1 राजाओं 2:42 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) राजा ने दूत भेजा, और शिमई को बुलाया। उसने उससे कहा, ‘क्या मैंने तुम्हें प्रभु की शपथ नहीं दी थी? क्या मैंने तुम्हें यह गम्भीर चेतावनी नहीं दी थी: “जिस दिन तुम नगर से बाहर निकलोगे, कहीं जाओगे, तो तुम्हें निश्चय ही मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा। तुम यह बात अच्छी तरह से जान लो!” तुमने मुझसे कहा था, “आपकी बात ठीक है। मैं आपकी आज्ञा का पालन करूंगा।” पवित्र बाइबल इसलिये सुलैमान ने उसे बुलवाया। सुलैमान ने कहा, “मैंने यहोवा के नाम पर तुमसे यह प्रतिज्ञा की थी कि यदि तुम यरूशलेम छोड़ोगे, तो मारे जाओगे। मैंने चेतावनी दी थी कि यदि तुम अन्य कहीं जाओगे तो तुम्हारे मारे जाने का दोष तुम्हारा होगा और मैंने जो कुछ कहा था तुमने उसे स्वीकार किया था। तुमने कहा कि तुम मेरी आज्ञा का पालन करोगे। Hindi Holy Bible तब उसने शिमी को बुलवा भेजा, और उस से कहा, क्या मैं ने तुझे यहोवा की शपथ न खिलाई थी? और तुझ से चिता कर न कहा था, कि यह निश्चय जान रख कि जिस दिन तू निकल कर कहीं चला जाए, उसी दिन तू नि:सन्देह मार डाला जाएगा? और क्या तू ने मुझ से न कहा था, कि जो बात मैं ने सुनी, वह अच्छी है? पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब उसने शिमी को बुलवा भेजा, और उससे कहा, “क्या मैं ने तुझे यहोवा की शपथ न खिलाई थी? और तुझ से चिताकर न कहा था, ‘यह निश्चय जान रख कि जिस दिन तू निकलकर कहीं चला जाए, उसी दिन तू नि:सन्देह मार डाला जाएगा?’ और क्या तू ने मुझ से न कहा था, ‘जो बात मैं ने सुनी, वह अच्छी है?’ सरल हिन्दी बाइबल यह सुनकर राजा शिमेई को बुलाने का आदेश दिया. राजा ने शिमेई से प्रश्न किया, “क्या मैंने बड़ी गंभीरता से आपसे याहवेह की शपथ लेकर यह चेतावनी न दी थी, ‘जिस दिन आप येरूशलेम से बाहर निकलें, यह समझ लीजिए कि आपकी मृत्यु तय होगी’? जिसके उत्तर में आपने ही कहा था, ‘महाराज, मेरे स्वामी द्वारा दिए गए निर्देश सही ही हैं.’ इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब उसने शिमी को बुलवा भेजा, और उससे कहा, “क्या मैंने तुझे यहोवा की शपथ न खिलाई थी? और तुझ से चिताकर न कहा था, ‘यह निश्चय जान रख कि जिस दिन तू निकलकर कहीं चला जाए, उसी दिन तू निःसन्देह मार डाला जाएगा?’ और क्या तूने मुझसे न कहा था, ‘जो बात मैंने सुनी, वह अच्छी है?’ |
तब तुमने प्रभु की सौगन्ध को पूरा क्यों नहीं किया? जो आज्ञा मैंने तुम्हें दी थी, उसका पालन क्यों नहीं किया?’
जिसकी दृष्टि में अधार्मिक मनुष्य तुच्छ है, पर जो प्रभु के भक्तों का आदर करता है, जो हानि उठाकर भी अपने वचन से नहीं फिरता,
परन्तु पिता ने अपने सेवकों से कहा, ‘शीघ्र अच्छे-से-अच्छे वस्त्र ला कर इस को पहनाओ और इसकी उँगली में अँगूठी और इसके पैरों में जूते पहना दो।
स्वामी ने उससे कहा, ‘दुष्ट सेवक! मैं तेरे ही शब्दों से तेरा न्याय करूँगा। तू जानता था कि मैं निर्दय व्यक्ति हूँ। मैंने जो जमा नहीं किया, उसे निकालता हूँ और जो नहीं बोया, उसे काटता हूँ।