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1 कुरिन्थियों 10:23 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

“सब कुछ करने की अनुमति है,” किन्‍तु सब कुछ हितकर नहीं। “सब कुछ करने की अनुमति है,” किन्‍तु सब कुछ से निर्माण नहीं होता।

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पवित्र बाइबल

जैसा कि कहा गया है कि, “हम कुछ भी करने के लिये स्वतन्त्र हैं।” पर सब कुछ हितकारी तो नहीं है। “हम कुछ भी करने के लिए स्वतन्त्र हैं” किन्तु हर किसी बात से विश्वास सुदृढ़ तो नहीं होता।

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Hindi Holy Bible

सब वस्तुएं मेरे लिये उचित तो हैं, परन्तु सब लाभ की नहीं: सब वस्तुएं मेरे लिये उचित तो हैं, परन्तु सब वस्तुओं से उन्नित नहीं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

सब वस्तुएँ मेरे लिये उचित तो हैं, परन्तु सब लाभ की नहीं : सब वस्तुएँ मेरे लिये उचित तो हैं, परन्तु सब वस्तुओं से उन्नति नहीं।

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नवीन हिंदी बाइबल

सब वस्तुएँ उचित तो हैं, परंतु सब वस्तुएँ लाभ की नहीं। सब वस्तुएँ उचित तो हैं, परंतु सब वस्तुओं से उन्‍नति नहीं होती।

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सरल हिन्दी बाइबल

उचित तो सभी कुछ है किंतु सभी कुछ लाभदायक नहीं. उचित तो सभी कुछ है किंतु सभी कुछ उन्‍नति के लिए नहीं.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

सब वस्तुएँ मेरे लिये उचित तो हैं, परन्तु सब लाभ की नहीं। सब वस्तुएँ मेरे लिये उचित तो हैं, परन्तु सब वस्तुओं से उन्नति नहीं।

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1 कुरिन्थियों 10:23
14 क्रॉस रेफरेंस  

यदि तुम अपने भोजन के कारण अपने भाई अथवा बहिन को दु:ख देते हो, तो तुम प्रेम-मार्ग पर नहीं चलते। जिस मनुष्‍य के लिए मसीह मर गये हैं, तुम अपने भोजन के कारण उसके विनाश का कारण न बनो।


आप के विषय में भी यही बात है।आप लोग आध्‍यात्‍मिक वरदानों की धुन में रहते हैं; इसलिए ऐसे वरदानों से सम्‍पन्न होने का प्रयत्‍न करें, जो कलीसिया के आध्‍यात्‍मिक निर्माण में सहायक हों।


आपका धन्‍यवाद भले ही सुन्‍दर हो, किन्‍तु इससे दूसरे व्यक्‍ति का आध्‍यात्‍मिक निर्माण नहीं होता।


इसका निष्‍कर्ष क्‍या है? हे भाइयो और बहिनो! जब-जब आप आराधना हेतु एकत्र होते हैं, तो कोई भजन सुनाता है, कोई शिक्षा देता है, कोई अपने पर प्रकट किया हुआ सत्‍य बताता है, कोई अध्‍यात्‍म भाषा में बोलता है और कोई उसकी व्‍याख्‍या करता है; किन्‍तु यह सब आध्‍यात्‍मिक निर्माण के लिए होना चाहिए।


आप में से कोई यह कहेगा, “मुझे सब कुछ करने की अनुमति है।” हां, किन्‍तु सब कुछ हितकर नहीं। मैं कह सकता हूँ, “मुझे सब कुछ करने की अनुमति है,” किन्‍तु मैं किसी चीज का गुलाम नहीं बनूंगा।


अब मूर्तियों को अर्पित मांस के विषय में। इसके संबंध में हम सब को ज्ञान प्राप्‍त है-यह मानी हुई बात है; किन्‍तु वह ‘ज्ञान’ मनुष्‍य को अहंकारी बनाता है, जब कि प्रेम निर्माण करता है।


किन्‍तु इसका ध्‍यान रखिए कि आपकी स्‍वतन्‍त्रता दुर्बल लोगों के लिए पाप का कारण न बने।


आप लोग यह समझते होंगे कि अब तक हम आप के सामने अपनी सफ़ाई दे रहे हैं। बात ऐसी नहीं है। हम यह सब मसीह में, परमेश्‍वर की उपस्‍थिति में कह रहे हैं। प्रिय भाइयो और बहिनो! सब कुछ आपके आध्‍यात्‍मिक निर्माण के लिए हो रहा है।


आपके मुख से कोई अश्‍लील बात नहीं, बल्‍कि ऐसे शब्‍द निकलें, जो अवसर के अनुरूप हों, और दूसरों के निर्माण तथा कल्‍याण में सहायक हों।


इसलिए आप परस्‍पर प्रोत्‍साहन दीजिए और एक दूसरे का आध्‍यात्‍मिक निर्माण कीजिए, जैसा कि आप कर भी रहे हैं।


और कल्‍पित कथाओं एवं अंतहीन वंशावलियों के फेर में नहीं पड़ें। इन से वाद-विवाद को बढ़ावा मिलता है, किन्‍तु उस ईश्‍वरीय प्रबन्‍ध का ज्ञान प्राप्‍त नहीं होता, जो विश्‍वास पर आधारित है।