ओ मेरे प्राण-प्रिय! मुझे यह बताओ, तुम अपनी भेड़-बकरियाँ कहां चराते हो, दोपहर में उन्हें आराम कहाँ कराते हो? मैं तुम्हारे साथियों के रेवड़ के आस-पास घूंघट काढ़े हुए क्यों भटकती फिरूं?’
1 कुरिन्थियों 16:22 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) यदि आप लोगों में कोई “प्रभु” से प्रेम नहीं करता, वह “शापित” हो। प्रभु!आइए! पवित्र बाइबल यदि कोई प्रभु में प्रेम नहीं रखे तो उसे अभिशाप मिले! हे प्रभु, आओ! Hindi Holy Bible हमारा प्रभु आनेवाला है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यदि कोई प्रभु से प्रेम न रखे तो वह शापित हो। हे हमारे प्रभु, आ! नवीन हिंदी बाइबल यदि कोई प्रभु से प्रेम नहीं करता तो वह शापित हो। हे हमारे प्रभु, आ! सरल हिन्दी बाइबल जो कोई प्रभु से प्रेम नहीं करता, वह शापित हो. हे हमारे प्रभु आ! इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यदि कोई प्रभु से प्रेम न रखे तो वह शापित हो। हे हमारे प्रभु, आ! |
ओ मेरे प्राण-प्रिय! मुझे यह बताओ, तुम अपनी भेड़-बकरियाँ कहां चराते हो, दोपहर में उन्हें आराम कहाँ कराते हो? मैं तुम्हारे साथियों के रेवड़ के आस-पास घूंघट काढ़े हुए क्यों भटकती फिरूं?’
उसका कण्ठ अत्यन्त मधुर है, वह हर दृष्टि से सुन्दर है। ओ यरूशलेम की कन्याओ, यह मेरा प्रियतम है, यही मेरा मित्र है।’
मैं अपने प्रिय के लिए एक प्रेम गीत गाऊंगा। इस गीत का विषय मेरे प्रिय का अंगूर-उद्यान है। एक अति उपजाऊ पहाड़ी पर मेरे प्रिय का एक अंगूर-उद्यान था।
“जो पुत्र अपने पिता या अपनी माता को मुझ से अधिक प्रेम करता है, वह मेरे योग्य नहीं। जो पिता अपने पुत्र या अपनी पुत्री को मुझ से अधिक प्रेम करता है, वह मेरे योग्य नहीं।
जो मेरी आज्ञाएँ मानते और उनका पालन करते हैं, वे ही मुझ से प्रेम करते हैं और जो मुझ से प्रेम करते हैं, उनसे पिता प्रेम करेगा और मैं भी उनसे प्रेम करूँगा और उन पर अपने को प्रकट करूँगा।
येशु ने उसे उत्तर दिया, “जो मुझ से प्रेम करेंगे, वे मेरे वचन का पालन करेंगे और मेरा पिता उन से प्रेम करेगा और हम उनके पास आएँगे और उनके साथ निवास करेंगे।
यदि मैंने उनके सामने वे महान् कार्य नहीं किये होते, जिन्हें किसी और ने कभी नहीं किया, तो उन्हें पाप नहीं लगता। परन्तु अब तो उन्होंने देख कर भी मुझ से और मेरे पिता से बैर किया है।
येशु ने उन से कहा, “यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझ से प्रेम करते, क्योंकि मैं परमेश्वर से निकला और यहाँ आया हूँ। मैं अपनी इच्छा से नहीं आया हूँ, मुझे उसी ने भेजा है।
वे महापुरोहितों तथा धर्मवृद्धों के पास जा कर बोले, “हमने घोर शपथ ली है कि हम तब तक कुछ नहीं खायेंगे, जब तक हम पौलुस का वध न कर दें।
मैं तो यहां तक चाहता हूँ कि अपने उन भाई-बहिनों के कल्याण के लिए, जो शरीर के नाते मेरे सजातीय हैं, स्वयं ही शापग्रस्त हो जाऊं और मसीह से अलग हो जाऊं।
इसलिए मैं आप लोगों को बता देता हूँ कि कोई भी व्यक्ति परमेश्वर के आत्मा से प्रेरित हो कर यह नहीं कहता,“येशु शापित हो” और कोई भी व्यक्ति पवित्र आत्मा की प्रेरणा के बिना यह नहीं कह सकता,“येशु ही प्रभु है।”
यदि हम येशु मसीह से संयुक्त हैं, तो न तो खतने का कोई महत्व है और न उसके अभाव का। महत्व विश्वास का है, जो प्रेम द्वारा क्रियाशील होता है।
परमेश्वर अन्याय नहीं करता। वह आपके कार्यों को एवं उस प्रेम को नहीं भुला सकता, जो आपने, उसके नाम की महिमा के उद्देश्य से, इस प्रकार दिखाया कि आपने सन्तों की सेवा की और अब भी कर रहे हैं।
आपने येशु को कभी देखा नहीं, फिर भी आप उन्हें प्यार करते हैं। आप अब भी उन्हें नहीं देखते, फिर भी उन में आप विश्वास करते हैं। और इस विश्वास के कारण आप एक अकथनीय एवं महिमामय आनन्द से परिपूर्ण हैं।
आप लोगों के लिए, जो विश्वास करते हैं, वह पत्थर मूल्यवान् है। जो विश्वास नहीं करते, उनके लिए धर्मग्रन्थ यह कहता है, “कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर निकाल दिया था, वही कोने की नींव बन गया है।”
जो कोई विश्वास करता है कि येशु ही मसीह हैं, वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ है और जो कोई जन्मदाता से प्रेम करता है, वह उसकी संतान से भी प्रेम करता है।
इन बातों की साक्षी देने वाला यह कहता है, “मैं अवश्य शीघ्र ही आ रहा हूँ।” आमेन! हे प्रभु येशु! आइए!