अत: राजा दाऊद ने गिबओनी लोगों को बुलाया। गिबओनी लोग इस्राएली जाति के नहीं थे। वे एमोरी जाति के बचे हुए वंशज थे। यद्यपि इस्राएलियों ने उनसे शपथ खाई थी कि वे उन्हें नहीं मारेंगे, तो भी शाऊल ने इस्राएल और यहूदा प्रदेश की जनता के प्रति अपने धार्मिक उत्साह के कारण इनको नष्ट करने का प्रयत्न किया था।
राजा ने दूत भेजा, और शिमई को बुलाया। उसने उससे कहा, ‘क्या मैंने तुम्हें प्रभु की शपथ नहीं दी थी? क्या मैंने तुम्हें यह गम्भीर चेतावनी नहीं दी थी: “जिस दिन तुम नगर से बाहर निकलोगे, कहीं जाओगे, तो तुम्हें निश्चय ही मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा। तुम यह बात अच्छी तरह से जान लो!” तुमने मुझसे कहा था, “आपकी बात ठीक है। मैं आपकी आज्ञा का पालन करूंगा।”
राजा ने शिमई से यह भी कहा, ‘जो दुष्कर्म तुमने मेरे पिता दाऊद के साथ किए थे, उन सबको तुम अपने हृदय में जानते हो। अत: प्रभु तुम्हारे दुष्कर्मों का फल तुम्हारे ही सिर पर डालेगा।
यहूदा प्रदेश में भी परमेश्वर ने अपना सामर्थ्य प्रकट किया और निवासियों को एकमत किया कि वे राजा हिजकियाह और उसके उच्चाधिकारियों की राजाज्ञा को मानें, जो उन्होंने प्रभु की वाणी के अनुसार दी थी।