“मैंने निज वस्त्र उतार दिया है। मैं इसे फिर से नहीं पहनना चाहती हूँ। मैं अपने पाँव धो चुकी हूँ, फिर से मैं इसे मैला नहीं करना चाहती हूँ।”
लूका 11:7 - पवित्र बाइबल और कल्पना करो उस व्यक्ति ने भीतर से उत्तर दिया, ‘मुझे तंग मत कर, द्वार बंद हो चुका है, बिस्तर में मेरे साथ मेरे बच्चे हैं, सो तुझे कुछ भी देने मैं खड़ा नहीं हो सकता।’ Hindi Holy Bible और वह भीतर से उत्तर दे, कि मुझे दुख न दे; अब तो द्वार बन्द है, और मेरे बालक मेरे पास बिछौने पर हैं, इसलिये मैं उठकर तुझे दे नहीं सकता पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) और वह घर के भीतर से उत्तर दे, ‘मुझे तंग न करो। अब तो द्वार बन्द हो चुका है। मेरे बाल-बच्चे मेरे साथ बिस्तर पर हैं। मैं उठ कर तुम को कुछ नहीं दे सकता।’ पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और वह भीतर से उत्तर दे, ‘मुझे दु:ख न दे; अब तो द्वार बन्द है और मेरे बालक मेरे पास बिछौने पर हैं, इसलिये मैं उठकर तुझे दे नहीं सकता।’ नवीन हिंदी बाइबल और वह भीतर से उत्तर दे, ‘मुझे तंग न कर; द्वार पहले ही बंद है, और मेरे बच्चे मेरे साथ बिस्तर पर हैं; मैं तुझे उठकर कुछ नहीं दे सकता।’ सरल हिन्दी बाइबल तब वह अंदर ही से उत्तर दे, ‘मुझे मत सताओ! द्वार बंद हो चुका है और मेरे बालक मेरे साथ सो रहे हैं. अब मैं उठकर तुम्हें कुछ नहीं दे सकता.’ इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और वह भीतर से उत्तर देता, कि मुझे दुःख न दे; अब तो द्वार बन्द है, और मेरे बालक मेरे पास बिछौने पर हैं, इसलिए मैं उठकर तुझे दे नहीं सकता। |
“मैंने निज वस्त्र उतार दिया है। मैं इसे फिर से नहीं पहनना चाहती हूँ। मैं अपने पाँव धो चुकी हूँ, फिर से मैं इसे मैला नहीं करना चाहती हूँ।”
“जब वे मोल लेने जा ही रही थी कि दूल्हा आ पहुँचा। सो वे कन्य़ाएँ जो तैयार थीं, उसके साथ विवाह के उत्सव में भीतर चली गईं और फिर किसी ने द्वार बंद कर दिया।
मैं तुम्हें बताता हूँ वह यद्यपि नहीं उठेगा और तुम्हें कुछ नहीं देगा, किन्तु फिर भी क्योंकि वह तुम्हारा मित्र है, सो तुम्हारे निरन्तर, बिना संकोच माँगते रहने से वह खड़ा होगा और तुम्हारी आवश्यकता भर, तुम्हें देगा।
जब एक बार घर का स्वामी उठ कर द्वार बन्द कर देता है, तो तुम बाहर ही खड़े दरवाजा खटखटाते कहोगे, ‘हे स्वामी, हमारे लिये दरवाज़ा खोल दे!’ किन्तु वह तुम्हें उत्तर देगा, ‘मैं नहीं जानता तुम कहाँ से आये हो?’
सो यीशु उनके साथ चल दिया। अभी जब वह घर से अधिक दूर नहीं था, उस सेनानायक ने उसके पास अपने मित्रों को यह कहने के लिये भेजा, “हे प्रभु, अपने को कष्ट मत दे। क्योंकि मैं इतना अच्छा नहीं हूँ कि तू मेरे घर में आये।
पत्र को समाप्त करते हुए मैं तुमसे विनती करता हूँ कि अब मुझे कोई और दुख मत दो। क्योंकि मैं तो पहले ही अपने देह में यीशु के घावों को लिए घूम रहा हूँ।