बुद्धि उनके लिये जीवन वृक्ष है जो इसे अपनाते हैं, वे सदा धन्य रहेंगे जो दृढ़ता से बुद्धि को थामे रहते हैं!
व्यवस्थाविवरण 32:47 - पवित्र बाइबल यह मत समझो कि ये उपदेश महत्वपूर्ण नहीं हैं! ये तुम्हारा जीवन है! इन उपदेशों से तुम उस यरदन नदी के पार के देश में लम्बे समय तक रहोगे जिसे लेने के लिये तुम तैयार हो।” Hindi Holy Bible क्योंकि यह तुम्हारे लिये व्यर्थ काम नहीं, परन्तु तुम्हारा जीवन ही है, और ऐसा करने से उस देश में तुम्हारी आयु के दिन बहुत होंगे, जिसके अधिकारी होने को तुम यरदन पार जा रहे हो॥ पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) क्योंकि व्यवस्था के ये शब्द खोखले नहीं हैं, वरन् ये तुम्हारा जीवन हैं। इन शब्दों के अनुसार कार्य करने से तुम्हारी आयु उस देश में लम्बी होगी, जहाँ तुम यर्दन नदी को पार कर अधिकार करने के लिए जा रहे हो।’ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) क्योंकि यह तुम्हारे लिये व्यर्थ काम नहीं, परन्तु तुम्हारा जीवन ही है, और ऐसा करने से उस देश में तुम्हारी आयु के दिन बहुत होंगे, जिसके अधिकारी होने को तुम यरदन पार जा रहे हो।” सरल हिन्दी बाइबल क्योंकि यह कोई निरर्थक वक्तव्य नहीं है. वस्तुतः यही तुम्हारे जीवन है. इसी के मर्म के द्वारा उस देश में तुम अपने जीवन के दिनों का आवर्धन करोगे, जिसमें तुम यरदन पार करके प्रवेश करने पर हो, जिसका तुम अधिग्रहण करोगे.” इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 क्योंकि यह तुम्हारे लिये व्यर्थ काम नहीं, परन्तु तुम्हारा जीवन ही है, और ऐसा करने से उस देश में तुम्हारी आयु के दिन बहुत होंगे, जिसके अधिकारी होने को तुम यरदन पार जा रहे हो।” |
बुद्धि उनके लिये जीवन वृक्ष है जो इसे अपनाते हैं, वे सदा धन्य रहेंगे जो दृढ़ता से बुद्धि को थामे रहते हैं!
क्योंकि जो उन्हें पाते हैं उनके लिये वे जीवन बन जाते हैं और वे एक पुरुष की समपूर्ण काया का स्वास्थ्य बनते हैं।
मैंने अकेले ये बातें नहीं कीं। मैंने मुक्त भाव से कहा है। संसार के किसी भी अन्धेरे में मैं अपने वचन नहीं छुपाता। मैंने याकूब के लोगों से नहीं कहा कि वे मुझे विरान स्थानों पर ढूँढे। मैं परमेश्वर हूँ, और मैं सत्य बोलता हूँ। मैं वही बातें कहता हूँ जो सत्य हैं।
इसलिए तुम्हें मेरे नियमों और निर्णयों का पालन करना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति मेरे विधियों और नियमों का पालन करता है तो वह जीवित रहेगा! मैं यहोवा हूँ!
इसलिये सबसे पहले परमेश्वर के राज्य और तुमसे जो धर्म भावना वह चाहता है, उसकी चिंता करो। तो ये सब वस्तुएँ तुम्हें दे दी जायेंगी।
यह वही है जो वीराने में सभा के बीच हमारे पूर्वजों और उस स्वर्गदूत के साथ मौजूद था जिसने सिनाई पर्वत पर उससे बातें की थी। इसी ने हमें देने के लिये परमेश्वर से सजीव वचन प्राप्त किये थे।
मैं आज तुम्हें आदेश देता हूँ कि यहोवा अपने परमेश्वर से प्रेम करो, उसके मार्ग पर चलो और उसके आदेशों, विधियों और नियमों का पालन करो। तब तुम जीवित रहोगे और तुम्हारा राष्ट्र अधिक बड़ा होगा। और यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें उस देश में आशीर्वाद देगा जिसे अपना बनाने के लिए तुम वहाँ जा रहे हो।
और तब उनके वंशज जो नियम नहीं जानते, इसे सुनेंगे और वे यहोवा तुम्हारे परमेश्वर का सम्मान करना सीखेंगे। वे तब तक सम्मान करेंगे जब तक तुम उस देश में रहोगे जिसे तुम यरदन नदी के उस पार लेने के लिये तैयार हो।”
और तुम्हें उसके उन नियमों और आदेशों का पालन करना चाहिए जिन्हें मैं आज तुम्हें दे रहा हूँ। तब हर एक बात तुम्हारे और तुम्हारे उन बच्चों के लिए ठीक रहेगी जो तुम्हारे बाद होंगे और तुम लम्बे समय तक उस देश में रहोगे जिसे यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हें सदा के लिए दे रहा है।”
इन नियमों का सावधानी से पालन करो। यह अन्य राष्ट्रों को सूचित करेगा कि तुम बुद्धि और समझ रखते हो। जब उन देशों के लोग इन नियमों के बारे में सुनेंगे तो वे कहेंगे कि, ‘सचमुच इस महान राष्ट्र (इस्राएल) के लोग बुद्धिमान और समझदार हैं।’
यहोवा ने तुमको विनम्र बनाया और तुम्हें भूखा रहने दिया। तब उसने तुम्हें मन्ना खिलाया, जिसे तुम पहले से नहीं जानते थे, जिसे तुम्हारे पूर्वजों ने कभी नहीं देखा था। यहोवा ने यह क्यों किया? क्योंकि वह चाहता था कि तुम जानो कि केवल रोटी ही ऐसी नहीं है जो लोगों को जीवित रखती है। लोगों का जीवन यहोवा के वचन पर आधारित है।
क्योंकि शारीरिक साधना से तो थोड़ा सा ही लाभ होता है जबकि परमेश्वर की सेवा हर प्रकार से मूल्यवान है क्योंकि इसमें आज के समय और आने वाले जीवन के लिए दिया गया आशीर्वाद समाया हुआ है।
जब हमारे प्रभु यीशु मसीह के समर्थ आगमन के विषय में हमने तुम्हें बताया था, तब चतुरतापूर्वक गढ़ी हुई कहानियों का सहारा नहीं लिया था क्योंकि हम तो उसकी महानता के स्वयं साक्षी हैं।
अपने जीवन के लिए और परमेश्वर की सेवा के लिए जो कुछ हमें चाहिए, अपनी दिव्य शक्ति के द्वारा उसने सब कुछ हमें दिया है। क्योंकि हम उसे जानते हैं, जिसने अपनी धार्मिकता और महिमा के कारण हमें बुलाया है।
“धन्य हैं वह जो अपने वस्त्रों को धो लेते हैं। उन्हें जीवन-वृक्ष के फल खाने का अधिकार होगा। वे द्वार से होकर नगर में प्रवेश करने के अधिकारी होंगे।