वहां एक राजमार्ग होगा, वह ‘पवित्र मार्ग’ कहलाएगा। कोई अपवित्र प्राणी उस पर नहीं चलेगा। मूर्ख उस पर पैर भी नहीं रख सकेंगे।
1 पतरस 1:15 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जिसने आप को बुलाया, वह पवित्र है। आप भी उसके सदृश अपने समस्त आचरण में पवित्र बनें; पवित्र बाइबल बल्कि जैसे तुम्हें बुलाने वाला परमेश्वर पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने प्रत्येक कर्म में पवित्र बनो। Hindi Holy Bible पर जैसा तुम्हारा बुलाने वाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) पर जैसा तुम्हारा बुलानेवाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चालचलन में पवित्र बनो। नवीन हिंदी बाइबल परंतु जैसा तुम्हारा बुलानेवाला पवित्र है वैसे ही तुम भी अपने समस्त आचरण में पवित्र बनो, सरल हिन्दी बाइबल अपने पवित्र बुलानेवाले के समान तुम स्वयं अपने सारे स्वभाव में पवित्र हो जाओ; इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 पर जैसा तुम्हारा बुलानेवाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल-चलन में पवित्र बनो। |
वहां एक राजमार्ग होगा, वह ‘पवित्र मार्ग’ कहलाएगा। कोई अपवित्र प्राणी उस पर नहीं चलेगा। मूर्ख उस पर पैर भी नहीं रख सकेंगे।
एक दूत दूसरे दूत से उच्च स्वर में यह कह रहा था : ‘पवित्र, पवित्र, स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु पवित्र है। सम्पूर्ण पृथ्वी उसके तेज से परिपूर्ण है।’
ऐसे दया के पात्र हम हैं, जिन्हें उसने न केवल यहूदियों में से बुलाया है, बल्कि गैर-यहूदियों में से भी।
प्रिय भाइयो और बहिनो! हमें इस प्रकार की प्रतिज्ञाएं मिली हैं। इसलिए हम शरीर और मन के हर प्रकार के दूषण से अपने को शुद्ध करें और परमेश्वर पर श्रद्धा-भक्ति रखते हुए पवित्रता की परिपूर्णता तक पहुँचने का प्रयत्न करते रहें।
आप लोग एक बात का ध्यान रखें : आपका आचरण मसीह के शुभ समाचार के योग्य हो। इस तरह मैं चाहे आ कर आप से मिलूँ, चाहे दूर रह कर आप के विषय में सुनूँ, मुझे यही मालूम हो कि आप एक-प्राण हो कर विश्वास में अटल बने हुए हैं, एक-हृदय हो कर शुभसमाचार में विश्वास के लिए मेरे साथ प्रयत्नशील हैं
मैं बड़ी उत्सुकता से अपने लक्ष्य की ओर दौड़ रहा हूँ, ताकि मैं स्वर्ग में वह पुरस्कार प्राप्त कर सकूँ जिसके लिए परमेश्वर ने हमें येशु मसीह में बुलाया है।
हमारा स्वदेश तो स्वर्ग है और हम स्वर्ग से आने वाले अपने मुक्तिदाता प्रभु येशु मसीह की राह देखते रहते हैं।
उपदेश और सान्त्वना देते और अनुरोध करते थे कि आप उस परमेश्वर के योग्य जीवन बितायें, जो आप को अपने राज्य की महिमा के लिए बुलाता है।
तुम्हारी युवावस्था के कारण कोई तुम्हारा तिरस्कार न करे। तुम वचन, कर्म, प्रेम, विश्वास और शुद्धता में विश्वासियों के आदर्श बनो।
परमेश्वर ने हमारा उद्धार किया और हमें पवित्र जीवन बिताने के लिए बुलाया है। उसने हमारे किसी पुण्य के कारण नहीं, बल्कि अपने उद्देश्य तथा अपनी कृपा के कारण ऐसा किया है। वह कृपा अनादि काल से येशु मसीह द्वारा हमें प्राप्त थी,
हमारे अपने लोग भी कोई अच्छा व्यवसाय करना सीखें। इस प्रकार वे अपनी मूल आवश्यकताएं पूरी कर सकेंगे और उनका जीवन निष्फल न होगा।
यह बात विश्वसनीय है और मैं चाहता हूँ कि तुम इस पर बल देते रहो। जो लोग परमेश्वर में विश्वास कर चुके हैं, वे भले कामों में लगे रहने के लिए उत्सुक हों। यह उत्तम है और मनुष्यों के लिए लाभदायक भी।
सब के साथ शान्ति बनायें रखें और पवित्रता की साधना करें। इसके बिना कोई व्यक्ति प्रभु के दर्शन नहीं कर पायेगा।
आप लोग धन का लालच न करें। जो आपके पास है, उस से सन्तुष्ट रहें; क्योंकि परमेश्वर ने स्वयं कहा है, “मैं तुझको नहीं छोड़ूँगा। मैं तुझको कभी नहीं त्यागूँगा।”
आप लोगों में जो ज्ञानी और समझदार होने का दावा करता है, वह अपने सदाचरण द्वारा, अपने नम्र तथा बुद्धिमान व्यवहार द्वारा इस बात का प्रमाण दे।
अन्यधर्मियों के बीच आप लोगों का आचरण निर्दोष हो। इस प्रकार जो अब आप को कुकर्मी कहकर आपकी निन्दा करते हैं, वे आपके सत्कर्मों को देख कर कृपा-दिवस पर परमेश्वर की स्तुति करेंगे।
परन्तु आप लोग चुने हुए वंश, राजकीय पुरोहित-वर्ग, पवित्र राष्ट्र तथा परमेश्वर की अपनी निजी प्रजा हैं, जिससे आप उसी के महान् कार्यों की घोषणा करें, जो आप लोगों को अन्धकार में से निकाल कर अपनी अलौकिक ज्योति में बुला लाया है।
परमेश्वर ने, जो सम्पूर्ण अनुग्रह का स्रोत है, आप लोगों को येशु मसीह में अपनी शाश्वत महिमा का भागीदार बनने के लिए बुलाया है। वह, आपके थोड़े ही समय तक दु:ख भोगने के बाद, आप को परिपूर्ण, सुस्थिर, समर्थ तथा सुदृढ़ बनायेगा।
“फ़िलदेलफिया की कलीसिया के दूत को यह लिखो : “जो पवित्र और सच्चा है, जिसके पास दाऊद की कुंजी है, जिसके खोलने पर कोई नहीं बन्द कर सकता और जिसके बन्द करने पर कोई नहीं खोल सकता, उसका सन्देश इस प्रकार है :
चारों प्राणियों के छह-छह पंख हैं; वे भीतर-बाहर आँखों से भरे हुए हैं और रात-दिन निरन्तर यह कहते रहते हैं। “पवित्र, पवित्र, पवित्र सर्वशक्तिमान प्रभु परमेश्वर! जो था, जो है और जो आनेवाला है।”
वे ऊंचे स्वर में यह कहते हुए पुकार रहे थे : “परमपावन एवं सत्यप्रतिज्ञ स्वामी! आप न्याय करने में और पृथ्वी के निवासियों को हमारे रक्त का बदला चुकाने में कब तक देर करेंगे?”