वह नेक मनुष्य है जो यहोवा के उपदेशों से प्रीति रखता है। वह तो रात दिन उन उपदेशों का मनन करता है।
यिर्मयाह 6:10 - पवित्र बाइबल मैं किससे बात करुँ? मैं किसे चेतावनी दे सकता हूँ? मेरी कौन सुनेगा? इस्राएल के लोगों ने अपने कानो को बन्द किया है। अत: वे मेरी चेतावनी सुन नहीं सकते। लोग यहोवा की शिक्षा पसन्द नहीं करते। वे यहोवा का सन्देश सुनना नहीं चाहते। Hindi Holy Bible मैं किस से बोलूं और किस को चिता कर कहूं कि वे मानें? देख, ये ऊंचा सुनते हैं, वे ध्यान भी नहीं दे सकते; देख, यहोवा के वचन की वे निन्दा करते और उसे नहीं चाहते हैं। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मैं किसको चेतावनी दूं? किस से बोलूं कि लोग सुनें? देख, उनके कान बहरे हैं, वे सुन नहीं सकते। उनकी दृष्टि में मुझ-प्रभु का वचन मजाक बन गया है; वे उसको सुनना पसन्द नहीं करते हैं। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) मैं किससे बोलूँ और किसको चिताकर कहूँ कि वे मानें? देख, ये ऊँचा सुनते हैं, वे ध्यान भी नहीं दे सकते; देख, यहोवा के वचन की वे निन्दा करते और उसे नहीं चाहते हैं। सरल हिन्दी बाइबल मैं किसे संबोधित करूं, किसे यह चेतावनी सुनाऊं कि वे इस पर ध्यान दें? आप ही देखिए उनके कान तो बंद हैं, सुनना उनके लिए असंभव है. यह भी देख लीजिए याहवेह का संदेश उनके लिए घृणास्पद बन चुका है; इसमें उनको थोड़ा भी उल्लास नहीं है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 मैं किस से बोलूँ और किसको चिताकर कहूँ कि वे मानें? देख, ये ऊँचा सुनते हैं, वे ध्यान भी नहीं दे सकते; देख, यहोवा के वचन की वे निन्दा करते और उसे नहीं चाहते हैं। (प्रेरि. 7:51) |
वह नेक मनुष्य है जो यहोवा के उपदेशों से प्रीति रखता है। वह तो रात दिन उन उपदेशों का मनन करता है।
हे यहोवा, तू मुझको अपने आदेशों की राह पर ले चल। मुझे सचमुच तेरे आदेशों से प्रेम है। मेरा भला कर और मुझे जीने दे।
हे मेरे परमेश्वर, मैं वही करना चाहता हूँ जो तू चाहता है। मैंने मन में तेरी शिक्षओं को बसा लिया।
किन्तु मूसा ने उत्तर दिया, “इस्राएल के लोग मेरी बात सुनना भी नहीं चाहते हैं इसलिए निश्चय ही फ़िरौन भी सुनना नहीं चाहेगा। मैं बहुत खराब वक्ता हूँ।”
वह देखता बहुत है, किन्तु मेरी आज्ञा नहीं मानता। वह अपने कानों से साफ साफ सुन सकता है किन्तु वह मेरी सुनने से इन्कार करता है।”
हमने जो बातें बतायी थी; उनका सचमुच किसने विश्वास किया यहोवा के दण्ड को सचमुच किसने स्वीकारा
“इस्राएल के लोगों का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है: यिर्मयाह, जाओ यहूदा एवं यरूशलेम के लोगों को यह सन्देश दो: ‘लोगों, तुम्हें सबक सीखना चाहिये और मेरे सन्देश का पालन करना चाहिये।’ यह सन्देश यहोवा का है।
यहोवा के लोग बनो, अपने हृदय को बदलो। यहूदा के लोगों और यरूशलेम के निवासियों, यदि तुम नहीं बदले, तो मैं बहुत क्रोधित होऊँगा। मेरा क्रोध आग की तरह फैलेगा और मेरा क्रोध तुम्हें जला देगा और कोई व्यक्ति उस आग को बुझा नहीं पाएगा। यह क्यों होगा क्योंकि तुमने बुरे काम किये हैं।” उत्तर दिशा से विध्वंस
इस सन्देश को सुनो, तुम मूर्ख लोगों, तुम्हें समझ नहीं हैं: तुम लोगों की आँखें है, किन्तु तुम देखते नहीं! तुम लोगों के कान हैं, किन्तु तुम सनते नहीं!
