अत: एबेदमेलेक ने अपने साथ व्यक्तियों को लिया। किन्तु पहले वह राजमहल के भंडारगृह के एक कमरे में गया। उसने कुछ पुराने कम्बल और फटे पुराने कपड़े उस कमरे से लिये। तब उसने उन कम्बलों को रस्सी के सहारे हौज में यिर्मयाह के पास पहुँचाया।
यिर्मयाह 38:12 - पवित्र बाइबल कूशी एबेदमेलेक ने यिर्मयाह से कहा, “इन पुराने कम्बलों और चिथड़ों को अपनी बगल के नीचे लगाओ। जब हम लोग तुम्हें खींचेंगे तो ये तुम्हारी बाँहों के नीचे गदेले बनेंगे। तब रस्सियाँ तुम्हें चुभेंगी नहीं।” अत: यिर्मयाह ने वही किया जो एबेदमेलेक ने कहा। Hindi Holy Bible और एबेदमेलेक कूशी ने यिर्मयाह से कहा, ये पुराने कपड़े और चिथढ़े अपनी कांखों में रस्सियों के नीचे रख ले। सो यिर्मयाह ने वैसा ही किया। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) एबेदमेलेक ने पुकार कर यिर्मयाह से कहा, ‘ये फटे-पुराने कपड़े और चिथड़े अपनी कांखों में रस्सी के नीचे रख लीजिए।’ यिर्मयाह ने ऐसा ही किया। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) तब एबेदमेलेक कूशी ने यिर्मयाह से कहा, “ये पुराने कपड़े और चिथड़े अपनी काँखों में रस्सियों के नीचे रख ले।” यिर्मयाह ने वैसा ही किया। सरल हिन्दी बाइबल तत्पश्चात कूश देशवासी एबेद-मेलेख ने येरेमियाह से कहा, “इन पुराने वस्त्रों को रस्सियों के नीचे अपनी बगलों में दबा लीजिए.” येरेमियाह ने ऐसा ही किया, इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 तब एबेदमेलेक कूशी ने यिर्मयाह से कहा, “ये पुराने कपड़े और चिथड़े अपनी कांखों में रस्सियों के नीचे रख ले।” यिर्मयाह ने वैसा ही किया। |
अत: एबेदमेलेक ने अपने साथ व्यक्तियों को लिया। किन्तु पहले वह राजमहल के भंडारगृह के एक कमरे में गया। उसने कुछ पुराने कम्बल और फटे पुराने कपड़े उस कमरे से लिये। तब उसने उन कम्बलों को रस्सी के सहारे हौज में यिर्मयाह के पास पहुँचाया।
उन लोगों ने यिर्मयाह को रस्सियों से ऊपर खींचा और हौज के बाहर निकाल लिया और यिर्मयाह मन्दिर के आँगन में रक्षकों के संरक्षण में रहा।
किन्तु एबेदमेलेक नामक एक व्यक्ति ने सुना कि अधिकारियों ने यिर्मयाह को हौज में रखा है। एबेदमेलेक कूश का निवासी थी और वह राजा के महल में खोजा था। राजा सिदकिय्याह बिन्यामीन द्वार पर बैठा था। अत: एबेदमेलेक राजमहल से निकला और राजा से बातें करने उस द्वार पर पहुँचा।
भाई चारे के साथ एक दूसरे के प्रति समर्पित रहो। आपस में एक दूसरे को आदर के साथ अपने से अधिक महत्व दो।
परस्पर एक दूसरे के प्रति दयालु और करुणावान बनो। तथा आपस में एक दूसरे के अपराधों को वैसे ही क्षमा करो जैसे मसीह के द्वारा तुम को परमेश्वर ने भी क्षमा किया है।