एदोम राष्ट्र के सम्बन्द्ध में स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने यह कहा : ‘क्या तेमान नगर में बुद्धि का अकाल पड़ गया है? क्या समझदार व्यक्तियों की सलाह निष्फल हो गई? क्या उनकी बुद्धि को पाला मार गया?
1 कुरिन्थियों 13:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) नबूवतें जाती रहेंगी, अध्यात्म भाषाएँ मौन हो जायेंगी और ज्ञान मिट जायेगा, किन्तु प्रेम का कभी अन्त नहीं होगा; पवित्र बाइबल प्रेम अमर है। जबकि भविष्यवाणी का सामर्थ्य तो समाप्त हो जायेगा, दूसरी भाषाओं को बोलने की क्षमता युक्त जीभें एक दिन चुप हो जायेंगी, दिव्य ज्ञान का उपहार जाता रहेगा, Hindi Holy Bible प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्त हो जाएंगी, भाषाएं हो तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियाँ हों, तो समाप्त हो जाएँगी; भाषाएँ हों, तो जाती रहेंगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा। नवीन हिंदी बाइबल प्रेम कभी टलता नहीं। भविष्यवाणियाँ हों तो मिट जाएँगी, भाषाएँ हों तो समाप्त हो जाएँगी, ज्ञान हो तो मिट जाएगा। सरल हिन्दी बाइबल प्रेम अनंत काल का है. जहां तक भविष्यवाणियों का सवाल है, वे थोड़े समय के लिए हैं. भाषाएं निःशब्द हो जाएंगी तथा ज्ञान मिट जाएगा इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 प्रेम कभी टलता नहीं; भविष्यद्वाणियाँ हों, तो समाप्त हो जाएँगी, भाषाएँ मौन हो जाएँगी; ज्ञान हो, तो मिट जाएगा। |
एदोम राष्ट्र के सम्बन्द्ध में स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु ने यह कहा : ‘क्या तेमान नगर में बुद्धि का अकाल पड़ गया है? क्या समझदार व्यक्तियों की सलाह निष्फल हो गई? क्या उनकी बुद्धि को पाला मार गया?
परन्तु सिमोन, मैंने तुम्हारे लिए प्रार्थना की है, जिससे तुम्हारा विश्वास नष्ट न हो। समय आने पर जब तुम फिरो, तब अपने भाइयों को भी संभालना।”
महानगर अन्ताकिया की स्थानीय कलीसिया में कई नबी और शिक्षक थे : जैसे बरनबास, शिमोन जो ‘कलुआ’ कहलाता था, कुरेने-निवासी लूकियुस, शासक हेरोदेस का दूध-भाई मनाहेन और शाऊल।
जब पौलुस ने उन पर हाथ रखा, तो पवित्र आत्मा उन पर उतरा और वे अध्यात्म भाषाएं बोलने और नबूवत करने लगे।
वे सब पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो गये और जो वाणी का वरदान पवित्र आत्मा ने उन्हें दिया, उस के अनुसार भिन्न-भिन्न भाषाओं में बोलने लगे।
किसी को प्रभावशाली आश्चर्य कर्म करने का, किसी को नबूवत करने का, किसी को आत्माओं की परख करने का, किसी को भिन्न-भिन्न अध्यात्मिक भाषाओं में बोलने का और किसी को उन भाषाओं की व्याख्या करने का वरदान देता है।
अभी तो विश्वास, आशा और प्रेम-ये तीनों बने हुए हैं। किन्तु इन में से प्रेम ही सब से महान है।
मेरे भाइयो और बहिनो! निष्कर्ष यह है : आप नबूवत के वरदान की अभिलाषा किया करें और अध्यात्म भाषाओं में बोलने वालों को न रोकें।
यदि कोई समझता है कि वह कुछ जानता है, तो वह अब तक यह नहीं जानता कि किस प्रकार जानना चाहिए।
यदि हम येशु मसीह से संयुक्त हैं, तो न तो खतने का कोई महत्व है और न उसके अभाव का। महत्व विश्वास का है, जो प्रेम द्वारा क्रियाशील होता है।
परमेश्वर इस विधान को “नया” कह कर पुकारता है, इसलिए उसने प्रथम विधान रद्द कर दिया है। जो पुराना और जराग्रस्त हो गया है, वह लुप्त होने को है।