एक बार ईज़ेबेल यहोवा के सभी नबियों को जान से मार रही थी। इसलिये ओबद्याह ने सौ नबियों को लिया और उन्हें दो गुफाओं में छिपाया। ओबद्याह ने एक गुफा में पचास नबी और दूसरी गुफा में पचास नबी रखे। तब ओबद्याह उनके लिये पानी और भोजन लाया।)
यिर्मयाह 26:24 - पवित्र बाइबल शापान का पुत्र अहीकाम ने यिर्मयाह का समर्थन किया। अत: अहीकाम ने लोगों द्वारा मार डाले जाने से यिर्मयाह को बचा लिया। Hindi Holy Bible परन्तु शापान का पुत्र अहीकाम यिर्मयाह की सहायता करने लगा और वह लोगों के वश में वध होने के लिये नहीं दिया गया। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) किन्तु उच्चाधिकारी अहीकाम बेन-शापान ने यिर्मयाह की मदद की। अत: यिर्मयाह भीड़ के हाथ में नहीं सौंपे गए, अन्यथा भीड़ उनको मार डालती। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) परन्तु शापान का पुत्र अहीकाम यिर्मयाह की सहायता करने लगा और वह लोगों के वश में वध होने के लिये नहीं दिया गया। सरल हिन्दी बाइबल किंतु, शापान का पुत्र अहीकाम येरेमियाह का सहायक था, परिणामस्वरूप येरेमियाह को मृत्यु दंड के लिए लोगों के हाथों में सौंपा नहीं गया. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 परन्तु शापान का पुत्र अहीकाम यिर्मयाह की सहायता करने लगा और वह लोगों के वश में वध होने के लिये नहीं दिया गया। |
एक बार ईज़ेबेल यहोवा के सभी नबियों को जान से मार रही थी। इसलिये ओबद्याह ने सौ नबियों को लिया और उन्हें दो गुफाओं में छिपाया। ओबद्याह ने एक गुफा में पचास नबी और दूसरी गुफा में पचास नबी रखे। तब ओबद्याह उनके लिये पानी और भोजन लाया।)
बाबेल के राजा नबूकदनेस्सर ने यहूदा देश में कुछ लोगों को छोड़ा। उसने अहीकाम के पुत्र गदल्याह को यहूदा के उन लोगों का शासक बनाया। अहीकाम शापान का पुत्र था।
तब राजा ने हिल्किय्याह शापान के पुत्र अहीकाम, मीका के पुत्र अब्दोन, सचिव शापान और सेवक असायाह को आदेश दिया।
सिदकिय्याह ने एलासा और गमर्याह को राजा नबूकदनेस्सर के पास भेजा। सिदकिय्याह यहूदा का राजा था। एलासा शापान का पुत्र था और गमर्याह हिल्किय्याह का पुत्र था। यिर्मयाह उस पत्र को उन लोगों को बाबुल ले जाने के लिये दिया। पत्र में जो लिखा था वह यह है:
उस समय बारुक ने उस पत्रक को पढ़ा जिसमें यिर्मयाह के कथन थे। उसने पत्रक को यहोवा के मन्दिर में पढ़ा। बारुक ने पत्रक को उन सभी लोगों के सामने पढ़ा जो यहोवा के मन्दिर में थे। बारुक उस समय ऊपरी आँगन में यमरिया के कमरे में था। वह पत्रक को पढ़ रहा था। वह कमरा मन्दिर के नये द्वार के पास स्थित था। यमरिया शापान का पुत्र था। यमरिया मन्दिर में एक शास्त्री था।
मीकायाह नामक एक व्यक्ति ने यहोवा के उन सारे सन्देशों को सुना जिन्हें बारुक ने पत्रक से पढ़ा। मीकायाह उस गमर्याह का पुत्र था जो शापान का पुत्र था।
जब मीकायाह ने पत्रक से सन्देश को सुना तो वह राजा के महल में सचिव के कमरे में गया। राजकीय सभी अधिकारी राजमहल में बैठे थे। उन अधिकारियों के नाम ये हैं: सचिव एलीशामा, शमायाह का पुत्र दलायाह, अबबोर का पुत्र एलनातान, शापान का पुत्र गमर्याह, हनन्याह का पुत्र सिदकिय्याह और अन्य सभी राजकीय अधिकारी भी वहाँ थे।
तब राजकीय अधिकारियों ने बारुक से कहा, “तुम्हें और यिर्मयाह को कहीं जा कर छिप जाना चाहिये। किसी से न बताओ कि तुम कहाँ छिपे हो।”
और राजा यहोयाकीम ने कुछ व्यक्तियों को आदेश दिया कि वे शास्त्री बारुक और यिर्मयाह नबी को बन्दी बनायें। ये व्यक्ति राजा का एक पुत्र अज्राएल का पुत्र सरायाह और अब्देल का पुत्र शेलेम्याह थे। किन्तु वे व्यक्ति बारुक और यिर्मयाह को न ढूँढ सके क्योंकि यहोवा ने उन्हें छिपा दिया था।
न लोगों ने यिर्मयाह को मन्दिर के आँगन से निकाला जहाँ वह यहूदा के राजा के रक्षकों के संरक्षण में पड़ा था। कसदी सेना के उन अधिकारियों ने यिर्मयाह को गदल्याह के सुपुर्द किया। गदल्याह अहीकाम का पुत्र था। अहीकाम शापान का पुत्र था। गदल्याह को आदेश था कि वह यिर्मयाह को उसके घर वापस ले जाये। अत: यिर्मयाह अपने घर पहुँचा दिया गया और वह अपने लोगों में रहने लगा।
तब मैंने इस पर ध्यान दिया कि शापान का पुत्र याजन्याह और इस्राएल के सत्तर अग्रज (प्रमुख) उस स्थान पर पूजा करने वालों के साथ थे। वहाँ पर वे, लोगों के ठीक सामने थे, और हर एक प्रभुख के हाथ में अपनी सुगन्धि का थाल था। जलती सुगन्धि का धुँआ हवा में उठ रहा था।
क्योंकि यह विवाद हिंसक रूप ले चुका था, इससे वह सेनापति डर गया कि कहीं वे पौलुस के टुकड़े-टुकड़े न कर डालें। सो उसने सिपाहियों को आदेश दिया कि वे नीचे जा कर पौलुस को उनसे अलग करके छावनी में ले जायें।
किन्तु सेनानायक पौलुस को बचाना चाहता था, इसलिये उसने उन्हें उनकी योजना को अमल में लाने से रोक दिया। उसने आज्ञा दी कि जो भी तैर सकते हैं, वे पहले ही कूद कर किनारे जा लगें
किन्तु धरती ने अपना मुख खोलकर उस स्त्री की सहायता की और उस विशालकाय अजगर ने अपने मुख से जो नदी निकाली थी, उसे निगल लिया।