पृथ्वी के समस्त निवासी उसके सम्मुख नगण्य हैं; वह स्वर्ग की सेना में, पृथ्वी के प्राणियों के मध्य, अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करता है। कोई उसका हाथ रोक नहीं सकता, और न प्रश्न पूछने का साहस कर सकता है, कि “तूने यह क्या किया?’ ”
1 कुरिन्थियों 12:11 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) एक ही और वही आत्मा यह सब करता है। वह अपनी इच्छा के अनुसार प्रत्येक को अलग-अलग वरदान देता है। पवित्र बाइबल किन्तु यह वही एक आत्मा है जो जिस-जिस को जैसा-जैसा ठीक समझता है, देते हुए, इन सब बातों को पूरा करता है। Hindi Holy Bible परन्तु ये सब प्रभावशाली कार्य वही एक आत्मा करवाता है, और जिसे जो चाहता है वह बांट देता है॥ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) परन्तु ये सब प्रभावशाली कार्य वही एक आत्मा कराता है, और जिसे जो चाहता है वह बाँट देता है। नवीन हिंदी बाइबल परंतु ये सब कार्य वही एक आत्मा कराता है, और प्रत्येक को जैसा चाहता है, व्यक्तिगत रूप से बाँट देता है। सरल हिन्दी बाइबल इन सबको सिर्फ एक और एक ही आत्मा के द्वारा किया जाता है तथा वह हर एक में ये क्षमताएं व्यक्तिगत रूप से बांट देते हैं. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 परन्तु ये सब प्रभावशाली कार्य वही एक आत्मा करवाता है, और जिसे जो चाहता है वह बाँट देता है। |
पृथ्वी के समस्त निवासी उसके सम्मुख नगण्य हैं; वह स्वर्ग की सेना में, पृथ्वी के प्राणियों के मध्य, अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करता है। कोई उसका हाथ रोक नहीं सकता, और न प्रश्न पूछने का साहस कर सकता है, कि “तूने यह क्या किया?’ ”
जो मेरा है, क्या मैं अपनी इच्छा के अनुसार उस का उपयोग नहीं कर सकता? क्या मेरा उदार होना तुम्हारी आँखों में खटकता है?’
योहन ने उत्तर दिया, “जब तक मनुष्य को स्वर्ग से न दिया जाए, वह कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता है।
वायु जिधर चाहती, उधर बहती है। आप उसकी आवाज सुनते हैं, किन्तु यह नहीं जानते कि वह किधर से आती और किधर जाती है। जो आत्मा से जन्मा है, वह ऐसा ही है।”
जिस तरह पिता मृतकों को उठाता और उन्हें जीवन देता है, उसी तरह पुत्र भी जिसे चाहता, उसे जीवन प्रदान करता है;
हम को प्राप्त अनुग्रह के अनुसार हमारे वरदान भी भिन्न-भिन्न होते हैं। हमें नबूवत का वरदान मिला, तो विश्वास के अनुरूप उसका उपयोग करें;
प्रभावशाली कार्य तो नाना प्रकार के होते हैं, किन्तु एक ही परमेश्वर द्वारा सब में सब कार्य सम्पन्न होते हैं।
सामान्य नियम यह है कि हर एक व्यक्ति जिस स्थिति में परमेश्वर द्वारा बुलाया गया है, उसी में बना रहे और उसे प्रभु से जो वरदान मिला है, उसी के अनुरूप जीवन बिताये। मैं सभी कलीसियाओं के लिए यही नियम निर्धारित करता हूँ।
मैं तो चाहता हूँ कि सब मनुष्य मुझ-जैसे हों, किन्तु परमेश्वर की ओर से हर एक को विशिष्ट वरदान मिला है-किसी को एक प्रकार का, किसी को दूसरे प्रकार का।
हम अपनी सीमा का उल्लंघन करते हुए गर्व नहीं करेंगे। परमेश्वर ने हमारे लिए कार्य-क्षेत्र की जो सीमा निर्धारित की और जिसमें आप लोग भी सम्मिलित हैं, हम उसके भीतर रहेंगे।
परमेश्वर सब बातों में अपने मन की योजना पूरी करता है। अपने उद्देश्य के अनुसार उसने निर्धारित किया कि हम मसीह में विरासत प्राप्त करें और हम लोगों के कारण उसकी महिमा की स्तुति हो। हम लोगों ने तो सब से पहले मसीह पर भरोसा रखा था।
मसीह ने जिस मात्रा में देना चाहा, उसी मात्रा में हम में से प्रत्येक को कृपा प्राप्त हुई है।
परमेश्वर ने भी चिह्नों, चमत्कारों, नाना प्रकार के सामर्थ्यपूर्ण कार्यों और अपनी इच्छा के अनुसार प्रदत्त पवित्र आत्मा के वरदानों द्वारा उनकी साक्षी का समर्थन किया।
उसने अपनी ही इच्छा से सत्य के वचन द्वारा हम को जीवन प्रदान किया है, जिससे हम एक प्रकार से उसकी सृष्टि के प्रथम फल बनें।