किसी को प्रभावशाली आश्चर्य कर्म करने का, किसी को नबूवत करने का, किसी को आत्माओं की परख करने का, किसी को भिन्न-भिन्न अध्यात्मिक भाषाओं में बोलने का और किसी को उन भाषाओं की व्याख्या करने का वरदान देता है।
1 कुरिन्थियों 14:27 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) जहाँ तक अध्यात्म भाषाओं में बोलने का प्रश्न है, दो या अधिक-से-अधिक तीन व्यक्ति बारी-बारी से ऐसा करें और कोई दूसरा व्यक्ति इसकी व्याख्या प्रस्तुत करे। पवित्र बाइबल यदि किसी अन्य भाषा में बोलना है तो अधिक से अधिक दो या तीन को ही बोलना चाहिये-बारी-बारी, एक-एक करके। और जो कुछ कहा गया है, एक को उसकी व्याख्या करनी चाहिये। Hindi Holy Bible यदि अन्य भाषा में बातें करनीं हों, तो दो दो, या बहुत हो तो तीन तीन जन बारी बारी बोलें, और एक व्यक्ति अनुवाद करे। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) यदि अन्य भाषा में बातें करनी हों तो दो या बहुत हो तो तीन जन बारी–बारी से बोलें, और एक व्यक्ति अनुवाद करे। नवीन हिंदी बाइबल यदि कोई अन्य भाषा में बोलता है, तो दो या अधिक से अधिक तीन जन बारी-बारी से बोलें, और एक उसका अनुवाद करे। सरल हिन्दी बाइबल जहां तक अन्य भाषा में बातें करने का प्रश्न है, अधिक से अधिक दो या तीन व्यक्ति ही क्रमानुसार यह करें तथा कोई व्यक्ति उसका अनुवाद भी करे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 यदि अन्य भाषा में बातें करनी हों, तो दो-दो, या बहुत हो तो तीन-तीन जन बारी-बारी बोलें, और एक व्यक्ति अनुवाद करे। |
किसी को प्रभावशाली आश्चर्य कर्म करने का, किसी को नबूवत करने का, किसी को आत्माओं की परख करने का, किसी को भिन्न-भिन्न अध्यात्मिक भाषाओं में बोलने का और किसी को उन भाषाओं की व्याख्या करने का वरदान देता है।
अध्यात्म भाषा में बोलने वाला प्रार्थना करे, जिससे उसको व्याख्या करने का वरदान भी मिल जाये;
क्योंकि जो अध्यात्म भाषा में बोलता है, वह मनुष्यों से नहीं, बल्कि परमेश्वर से बोलता है। कोई भी उसे नहीं समझता : वह आत्मा से प्रेरित होकर रहस्यमय बातें करता है।
इसका निष्कर्ष क्या है? हे भाइयो और बहिनो! जब-जब आप आराधना हेतु एकत्र होते हैं, तो कोई भजन सुनाता है, कोई शिक्षा देता है, कोई अपने पर प्रकट किया हुआ सत्य बताता है, कोई अध्यात्म भाषा में बोलता है और कोई उसकी व्याख्या करता है; किन्तु यह सब आध्यात्मिक निर्माण के लिए होना चाहिए।
यदि कोई व्याख्या करने वाला नहीं हो, तो अध्यात्म भाषा में बोलने वाला धर्मसभा में चुप रहे। वह अपने से और परमेश्वर से बोले।
मैं तो चाहता हूँ कि आप सब को अध्यात्म भाषाओं में बोलने का वरदान मिले, किन्तु इससे अधिक यह चाहता हूँ कि आप को नबूवत करने का वरदान मिले। यदि अध्यात्म भाषाओं में बोलने वाला व्यक्ति कलीसिया के आध्यात्मिक निर्माण के लिए उनकी व्याख्या नहीं करता, तो इसकी अपेक्षा नबूवत करने वाले का महत्व अधिक है।