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1 इतिहास 23:26 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

अत: अब लेवीय उप-पुरोहितों को प्रभु के शिविर, तथा उसकी आराधना में प्रयुक्‍त होने वाली वस्‍तुओं को ढोने की आवश्‍यकता नहीं रही।’ (

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पवित्र बाइबल

इसलिये लेवीवंशियों को पवित्र तम्बू या इसकी सेवा में काम आने वाली किसी चीज़ को भविष्य में ढोने की आवश्यकता नहीं है।”

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Hindi Holy Bible

और लेवियों को निवास और उस की उपासना का सामान फिर उठाना न पड़ेगा।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

और लेवियों को निवास और उसकी उपासना का सामान फिर उठाना न पड़ेगा।”

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सरल हिन्दी बाइबल

यह भी सच है कि अब वह स्थिति नहीं आएगी, जब लेवियों को मिलनवाले तंबू और इसमें की जा रही सेवा से संबंधित बर्तन इधर-उधर करने होंगे.”

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

और लेवियों को निवास और उसकी उपासना का सामान फिर उठाना न पड़ेगा।”

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1 इतिहास 23:26
7 क्रॉस रेफरेंस  

दाऊद के अन्‍तिम आदेश से बीस वर्ष तथा उससे अधिक आयु के लेवी कुल के पुरुषों की गणना की गई।)


लेवीय उपपुरोहित सब इस्राएलियों को धार्मिक शिक्षा देते थे। वे प्रभु के लिए अर्पित और पवित्र माने जाते थे। राजा योशियाह ने उनसे कहा, ‘पवित्र मंजूषा को प्रभु के भवन में रखो, जिसे इस्राएल के राजा दाऊद के पुत्र सुलेमान ने बनाया था; अब तुम्‍हें उसको कंधों पर रखकर ढोने की आवश्‍यकता नहीं है। अब तुम निश्‍चिन्‍त होकर प्रभु परमेश्‍वर तथा उसके निज लोग इस्राएलियों की सेवा करो।


जब पड़ाव के प्रस्‍थान के समय हारून और उसके पुत्र पवित्र-स्‍थान तथा उसके सब सामान को ढक देंगे, तब कहात वंशीय पुरुष उसको उठाने के लिए आएंगे। किन्‍तु वे पवित्र वस्‍तुओं का स्‍पर्श नहीं करेंगे, अन्‍यथा वे मर जाएंगे। मिलन-शिविर की ये ही वस्‍तुएँ कहात वंशीय पुरुष ढोकर ले जाएंगे।


प्रत्‍येक व्यक्‍ति कार्य करने अथवा भार वहन करने के लिए प्रभु के कथन के अनुसार मूसा के द्वारा नियुक्‍त किया गया। जो आज्ञा प्रभु ने मूसा को दी थी, उसके अनुसार मूसा ने उनको गिना।


जब पड़ाव प्रस्‍थान करेगा तब हारून तथा उसके पुत्र मिलन-शिविर के भीतर जाकर अन्‍त:पट उतारेंगे, और उससे साक्षी-मंजूषा को ढक देंगे।


किन्‍तु मूसा ने कहात वंशियों को कुछ नहीं दिया; क्‍योंकि उनका पवित्र वस्‍तुओं से सम्‍बन्‍धित यह सेवा-कार्य था कि वे उनको अपने कन्‍धों पर वहन किया करें।


उस समय प्रभु ने लेवी कुल को पृथक किया कि वे प्रभु की विधान-मंजूषा को वहन करें। वे प्रभु के सम्‍मुख प्रस्‍तुत रहकर उसकी सेवा करें और उसके नाम से आशिष दें, जैसा वे आज भी करते हैं।