इस्राएल के लोगों, तुम लोग ये सब पाप कर्म करते रहे। यह सन्देश यहोवा का था! मैंने तुमसे बार—बार बातें कीं, किन्तु तुमने मेरी अनसुनी कर दी। मैंने तुम लोगों को पुकारा पर तुमने उत्तर नहीं दिया।
किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी अनसुनी की। उन्होंने मुझ पर ध्यान नहीं दिया। वे बहुत हठी रहे, और उन्होंने अपने पूर्वजों से भी बढ़कर बुराईयाँ कीं।
मैं मिस्र, यहूदा, एदोम, अम्मोन तथा मोआब के राष्ट्रों और उन सभी लोगों के बारे में बातें कर रहा हूँ जो मरुभूमि में रहते हैं जो दाढ़ी के किनारों के बालों को काटते हैं। उन सभी देशों के लोगों ने अपने शरीर का खतना नहीं करवाया है। किन्तु इस्राएल के परिवार के लोगों ने हृदय से खतना को नहीं ग्रहण किया है, जैसे कि परमेश्वर के लोगों को करना चाहिए।”
नहीं! मैं तो तुम्हें इस्राएल के परिवार में भेज रहा हूँ। केवल वे लोग ही कठोर चित्त वाले हैं—वे बहुत ही हठी है और इस्राएल के लोग तुम्हारी सुनने से इन्कार कर देंगे। वे मेरी सुनना नहीं चाहते!
यदि पहरेदार शत्रु के सैनिकों को आते देखता है, तो वह तुरही बजाता है और लोगों को सावधान करता है।
किन्तु यदि तुम उस बुरे व्यक्ति को अपना जीवन बदलने के लिये और पाप करना छोड़ने के लिये चेतावनी देते हो और यदि वह पाप करना छोड़ने से इन्कार करता है तो वह मरेगा क्योंकि उसने पाप किया, किन्तु तुमने अपना जीवन बचा लिया।”
बेतेल के याजक अमस्याह ने इस्राएल के राजा यारोबाम को यह सन्देश भेजा: “आमोस तुम्हारे विरूद्ध षड़यन्त्र रच रहा है। वह इस्राएल के लोगों को तुम्हारे विरूद्ध युद्ध के लिये भड़का रहा है। वह इतना अधिक कह रहा है कि उसके शब्द पूरे देश में भी समा नहीं सकते।
जब उसने देखा कि बहुत से फ़रीसी और सदूकी उसके पास बपतिस्मा लेने आ रहे हैं तो वह उनसे बोला, “ओ, साँप के बच्चों! तुम्हें किसने चेता दिया है कि तुम प्रभु के भावी क्रोध से बच निकलो?
तब एक न्यायशास्त्री ने यीशु से कहा, “गुरु, जब तू ऐसी बातें कहता है तो हमारा भी अपमान करता है।”
उसी क्षण यहूदी धर्मशास्त्रि और प्रमुख याजक कोई रास्ता ढूँढकर उसे पकड़ लेना चाहते थे क्योंकि वे जान गये थे कि उसने यह दृष्टान्त कथा उनके विरोध में कही है। किन्तु वे लोगों से डरते थे।
यह जगत तुमसे घृणा नहीं कर सकता पर मुझसे घृणा करता है। क्योंकि मैं यह कहता रहता हूँ कि इसकी करनी बुरी है।
कुछ फ़रीसी जो यीशु के साथ थे, यह सुनकर यीशु से बोले, “निश्चय ही हम अंधे नहीं हैं। क्या हम अंधे हैं?”
“हे बिना ख़तने के मन और कान वाले हठीले लोगो! तुमने सदा ही पवित्र आत्मा का विरोध किया है। तुम अपने पूर्वजों के जैसे ही हो।
फिर वह घुटनों के बल गिर पड़ा और ऊँचे स्वर में चिल्लाया, “प्रभु, इस पाप कोउनके विरुद्ध मत ले।” इतना कह कर वह चिर निद्रा में सो गया।
किन्तु आज भी तुम नहीं समझते कि क्या हुआ। यहोवा ने सचमुच तुमको नहीं समझाया जो तुमने देखा और सुना।
हमें जो ज्ञान प्राप्त है उस समूचे का उपयोग करते हुए हम हर किसी को निर्देश और शिक्षा प्रदान करते हैं ताकि हम उसे मसीह में एक परिपूर्ण व्यक्ति बनाकर परमेश्वर के आगे उपस्थित कर सकें। व्यक्ति को उसी की सीख देते हैं तथा अपनी समस्त बुद्धि से हर व्यक्ति को उसी की शिक्षा देते हैं ताकि हर व्यक्ति को मसीह में परिपूर्ण बना कर परमेश्वर के आगे उपस्थित कर सकें।
मैं यह इसलिए बता रहा हूँ कि एक समय ऐसा आयेगा जब लोग उत्तम उपदेश को सुनना तक नहीं चाहेंगे। वे अपनी इच्छाओं के अनुकूल अपने लिए बहुत से गुरु इकट्ठे कर लेंगे, जो वही सुनाएँगे जो वे सुनना चाहते हैं।
विश्वास के कारण ही नूह को जब उन बातों की चेतावनी दी गयी जो उसने देखी तक नहीं थी तो उसने पवित्र भयपूर्वक अपने परिवार को बचाने के लिए एक नाव का निर्माण किया था। अपने विश्वास से ही उसने इस संसार को दोषपूर्ण माना और उस धार्मिकता का उत्तराधिकारी बना जो विश्वास से आती है।