यदि वह तुम्हारी बात नहीं मानता है, तो अपने साथ दो-एक व्यक्तियों को ले जाओ ताकि दो या तीन गवाहों के सामने सब कुछ प्रमाणित हो जाए।
1 तीमुथियुस 5:19 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जब तक दो या तीन गवाह उसका समर्थन न करें, तब तक किसी धर्मवृद्ध के विरुद्ध कोई अभियोग स्वीकार मत करो। पवित्र बाइबल किसी बुज़ुर्ग पर लगाए गए किसी लांछन को तब तक स्वीकार मत करो जब तक दो या तीन गवाहियाँ न हों। Hindi Holy Bible कोई दोष किसी प्राचीन पर लगाया जाए तो बिना दो या तीन गवाहों के उस को न सुन। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) कोई दोष किसी प्राचीन पर लगाया जाए तो बिना दो या तीन गवाहों के उसको न सुन। नवीन हिंदी बाइबल किसी प्रवर के विरुद्ध लगे आरोप को तब तक न मानना, जब तक दो या तीन गवाह न हों। सरल हिन्दी बाइबल किसी भी कलीसिया-प्राचीन के विरुद्ध दो या तीन गवाहों के बिना कोई भी आरोप स्वीकार न करो. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 कोई दोष किसी प्राचीन पर लगाया जाए तो बिना दो या तीन गवाहों के उसको स्वीकार न करना। (व्यव. 17:6, व्यव. 19:15) |
यदि वह तुम्हारी बात नहीं मानता है, तो अपने साथ दो-एक व्यक्तियों को ले जाओ ताकि दो या तीन गवाहों के सामने सब कुछ प्रमाणित हो जाए।
इसलिए राज्यपाल पिलातुस बाहर आ कर उनसे मिला और बोला, “तुम लोग इस मनुष्य पर कौन-सा अभियोग लगाते हो?”
मैंने उत्तर दिया, ‘जब तक अभियुक्त को अभियोगियों के आमने-सामने न खड़ा किया जाये और उसे अभियोग के विषय में सफ़ाई देने का अवसर न मिले, तब तक अभियुक्त को अभियोगियों के हवाले करना रोमियों की प्रथा नहीं है।’
अब मैं तीसरी बार आप लोगों के यहाँ आने वाला हूँ। धर्मग्रन्थ में कहा गया है, “दो या तीन गवाहों की गवाही द्वारा सब कुछ प्रमाणित किया जाएगा।”
‘जिस व्यक्ति पर मृत्यु-दण्ड का आरोप है, उसे दो अथवा तीन व्यक्तियों की गवाही के आधार पर मृत्यु-दण्ड दिया जाएगा। एक गवाह की गवाही के आधार पर किसी को मृत्यु-दण्ड नहीं दिया जाएगा।
‘किसी मनुष्य के विरुद्ध उसके कुकर्म अथवा पाप के विषय में, चाहे उसने किसी भी प्रकार का पाप क्यों न किया हो, केवल एक व्यक्ति की गवाही प्रमाणित नहीं मानी जाएगी, वरन् दो या तीन व्यक्तियों की गवाही के आधार पर अभियोग प्रमाणित माना जाएगा।
उस आध्यात्मिक वरदान की उपेक्षा मत करो, जो तुम में विद्यमान है और तुम्हें नबूवत द्वारा धर्मवृद्धों के हाथ रखते समय प्राप्त हुआ था।
जो धर्मवृद्ध नेतृत्व करने में सफलता प्राप्त करते हैं, वे दुगुने सम्मान के योग्य समझे जायें-विशेष रूप से वे, जो प्रचार और शिक्षा-कार्य में लगे हुए हैं;
उन में से प्रत्येक अनिन्दनीय और पत्नीव्रती हो। उसके पुत्र-पुत्रियाँ विश्वासी हों, लम्पटता और अनुशासनहीनता के दोष से मुक्त हों।
जो व्यक्ति मूसा की व्यवस्था का उल्लंघन करता है, यदि उसे दो या तीन गवाहों के आधार पर निर्ममता से प्राण-दण्ड दिया जाता है,