उन्होंने उत्तर दिया, “यह इसलिए है कि स्वर्गराज्य के रहस्यों का ज्ञान तुम्हें दिया गया है, उन लोगों को नहीं;
1 कुरिन्थियों 4:1 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) लोग हमें मसीह के सेवक और परमेश्वर के रहस्यों के प्रबन्धकर्त्ता समझें। पवित्र बाइबल हमारे बारे में किसी व्यक्ति को इस प्रकार सोचना चाहिये कि हम लोग मसीह के सेवक हैं। परमेश्वर ने हमें और रहस्यपूर्ण सत्य सौंपे हैं। Hindi Holy Bible मनुष्य हमें मसीह के सेवक और परमेश्वर के भेदों के भण्डारी समझे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) मनुष्य हमें मसीह के सेवक और परमेश्वर के भेदों के भण्डारी समझे। नवीन हिंदी बाइबल मनुष्य हमें मसीह के सेवक और परमेश्वर के भेदों के प्रबंधक समझे। सरल हिन्दी बाइबल सही तो यह होगा कि हमें मसीह येशु का भंडारी मात्र समझा जाए, जिन्हें परमेश्वर के भेदों की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 मनुष्य हमें मसीह के सेवक और परमेश्वर के भेदों के भण्डारी समझे। |
उन्होंने उत्तर दिया, “यह इसलिए है कि स्वर्गराज्य के रहस्यों का ज्ञान तुम्हें दिया गया है, उन लोगों को नहीं;
“वह विश्वास-पात्र और बुद्धिमान सेवक कौन है, जिसे उसके स्वामी ने अपने घर के अन्य सेवक-सेविकाओं पर नियुक्त किया है, ताकि वह निश्चित् समय पर उन्हें भोजन सामग्री बाँटा करे?
येशु ने उत्तर दिया, “परमेश्वर के राज्य का भेद तुम्हें दिया गया है; पर उन के लिए जो बाहर हैं प्रत्येक बात पहेली है,
प्रभु ने कहा, “कौन ऐसा ईमानदार और बुद्धिमान प्रबंधक है, जिसे उसका स्वामी अपने सेवक-सेविकाओं पर नियुक्त करे ताकि वह निश्चित् समय पर उन्हें निर्धारित भोजन दे?
उन्होंने कहा, “परमेश्वर के राज्य के रहस्यों का ज्ञान तुम लोगों को दिया गया है; पर दूसरों को केवल दृष्टान्त मिले, जिससे वे देखते हुए भी नहीं देखें और सुनते हुए भी नहीं समझें।
भाइयो और बहिनो! कहीं ऐसा न हो कि आप अपने को बहुत बुद्धिमान समझ बैठें। इसलिए मैं आप लोगों पर यह रहस्य प्रकट करना चाहता हूँ—इस्राएल का एक भाग तब तक अन्धा बना रहेगा, जब तक गैर-यहूदियों की पूरी जनसंख्या का प्रवेश न हो जाये।
उस परमेश्वर की स्तुति हो, जो आप लोगों को मेरे शुभसमाचार तथा येशु मसीह के संदेश के अनुसार सुदृढ़ रखने में समर्थ है। यह शुभसंदेश उस रहस्य का उद्घाटन है, जो युगों से छिपा हुआ था,
हम परमेश्वर की उस रहस्यमय प्रज्ञ और उद्देश्य की घोषणा करते हैं, जो अब तक गुप्त रहे, जिन्हें परमेश्वर ने संसार की सृष्टि से पहले ही हमारी महिमा के लिए निश्चित किया था,
अपुल्लोस क्या है? पौलुस क्या है? हम तो धर्मसेवक मात्र हैं, जिन के माध्यम से आप लोग विश्वासी बने, हममें प्रत्येक ने वही कार्य किया, जिसे प्रभु ने उस को सौंपा।
वे हमारी निन्दा करते हैं और हम नम्रतापूर्वक अनुनय-विनय करते हैं। लोग अब भी हमारे साथ ऐसा व्यवहार करते हैं, मानो हम पृथ्वी के कचरे और समाज के कूड़ा-करकट हों।
वे मसीह के सेवक हैं? मैं नादानी की झोंक में कहता हूँ कि मैं इस में उन से बढ़ कर हूँ। मैंने उन से अधिक परिश्रम किया, अधिक समय बन्दीगृह में बिताया और अधिक बार कोड़े खाए। मैं बारम्बार मौत के मुँह में पड़ा।
यदि मैं गर्व करना चाहूँ, तो यह नादानी नहीं होगी, क्योंकि मैं सत्य ही बोलता। किन्तु मैं यह नहीं करूँगा। लोग जैसा मुझे देखते और मुझसे सुनते हैं, उससे बढ़ कर मुझे कुछ भी नहीं समझें।
हम अपना नहीं, बल्कि प्रभु येशु मसीह का प्रचार करते हैं। हम येशु के कारण अपने को आप लोगों का दास समझते हैं।
किन्तु हम हर परिस्थिति में स्वयं को परमेश्वर के योग्य सेवक प्रमाणित करते हैं : हम कष्ट, अभाव और संकट को बड़े धीरज से सहन करते हैं।
अपनी उस मंगलमय इच्छा के अनुसार, जो उसने मसीह में पहले से ही निर्धारित की, परमेश्वर समय पूरा होने पर ऐसा प्रबंध करेगा कि वह सब कुछ, जो स्वर्ग तथा पृथ्वी में है, मसीह की अध्यक्षता में संयुक्त कर देगा। उसने अपने संकल्प का यह रहस्य हम पर प्रकट किया है।
आप मेरे लिए भी प्रार्थना करें, जिससे बोलते समय मुझे शब्द दिये जायें और मैं निर्भीकता से उस शुभ समाचार का रहस्य घोषित कर सकूँ,
जिससे वे हिम्मत न हारें, प्रेम की एकता में बँधे रहें, सुनिश्चित अन्तर्ज्ञान की परिपूर्णता प्राप्त करें और इस प्रकार परमेश्वर के रहस्य के मर्म तक पहुँच जायें। वह रहस्य स्वयं मसीह है,
आप हमारे लिए भी प्रार्थना करें, जिससे परमेश्वर शुभ-सन्देश सुनाने को हमारे लिए द्वार खोल दे और मसीह का रहस्य, जिस के लिए मैं अभी बेड़ियों से जकड़ा हुआ हूँ, घोषित करने का सुअवसर प्रदान करे।
धर्म का यह रहस्य निस्सन्देह महान् है : मसीह मनुष्य के रूप में प्रकट हुए, पवित्र आत्मा के द्वारा सत्य प्रमाणित हुए, और स्वर्गदूतों को दिखाई दिये। अन्यजातियों में उनका प्रचार हुआ, संसार भर में उन पर विश्वास किया गया और वह महिमा में ऊपर उठा लिये गये।
वह नवदीिक्षत नहीं हो, अन्यथा वह घमंड से भर जायेगा और उसे भी वैसा ही दंड मिलेगा जैसा शैतान को मिला था।
परमेश्वर का भंडारी होने के नाते धर्माध्यक्ष को चाहिए कि वह अनिन्दनीय हो। वह स्वेच्छाचारी, क्रोधी, मद्यसेवी, झगड़ालू या लोभी न हो।
जिसे जो वरदान मिला है, वह-परमेश्वर के बहुविध अनुग्रह के सुयोग्य भण्डारी की तरह-दूसरों की सेवा में उसका उपयोग करे।