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लूका 24:50 - पवित्र बाइबल

यीशु फिर उन्हें बैतनिय्याह तक बाहर ले गया। और उसने हाथ उठा कर उन्हें आशीर्वाद दिया।

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Hindi Holy Bible

तब वह उन्हें बैतनिय्याह तक बाहर ले गया, और अपने हाथ उठाकर उन्हें आशीष दी।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

इसके पश्‍चात् येशु शिष्‍यों को बेतनियाह गाँव तक ले गये और उन्‍होंने अपने हाथ उठा कर उन्‍हें आशीर्वाद दिया।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

तब वह उन्हें बैतनिय्याह तक बाहर ले गया, और अपने हाथ उठाकर उन्हें आशीष दी;*

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नवीन हिंदी बाइबल

अतः यीशु उन्हें बाहर बैतनिय्याह के पास तक ले गया, और अपने हाथों को उठाकर उन्हें आशिष दी।

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सरल हिन्दी बाइबल

तब प्रभु येशु उन्हें बैथनियाह नामक गांव तक ले गए और अपने हाथ उठाकर उन्हें आशीष दी.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तब वह उन्हें बैतनिय्याह तक बाहर ले गया, और अपने हाथ उठाकर उन्हें आशीष दी;

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लूका 24:50
15 क्रॉस रेफरेंस  

मेरा प्रिय भोजन बनाओ। उसे मेरे पास लाओ, और मैं इसे खाऊँगा। तब मैं मरने से पहले तुम्हें आशीर्वाद दूँगा।”


यूसुफ ने अपने पिता से कहा, “ये मेरे पुत्र हैं। ये वे लड़के हैं जिन्हें परमेश्वर ने मुझे दिया है।” इस्राएल ने कहा, “अपने पुत्रों को मेरे पास लाओ। मैं उन्हें आशीर्वाद दूँगा।”


ये इस्राएल के बारह परिवार हैं और वही जीज़ें हैं जिन्हें उनके पिता ने उनसे कहा था। उसने हर एक पुत्र को वह आशीर्वाद दिया जो उसके लिए ठीक था।


तब हारून ने अपने हाथ लोगों की ओर उठाए और उन्हें आशीर्वाद दिया। हारून पापबलि, होमबलि और मेलबलि को चढ़ाने के बाद वेदी से नीचे उतर आया।


फिर उन्हें वहीं छोड़ कर वह यरूशलेम नगर से बाहर बैतनिय्याह को चला गया। जहाँ उसने रात बिताई।


फिर उन बच्चों को यीशु ने गोद में उठा लिया और उनके सिर पर हाथ रख कर उन्हें आशीष दी।


फिर जब वे यरूशलेम के पास जैतून पर्वत पर बैतफगे और बैतनिय्याह पहुँचे तो यीशु ने अपने शिष्यों में से दो को


उन्हें आशीर्वाद देते देते ही उसने उन्हें छोड़ दिया और फिर उसे स्वर्ग में उठा लिया गया।


फिर वे जैतून नाम के पर्वत से, जो यरूशलेम से कोई एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, यरूशलेम लौट आये।


इतना कहने के बाद उनके देखते देखते उसे स्वर्ग में ऊपर उठा लिया गया और फिर एक बादल ने उसे उनकी आँखों से ओझल कर दिया।


इसलिए मेरी इच्छा है कि हर कहीं सब पुरुष पवित्र हाथों को उपर उठाकर परमेश्वर के प्रति समर्पित हो बिना किसी क्रोध अथवा मन-मुटाव के प्रार्थना करें।


तब यहोशू ने उनको आशीर्वाद दिया और वे विदा हुए। वे अपने घर लौट गए।