रोमियों 4:3 - पवित्र बाइबल पवित्र शास्त्र क्या कहता है? “इब्राहीम ने परमेश्वर में विश्वास किया और वह विश्वास उसके लिये धार्मिकता गिना गया।” Hindi Holy Bible पवित्र शास्त्र क्या कहता है यह कि इब्राहीम ने परमेश्वर पर विश्वास किया, और यह उसके लिये धामिर्कता गिना गया। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) क्योंकि धर्मग्रन्थ क्या कहता है?—“अब्राहम ने परमेश्वर में विश्वास किया और यह उनके लिए धार्मिकता माना गया।” पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) पवित्रशास्त्र क्या कहता है? यह कि “अब्राहम ने परमेश्वर पर विश्वास किया, और यह उसके लिये धार्मिकता गिना गया।” नवीन हिंदी बाइबल पवित्रशास्त्र क्या कहता है? अब्राहम ने परमेश्वर पर विश्वास किया और यह उसके लिए धार्मिकता गिना गया। सरल हिन्दी बाइबल पवित्र शास्त्र का लेख क्या है? अब्राहाम ने परमेश्वर में विश्वास किया और इसी को उनकी धार्मिकता के रूप में मान्यता दी गई. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 पवित्रशास्त्र क्या कहता है? यह कि “अब्राहम ने परमेश्वर पर विश्वास किया, और यह उसके लिये धार्मिकता गिना गया।” |
किन्तु परमेश्वर जानता था कि पीनहास ने अति उत्तम कर्म किया है। और परमेश्वर उसे सदा सदा याद रखेगा।
तुम्हें शिक्षाओं और वाचा के अनुसार चलना चाहिये। यदि तुम इन आज्ञाओं का पालन नहीं करोगे तो हो सकता है तुम गलत आज्ञाओं का पालन करने लगो। (ये गलत आज्ञाएँ वे हैं जो जादूगरों और भविष्य बताने वालों के द्वारा मिलती है। ये आज्ञाएँ बेकार हैं। उन आज्ञाओं पर चल कर तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा।)
क्या तुमने शास्त्र का यह वचन नहीं पढ़ा है: ‘वह पत्थर जिसे कारीगरों ने बेकार माना, वही कोने का पत्थर बन गया।’
परमेश्वर ने अपने लोगों को नहीं नकारा जिन्हें उसने पहले से ही चुना था। अथवा क्या तुम नहीं जानते कि एलिय्याह के बारे में शास्त्र क्या कहता है: कि जब एलिय्याह परमेश्वर से इस्राएल के लोगों के विरोध में प्रार्थना कर रहा था?
और फिर एक चिन्ह के रूप में उसने ख़तना ग्रहण किया। जो उस विश्वास के परिणामस्वरूप धार्मिकता की एक छाप थी जो उसने उस समय दर्शाया था जब उसका ख़तना नहीं हुआ था। इसलिए वह उन सभी का पिता है जो यद्यपि बिना ख़तने के हैं किन्तु विश्वासी है। (इसलिए वे भी धर्मी गिने जाएँगे)
किन्तु यदि कोई व्यक्ति काम करने की बजाय उस परमेश्वर में विश्वास करता है, जो पापी को भी छोड़ देता है, तो उसका विश्वास ही उसके धार्मिकता का कारण बन जाता है।
तब क्या यह धन्यपन केवल उन्हीं के लिये है जिनका ख़तना हुआ है, या उनके लिए भी जिनका ख़तना नहीं हुआ। (हाँ, यह उन पर भी लागू होता है जिनका ख़तना नहीं हुआ) क्योंकि हमने कहा है इब्राहीम का विश्वास ही उसके लिये धार्मिकता गिना गया।
क्योंकि शास्त्र में परमेश्वर ने फिरौन से कहा था, “मैंने तुझे इसलिए खड़ा किया था कि मैं अपनी शक्ति तुझ में दिखा सकूँ। और मेरा नाम समूची धरती पर घोषित किया जाये।”
इस प्रकार शास्त्र का यह कहा पूरा हुआ था, “इब्राहीम ने परमेश्वर पर विश्वास किया और विश्वास के आधार पर ही वह धर्मी ठहरा” और इसी से वह “परमेश्वर का मित्र” कहलाया।
अथवा क्या तुम ऐसा सोचते हो कि शास्त्र ऐसा व्यर्थ में ही कहता है कि, “परमेश्वर ने हमारे भीतर जो आत्मा दी है, वह ईर्ष्या पूर्ण इच्छाओं से भरी रहती है।”