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रोमियों 11:11 - पवित्र बाइबल

सो मैं कहता हूँ क्या उन्होंने इसलिए ठोकर खाई कि वे गिर कर नष्ट हो जायें? निश्चय ही नहीं। बल्कि उनके गलती करने से ग़ैर यहूदी लोगों को छुटकारा मिला ताकि यहूदियों में स्पर्धा पैदा हो।

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Hindi Holy Bible

सो मैं कहता हूं क्या उन्होंने इसलिये ठोकर खाई, कि गिर पड़ें? कदापि नहीं: परन्तु उन के गिरने के कारण अन्यजातियों को उद्धार मिला, कि उन्हें जलन हो।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

पर मैं पूछता हूँ : “क्‍या यहूदी ठोकर लगने के कारण सदा के लिए पतित हो गये हैं?” निश्‍चय ही नहीं! उनके अपराध के कारण ही गैर-यहूदियों को मुक्‍ति उपलब्‍ध है, जिससे यहूदी मुक्‍ति प्राप्‍त करने के लिए उनसे स्‍पर्धा करें।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

अत: मैं कहता हूँ क्या उन्होंने इसलिये ठोकर खाई कि गिर पड़ें? कदापि नहीं! परन्तु उनके गिरने के कारण अन्यजातियों को उद्धार मिला, कि उन्हें जलन* हो।

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नवीन हिंदी बाइबल

तो मैं यह पूछता हूँ, “क्या उन्हें इसलिए ठोकर लगी कि वे गिर पड़ें?” कदापि नहीं! बल्कि उनके अपराध के कारण गैरयहूदियों का उद्धार हुआ, कि उनमें जलन उत्पन्‍न‍ हो।

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सरल हिन्दी बाइबल

तो मेरा प्रश्न यह है: क्या उन्हें ऐसी ठोकर लगी कि वे कभी न उठ पाएं? नहीं! बिलकुल नहीं! यहूदियों के गिरने के द्वारा ही गैर-यहूदियों को उद्धार प्राप्‍त हुआ है कि यहूदियों में जलनभाव उत्पन्‍न हो जाए.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

तो मैं कहता हूँ क्या उन्होंने इसलिए ठोकर खाई, कि गिर पड़ें? कदापि नहीं परन्तु उनके गिरने के कारण अन्यजातियों को उद्धार मिला, कि उन्हें जलन हो। (व्यव. 32:21)

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रोमियों 11:11
14 क्रॉस रेफरेंस  

मेरा स्वामी यहोवा कहता है, “मैं बुरे लोगों को मरने देना नहीं चाहता। मैं चाहता हूँ कि वे अपने जीवन को बदलें, जिससे वे जीवित रह सकें!


मैं तुम्हें मारना नहीं चाहता! तुम हमारे पास आओ और रहो!” वे बातें मेरे स्वामी यहोवा ने कहीं।


“तुम्हें उनसे कहना चाहिए, ‘मेरा स्वामी यहोवा कहता है: मैं अपनी जीवन की शपथ खाकर विश्वास दिलाता हूँ कि मैं लोगों को मरता देख कर आनन्दित नहीं होता, पापी व्यक्तियों को भी नहीं। मैं नहीं चाहता कि वे मरें। मैं उन पापी व्यक्तियों को अपने पास लौटाना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि वे अपने जीवन को बदलें जिससे वे जीवित रह सकें। अत: मेरे पास लौटो! बुरे काम करना छोड़ो! इस्राएल के परिवार, तुम्हें मरना ही क्यों चाहिए?’


वह आयेगा और उन किसानों को मार डालेगा तथा अंगूरों का बगीचा औरों को सौंप देगा।” उन्होंने जब यह सुना तो वे बोले, “ऐसा कभी न हो।”


पौलुस और बरनाबास जब वहाँ से जा रहे थे तो लोगों ने उनसे अगले सब्त के दिन ऐसी ही और बातें बताने की प्रार्थना की।


सो जब उन्होंने उसका विरोध किया और उससे भला बुरा कहा तो उसने उनके विरोध में अपने कपड़े झाड़ते हुए उनसे कहा, “तुम्हारा खून तुम्हारे ही सिर पड़े। उसका मुझ से कोई सरोकार नहीं है। अब से आगे मैं ग़ैर यहूदियों के पास चला जाऊँगा।”


किन्तु मैं पूछता हूँ, “क्या इस्राएली नहीं समझते थे?” मूसा कहता है: “पहले मैं तुम लोगों के मन में ऐसे लोगों के द्वारा जो वास्तव में कोई जाति नहीं हैं, डाह पैदा करूँगा। मैं विश्वासहीन जाति के द्वारा तुम्हें क्रोध दिलाऊँगा।”


तो मैं पूछता हूँ, “क्या परमेश्वर ने अपने ही लोगों को नकार नहीं दिया?” निश्चय ही नहीं। क्योंकि मैं भी एक इस्राएली हूँ, इब्राहीम के वंश से और बिन्यामीन के गोत्र से हूँ।


इस प्रकार यदि उनके गलती करने का अर्थ सारे संसार का बड़ा लाभ है और यदि उनके भटकने से ग़ैर यहूदियों का लाभ है तो उनकी सम्पूर्णता से तो बहुत कुछ होगा।


इस आशा से कि मैं अपने लोगों में भी स्पर्धा जगा सकूँ और उनमें से कुछ का उद्धार करूँ।


वैसेही अब वे उसकी आज्ञा नहीं मानते क्योंकि परमेश्वर की दया तुम पर है। ताकि अब उन्हें भी परमेश्वर की दया मिले।