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सभोपदेशक 2:22 - पवित्र बाइबल

अपने जीवन में सारे परिश्रम और संघर्ष के बाद आखिर एक मनुष्य को वास्तव में क्या मिलता है?

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Hindi Holy Bible

मनुष्य जो धरती पर मन लगा लगाकर परिश्रम करता है उस से उसको क्या लाभ होता है?

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

सूर्य के नीचे पृथ्‍वी पर मन लगा कर किए गए परिश्रम से मनुष्‍य को क्‍या लाभ?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

मनुष्य जो धरती पर* मन लगा लगाकर परिश्रम करता है उससे उसको क्या लाभ होता है?

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नवीन हिंदी बाइबल

मनुष्य को आखिर अपने सारे परिश्रम और प्रयासों से क्या मिलता है जो वह संसार में करता है?

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सरल हिन्दी बाइबल

मनुष्य को अपनी सारी मेहनत और कामों से, जो वह धरती पर करता है, क्या मिलता है?

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

मनुष्य जो सूर्य के नीचे मन लगा लगाकर परिश्रम करता है उससे उसको क्या लाभ होता है?

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सभोपदेशक 2:22
21 क्रॉस रेफरेंस  

यदि सुबह उठ कर तुम देर रात गए तक काम करो। इसलिए कि तुम्हें बस खाने के लिए कमाना है, तो तुम व्यर्थ समय खोते हो। परमेश्वर अपने भक्तों का उनके सोते तक में ध्यान रखता है।


काम करने वाले की भूख भरी इच्छाएँ उससे काम करवाती रहती हैं। यह भूख ही उस को आगे धकेलती है।


इस जीवन में लोग जो कड़ी मेहनत करते हैं, उससे उन्हें सचमुच क्या कोई लाभ होता है? नहीं!


किन्तु मैंने जो कुछ किया था जब उस पर दृष्टि डाली और अपने किये कठिन परिश्रम के बारे में विचार किया तो मुझे लगा यह सब समय की बर्बादी थी! यह ऐसा ही था जैसा वायु को पकड़ना। इस जीवन में हम जो कुछ श्रम करते हैं उस सबकुछ का उचित परिणाम हमें नहीं मिलता।


क्या किसी व्यक्ति को अपने कठिन परिश्रम से वास्तव में कुछ मिल पाता है? नहीं। क्योंकि जो होना है वह तो होगा ही।


जो कुछ मुठ्ठी भर तुम्हारे पास है उसमें संतुष्ट रहना अच्छा है बजाय इसके कि अधिकाधिक पाने की ललक में जूझते हुए वायु के पीछे दौड़ा जाता रहे।


एक व्यक्ति परिवार विहीन हो सकता है। हो सकता है उसके कोई पुत्र और यहाँ तक कि कोई भाई भी न हो किन्तु वह व्यक्ति कठिन से कठिन परिश्रम करने में लगा रहता है और जो कुछ उसके पास होता है, उससे कभी संतुष्ट नहीं होता। सो मैं भी इतनी कड़ी मेहनत क्यों करता हूँ? मैं स्वयं अपने जीवन का आनन्द क्यों नहीं लेता हूँ? अब देखो यह भी एक दुःख भरी और व्यर्थ की बात है।


उसे यदि कुछ मिलता है तो वह है दुःख और शोक से भरे हुए दिन। सो आखिरकार वह हताश, रोगी और चिड़चिड़ा हो जाता है!


सो मैंने निश्चय किया कि जीवन का आनन्द लेना अधिक महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस जीवन में एक व्यक्ति जो सबसे अच्छी बात कर सकता है वह है खाना, पीना और जीवन का रस लेना। इससे कम से कम व्यक्ति को इस धरती पर उसके जीवन के दौरान परमेश्वर ने करने के लिये जो कठिन काम दिया है उसका आनन्द लेने मे सहायता मिलेगी।


यदि कोई अपना जीवन देकर सारा संसार भी पा जाये तो उसे क्या लाभ? अपने जीवन को फिर से पाने के लिए कोई भला क्या दे सकता है?


दिन प्रतिदिन का आहार तू आज हमें दे।


“मैं तुमसे कहता हूँ अपने जीने के लिये खाने-पीने की चिंता छोड़ दो। अपने शरीर के लिये वस्त्रों की चिंता छोड़ दो। निश्चय ही जीवन भोजन से और शरीर कपड़ों से अधिक महत्वपूर्ण हैं।


कल की चिंता मत करो, क्योंकि कल की तो अपनी और चिंताएँ होंगी। हर दिन की अपनी ही परेशानियाँ होती हैं।


फिर उसने अपने शिष्यों से कहा, “इसीलिये मैं तुमसे कहता हूँ, अपने जीवन की चिंता मत करो कि तुम क्या खाओगे अथवा अपने शरीर की चिंता मत करो कि तुम क्या पहनोगे?


“और चिन्ता मत करो कि तुम क्या खाओगे और क्या पीओगे। इनके लिये मत सोचो।


तुम लोग भी अपने आप को ऐसे लोगों की और हर उस व्यक्ति की अगुवाई में सौंप दो जो इस काम से जुड़ता है और प्रभु के लिये परिश्रम करता है।


किसी बात कि चिंता मत करो, बल्कि हर परिस्थिति में धन्यवाद सहित प्रार्थना और विनय के साथ अपनी याचना परमेश्वर के सामने रखते जाओ।


सो यदि हमारे पास रोटी और कपड़ा है तो हम उसी में सन्तुष्ट हैं।


तुम अपनी सभी चिंताएँ उस पर छोड़ दो क्योंकि वह तुम्हारे लिए चिंतित है।