने उसे वे चीजें देनी स्वीकार कर लीं और अब वह सब कुछ लेना चाहता है।” Hindi Holy Bible तब इस्राएल के राजा ने अपने देश के सब पुरनियों को बुलवा कर कहा, सोच विचार करो, कि वह मनुष्य हमारी हानि ही का अभिलाषी है; उसने मुझ से मेरी स्त्रियां, बालक, चान्दी सोना मंगा भेजा है, और मैं ने इन्कार न किया। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब इस्राएल के राजा ने अपने देश के सब पुरनियों को बुलवाकर कहा, “सोच विचार करो कि वह मनुष्य हमारी हानि ही का अभिलाषी है; उसने मुझ से मेरी स्त्रियाँ, बालक, चाँदी सोना मँगा भेजा है, और मैं ने इन्कार न किया।” सरल हिन्दी बाइबल यह सुन इस्राएल के राजा ने देश के सारे पुरनियों की एक सभा बुलाई और उन्हें यह कहा, “देख लीजिए, कैसे यह व्यक्ति हमसे झगड़ा मोल ले रहा है! वह मुझसे मेरी पत्नियां और संतान और मेरा सोना और चांदी छीनने की योजना बना रहा है! मैंने यह अस्वीकार नहीं किया है.” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब इस्राएल के राजा ने अपने देश के सब पुरनियों को बुलवाकर कहा, “सोच विचार करो, कि वह मनुष्य हमारी हानि ही का अभिलाषी है; उसने मुझसे मेरी स्त्रियाँ, बालक, चाँदी सोना मँगवा भेजा है, और मैंने इन्कार न किया।” |
मैं कल, इसी समय अपने सेवकों को तुम्हारे पास भेजूंगा। वे तुम्हारे महल और तुम्हारे दरबारियों के मकानों की तलाशी लेंगे। जो वस्तु तुम्हारी दृष्टि में प्रिय है, वे उसको अपने अधिकार में कर लेंगे और उसको छीन लेंगे।’
धर्मवृद्धों ने और सब लोगों ने कहा, ‘आप उसकी बात को मत सुनिए। आप उसकी मांग से सहमत मत होइए।’
ईजेबेल ने राजा अहाब के नाम में पत्र लिखे। उसने उन पर अहाब की मुहर लगाई। तत्पश्चात् ईजेबेल ने पत्रों को नाबोत के नगर में रहने वाले धर्मवृद्धों और अभिजात वर्ग के लोगों के पास भेजा।
सुलेमान ने दाऊदपुर से, जिसको सियोन कहते हैं, प्रभु की विधान-मंजूषा को लाने के लिए इस्राएली राष्ट्र के सब धर्मवृद्धों को यरूशलेम में बुलाया। ये धर्मवृद्ध कुलाधिपति और इस्राएली पितृकुलों के मुखिया थे।
जब इस्राएल प्रदेश के राजा ने यह पत्र पढ़ा, तब उसने संकट और घृणा को प्रकट करने के लिए अपने वस्त्र फाड़े और यह कहा, ‘क्या मैं ईश्वर हूं, जो प्राण लेता और प्राण देता है! देखो, इस आदमी ने मेरे पास सन्देश भेजा है कि मैं इस मनुष्य को उसके कोढ़ से स्वस्थ करूं! इसकी बात सुनो, ध्यान दो, और देखो कि सीरिया देश का राजा किस प्रकार मुझसे युद्ध करने का बहाना ढूंढ़ रहा है।’
दाऊद ने हजार-हजार और सौ-सौ व्यक्तियों के नेताओं से, वस्तुत: प्रत्येक नायक से विचार-विमर्श किया।
दाऊद ने यरूशलेम नगर में इस्राएली राष्ट्र के सब उच्चाधिकारियों को एकत्र किया। ये विभिन्न कुलों के मुखिया, राजा की शासकीय सेवा में संलग्न विभिन्न विभागों के अध्यक्ष, हजार-हजार सैनिक दलों के नायक, सौ-सौ सैनिक दलों के नायक, राजकीय धन-सम्पत्ति के कोषाध्यक्ष, राजा और राजपुत्रों की पशु-शालाओं के अधिकारी थे। इनके अतिरिक्त खोजा, योद्धा और सशक्त सैनिक यरूशलेम नगर में एकत्र हुए।
उन्हें अनिष्ट का गर्भ रहता है, और वे अधर्म को जन्म देते हैं। वे अपने अंत: करण में छल-कपट गढ़ते हैं।’
वह अपनी शैया पर लेटे-लेटे बुराई की योजनाएं बनाता है; वह अपने को उस मार्ग पर ले जाता है, जो भला नहीं है। वह बुराई को धिक्कारता नहीं।
ओ शत्रुओ! तुम कब तक एक ही मनुष्य पर आक्रमण करते रहोगे कि सब उसे मार डालो, जैसे झुकी दीवार को, गिरती भीत को?
पथ-प्रदर्शन के अभाव में कौम का पतन हो जाता है; पर यदि उचित परामर्श देनेवाले मंत्री बहुत हों तो राष्ट्र सुरक्षित रहता है।
जो भलाई करने के लिए सदा प्रयत्न करता है, वह मनुष्य और परमेश्वर दोनों की कृपा प्राप्त करता है; पर जो बुराई की तलाश में रहता है उसको बुराई ही मिलती है।
तब दोनों राजाओं के मन कुकर्म करने पर उतारू हो जाएंगे। वे एक ही मेज पर बैठकर भी एक दूसरे से झूठ बोलेंगे। परन्तु उससे कुछ लाभ न होगा; क्योंकि निश्चित किए गए युगान्त की अवधि अब तक समाप्त नहीं हो पायी है।