1 पतरस 2:21 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) इसलिए तो आप बुलाये गये हैं, क्योंकि मसीह ने आप लोगों के लिए दु:ख भोगा और आप को उदाहरण दिया, जिससे आप उनके पद-चिह्नों पर चलें। पवित्र बाइबल परमेश्वर ने तुम्हें इसलिए बुलाया है क्योंकि मसीह ने भी हमारे लिए दुःख उठाये हैं और ऐसा करके हमारे लिए एक उदाहरण छोड़ा है ताकि हम भी उसी के चरण चिन्हों पर चल सकें। Hindi Holy Bible और तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दुख उठा कर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है, कि तुम भी उसके चिन्ह पर चलो। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो, क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दु:ख उठाकर तुम्हें एक आदर्श दे गया है कि तुम भी उसके पद–चिह्नों पर चलो। नवीन हिंदी बाइबल तुम इसी लिए बुलाए गए हो, क्योंकि मसीह ने भी तुम्हारे लिए दुःख उठाया, और तुम्हारे लिए एक आदर्श छोड़ गया कि तुम उसके पद-चिह्नों पर चलो। सरल हिन्दी बाइबल इसी के लिए तुम बुलाए गए हो क्योंकि मसीह ने भी तुम्हारे लिए दुःख सहे और एक आदर्श छोड़ गए कि तुम उनके पद-चिह्नों पर चलो. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और तुम इसी के लिये बुलाए भी गए हो क्योंकि मसीह भी तुम्हारे लिये दुःख उठाकर, तुम्हें एक आदर्श दे गया है कि तुम भी उसके पद-चिन्ह पर चलो। |
मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूँ। इस तरह तुम अपनी आत्मा में शान्ति पाओगे,
इसके पश्चात् येशु ने अपने शिष्यों से कहा, “जो मेरा अनुसरण करना चाहता है, वह आत्मत्याग करे और अपना क्रूस उठा कर मेरे पीछे हो ले;
क्या यह अनिवार्य नहीं था कि मसीह यह सब दु:ख भोगें और इस प्रकार अपनी महिमा में प्रवेश करें?”
मैंने तुम्हें एक उदाहरण दिया है, जिससे जैसा मैंने तुम्हारे साथ किया है, वैसा ही तुम भी किया करो।
मैंने तुम से यह सब इसलिए कहा है कि तुम मुझ में शान्ति प्राप्त कर सको। संसार में तुम्हें क्लेश सहना पड़ेगा। परन्तु धैर्य रखो; मैंने संसार पर विजय पायी है।”
वे शिष्यों का मन सुदृढ़ करते और उन्हें विश्वास में स्थिर रहने के लिए प्रोत्साहित करते थे, और कहते थे कि हमें बहुत-से कष्ट सह कर परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना है।
यह प्रमाणित किया कि मसीह के लिए दु:ख भोगना और मृतकों में से जी उठना आवश्यक था। उन्होंने यह भी कहा, “येशु ही, जिनका मैं आप लोगों के बीच प्रचार करता हूँ, मसीह हैं।”
क्योंकि परमेश्वर ने निश्चित किया कि जिन्हें उसने पहले से अपना समझा, वे उसके पुत्र के प्रतिरूप बनाये जायेंगे, जिससे उसका पुत्र इस प्रकार बहुत-से भाई-बहिनों में पहिलौठा हो।
आप प्रेम के मार्ग पर चलें, जिस तरह मसीह ने हम लोगों से प्रेम किया और सुगन्धित भेंट तथा बलि के रूप में परमेश्वर के प्रति अपने को हमारे लिए अर्पित कर दिया।
जिससे कोई भी विश्वासी भाई और बहिन इन विपत्तियों के कारण विचलित न हों। आप लोग जानते हैं कि हमारे लिए ऐसे कष्टों का आना अनिवार्य है।
वास्तव में जो लोग येशु मसीह के शिष्य बन कर भक्तिपूर्वक जीवन बिताना चाहेंगे, उन सबको अत्याचार सहना ही पड़ेगा।
परमेश्वर, जिसके कारण और जिसके द्वारा सब कुछ होता है, बहुत-से पुत्र-पुत्रियों को महिमा तक ले जाना चाहता था। इसलिए यह उचित था कि वह उन सब की मुक्ति के प्रवर्तक को, अर्थात् येशु को दु:खभोग द्वारा पूर्ण सिद्ध बनाए।
वह संसार की सृष्टि से पहले ही नियुक्त किये गये थे, किन्तु समय के अन्त में आप के लिए प्रकट हुए।
वह अपने शरीर में हमारे पापों को क्रूस के काठ पर ले गये, जिससे हम पाप के लिए मृत हो कर धार्मिकता के लिए जीने लगें। आप उनके घावों द्वारा स्वस्थ हो गये हैं।
मसीह ने भी एक बार ही पापों के प्रायश्चित के लिए दु:ख भोगा; धर्मी अधर्मियों के लिए मर गये, जिससे वह आप लोगों को परमेश्वर के पास ले जायें। वह शरीर की दृष्टि से तो मारे गये, किन्तु आत्मा द्वारा जिलाये गये।
आप बुराई के बदले बुराई न करें और गाली के बदले गाली नहीं, बल्कि आशीर्वाद दें। ऐसा ही करने के लिए आप बुलाये गये हैं, जिससे आप विरासत के रूप में आशीर्वाद प्राप्त कर सकें;
मसीह ने अपने शरीर में दु:ख भोगा; इसलिए आप भी शस्त्र की तरह यही मनोभाव धारण करें कि जिसने अपने शरीर में दु:ख भोगा है, उसने पाप से सम्बन्ध तोड़ लिया है
यदि आप लोगों पर अत्याचार किया जाये, तो मसीह के दु:खभोग के सहभागी बन जाने के नाते आप प्रसन्न हो जायें। जिस दिन मसीह की महिमा प्रकट होगी, आप लोग अत्यधिक आनन्दित हो उठेंगे।
जो व्यक्ति कहता है कि मैं उस में निवास करता हूँ, उसे वैसा ही आचरण करना चाहिए, जैसा आचरण मसीह ने किया।
हम प्रेम का मर्म इसी से पहचान गये कि येशु ने हमारे लिए अपना प्राण अर्पित किया तो हमें भी अपने भाई-बहिनों के लिए अपना प्राण अर्पित करना चाहिए।
“वे मेमने के रक्त के द्वारा और अपनी साक्षी के वचन के द्वारा शैतान पर विजयी हुए; क्योंकि उन्होंने अपने जीवन का मोह छोड़कर मृत्यु का स्वागत किया।