1 कुरिन्थियों 7:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) व्यभिचार की आशंका के कारण हर पुरुष की अपनी पत्नी हो और हर स्त्री का अपना पति। पवित्र बाइबल किन्तु यौन अनैतिकता की घटनाओं की सम्भावनाओं के कारण हर पुरुष की अपनी पत्नी होनी चाहिये और हर स्त्री का अपना पति। Hindi Holy Bible परन्तु व्यभिचार के डर से हर एक पुरूष की पत्नी, और हर एक स्त्री का पति हो। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) परन्तु व्यभिचार के डर से हर एक पुरुष की पत्नी, और हर एक स्त्री का पति हो। नवीन हिंदी बाइबल परंतु व्यभिचार से बचने के लिए प्रत्येक पुरुष की अपनी पत्नी हो, और प्रत्येक स्त्री का अपना पति। सरल हिन्दी बाइबल किंतु व्यभिचार से बचने के लिए हर एक पुरुष की अपनी पत्नी तथा हर एक स्त्री का अपना पति हो. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 परन्तु व्यभिचार के डर से हर एक पुरुष की पत्नी, और हर एक स्त्री का पति हो। |
मकान और धन-सम्पत्ति पूर्वजों से प्राप्त होती है; किन्तु बुद्धिमति पत्नी केवल प्रभु ही देता है।
तुम यह पूछते हो, ‘प्रभु ऐसा क्यों कर रहा है?’ सुनो, जब तुमने युवावस्था में विवाह किया था, तब तुम्हारी युवावस्था की पत्नी और तुम्हारे मध्य स्थापित विवाह की प्रतिज्ञा में प्रभु भी साक्षी था। अब तुम अपनी युवावस्था की पत्नी के प्रति विश्वासघात कर रहे हो, जबकि वह विवाह की प्रतिज्ञा के अनुसार तुम्हारी जीवन-साथी और पत्नी है।
परन्तु मैं तुम से कहता हूँ : व्यभिचार को छोड़ किसी अन्य कारण से जो कोई अपनी पत्नी का परित्याग करता है, वह उस से व्यभिचार कराता है और जो परित्यक्ता से विवाह करता है, वह व्यभिचार करता है।
व्यभिचार से दूर रहें। मनुष्य के दूसरे सभी पाप उसके शरीर से बाहर हैं, किन्तु व्यभिचार करने वाला अपने ही शरीर के विरुद्ध पाप करता है।
अब वे बातें लें, जिनके विषय में आप लोगों ने पत्र में लिखकर पूछा है : “स्त्री से संबंध नहीं रखना पुरुष के लिए उत्तम है”। इसके विषय में मेरा विचार यह है :
यदि वे आत्मसंयम नहीं रख सकते, तो विवाह करें; क्योंकि वासना से जलने की अपेक्षा विवाह करना अच्छा है।
इसी प्रकार उचित है कि पति अपनी पत्नी से प्रेम करे, मानो वह उसकी अपनी देह है। क्योंकि जो अपनी पत्नी से प्रेम करता है, वह अपने आपसे प्रेम करता है।
जो भी हो, आप लोगों में हर एक पति अपनी पत्नी को अपने समान प्रेम करे और पत्नी अपने पति का आदर-सम्मान करे।
आप में से प्रत्येक व्यक्ति संयम सीख कर अपने शरीर को पवित्र बनाये रखे और उसका सम्मान करे।
जो विवाह का निषेध करते हैं और कुछ भोज्य वस्तुओं से परहेज करने का आदेश देते हैं−यद्यपि परमेश्वर ने उन वस्तुओं की सृष्टि इसलिए की है कि सत्य जानने वाले विश्वासी धन्यवाद देते हुए उन्हें ग्रहण करें।
यदि उन कन्याओं के पिता अथवा भाई हमसे शिकायत करने आएँगे तो हम उनसे यह कहेंगे, “हम पर कृपा कीजिए, और कन्याएँ उन्हें दे दीजिए। हमने युद्ध में प्रत्येक बिन्यामिनी पुरुष के लिए स्त्री नहीं ली थी। आप लोगों ने भी उन्हें ये कन्याएँ नहीं दी थीं। यदि आप ऐसा करते तो अपनी शपथ भी तोड़ते और दोषी ठहरते।” ’