उसने प्रभु के भवन का और राजमहल का खजाना लूट लिया। वह सब कीमती वस्तुएँ ले गया। जो सोने की ढालें राजा सुलेमान ने बनाई थीं, वह उनको भी ले गया।
1 इतिहास 26:20 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) इनके चचेरे भाई-बन्धु, जो लेवी कुल के और उप-पुरोहित थे, परमेश्वर के भवन के कोषों तथा भवन में चढ़ाई गई वस्तुओं के कोषागारों का दायित्व संभालते थे। पवित्र बाइबल आहिय्याह लेवी के परिवार समूह से था। अहिय्याह परमेश्वर के मन्दिर की मूल्यावान चीजों की देखभाल का उत्तरदायी था। अहिय्याह उन स्थानों की रक्षा के लिये भी उत्तरदायी था जहाँ पवित्र वस्तुएँ रखी जाती थीं। Hindi Holy Bible फिर लेवियों में से अहिय्याह परमेश्वर के भवन और पवित्र की हुई वस्तुओं, दोनों के भण्डारों का अधिकारी नियुक्त हुआ। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) फिर लेवियों में से अहिय्याह परमेश्वर के भवन और पवित्र की हुई वस्तुओं, दोनों के भण्डारों का अधिकारी नियुक्त हुआ। सरल हिन्दी बाइबल अहीयाह के नेतृत्व में लेवी वंशज और उनके संबंधी परमेश्वर के भवन के खजाने और चढ़ाई गई वस्तुओं के खजाने के अधिकारी थे. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 फिर लेवियों में से अहिय्याह परमेश्वर के भवन और पवित्र की हुई वस्तुओं, दोनों के भण्डारों का अधिकारी नियुक्त हुआ। |
उसने प्रभु के भवन का और राजमहल का खजाना लूट लिया। वह सब कीमती वस्तुएँ ले गया। जो सोने की ढालें राजा सुलेमान ने बनाई थीं, वह उनको भी ले गया।
तब आसा ने प्रभु के भवन और अपने राजमहल के खजाने का शेष सोना-चांदी निकाला, और उसको अपने सेवकों के हाथ में सौंपा। तत्पश्चात् उसने उनको बेन-हदद के पास भेज दिया। बेन-हदद सीरिया देश का राजा था। वह दमिश्क नगर में रहता था। वह हेजयोन का पोता और टबरिम्मोन का पुत्र था।
यों राजा सुलेमान ने प्रभु के भवन का निर्माण-कार्य समाप्त किया। तत्पश्चात् वह अपने पिता दाऊद के द्वारा अर्पित की गई वस्तुएं − सोना, चांदी तथा अमूल्य पात्र − प्रभु के भवन में ले गया। उसने उनको भवन के भण्डारगृहों में रख दिया।
राजा दाऊद ने इन पात्रों को भी प्रभु को अर्पित कर दिया। जिन राष्ट्रों−एदोम, मोआब, अम्मोन, पलिश्ती और अमालेक−से उसने सोना-चाँदी छीना था, उसको उसने प्रभु को अर्पित किया था।
शबूएल नियुक्त किया गया था। यह मूसा के पुत्र गेर्शोम के वंश का था। यह कोषागारों का मुख्य अधिकरी था।
पुरोहितों और उप-पुरोहितों ने राजा के सब आदेशों का पूर्णत: पालन किया। यहां तक कि भण्डार-गृहों, तथा मन्दिर के कोषागार के सम्बन्ध में भी वे राजा के आदेश का पालन करते थे।
उन्होंने अपने-अपने सामर्थ्य के अनुसार इकसठ हजार स्वर्ण-मुद्राएं, पांच हजार चान्दी के सिक्के और पुरोहितों के लिए एक सौ पोशाकें भवन के कोष में दीं।
मैंने उनसे यह कहा, ‘तुम प्रभु के लिए पवित्र हो। ये पात्र भी पवित्र हैं। यह सोना और चान्दी तुम्हारे पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर को स्वेच्छा से चढ़ाई गई भेंट है।
उसी दिन भण्डार-गृहों के संरक्षकों की नियुिक्त की गई। इन भण्डार-गृहों में मन्दिर में चढ़ाई गई भेंट, उपज का प्रथम फल और दशमांश रहता था। इनके अतिरिक्त पुरोहितों और उपपुरोहितों के नियत भाग भी रहते थे, जो नगर के खेतों से एकत्र किए जाते थे। यह धर्म-व्यवस्था के अनुसार निर्धारित कर दिया गया था। यहूदा प्रदेश की जनता परमेश्वर की सेवा करनेवाले पुरोहितों और उपपुरोहितों से प्रसन्न थी।
‘मेरे भण्डार-गृह में पूर्ण दशमांश लाओ, जिससे मेरे भवन में भोजन-वस्तु रहे। तब मुझे परखो कि मैं आकाश के झरोखे खोलकर तुम्हारे लिए वर्षा करता हूँ कि नहीं, मैं तुम पर आशिष की वर्षा करता हूँ कि नहीं।’
यद्यपि वे मिलन-शिविर में अपने भाइयों के दायित्व-पालन में सहायता कर सकते हैं, किन्तु वे स्वयं कोई सेवा-कार्य नहीं करेंगे। तू लेवियों को इस नियम के अनुसार उत्तरदायित्व सौंपना।’