जन्म लेने का एक उचित समय निश्चित है, और मृत्यु का भी। एक समय होता है पेड़ों के रोपने का, और उनको उखाड़ने का।
यिर्मयाह 18:9 - पवित्र बाइबल कभी ऐसा अन्य समय आ सकता है जब मैं किसी राष्ट्र के बारे में बातें करुँ। मैं यह कह सकता हूँ कि मैं उस राष्ट्र का निर्माण करुँगा और उसे स्थिर करुँगा। Hindi Holy Bible और जब मैं किसी जाति वा राज्य के विषय कहूं कि मैं उसे बनाऊंगा और रोपूंगा; पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) ‘यदि मैं कभी किसी राष्ट्र या राज्य के सम्बन्ध में यह घोषित करता हूं कि मैं उसको रोपूंगा, और उसकी जड़ें मजबूत करूंगा; पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) और जब मैं किसी जाति या राज्य के विषय कहूँ कि मैं उसे बनाऊँगा और रोपूँगा; सरल हिन्दी बाइबल अथवा दूसरे क्षण में किसी राष्ट्र, किसी राज्य के विषय में उसके निर्माण अथवा रोपण का विचार व्यक्त करूं, इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 और जब मैं किसी जाति या राज्य के विषय कहूँ कि मैं उसे बनाऊँगा और रोपूँगा; |
जन्म लेने का एक उचित समय निश्चित है, और मृत्यु का भी। एक समय होता है पेड़ों के रोपने का, और उनको उखाड़ने का।
आज मैंने तुम्हें राज्यों और राष्ट्रों का अधिकारी बनाया है। तुम इन्हें उखाड़ और उजाड़ सकते हो। तुम इन्हें नष्ट और उठा फेंक सकते हो। तुम इन्हें और उठा फेंक सकते हो। तुम निर्माण और रोपण कर सकते हो।”
सर्वशक्तिमान यहोवा ने तुमको रोपा, और उसने यह घोषणा की है कि तुम पर बरबादी आएगी। क्यों क्योंकि इस्राएल के परिवार और यहूदा के परिवार ने बुरे काम किये हैं। उन्होंने बाल को बलि भेंट करके मुझको क्रोधित किया है!”
यहोवा कहता है: “याकूब के लोग अब बन्दी हैं। किन्तु वे वापस आएंगे। और मैं याकूब के परिवारों पर दया करूँगा। नगर अब बरबाद इमारतों से ढका एक पहाड़ी मात्र है। किन्तु यह नगर फिर बनेगा और राजा का महल भी वहाँ फिर बनेगा जहाँ इसे होना चाहिये।
अतीत में, मैंने इस्राएल और यहूदा पर ध्यान दिया, किन्तु मैंने उस समय उन्हें फटकारने की दृष्टि से ध्यान दिया। मैंने उन्हें उखाड़ फेंका। मैंने उन्हें नष्ट किया। मैंने उन पर अनेक विपत्तियाँ ढाई। किन्तु अब मैं उन पर उनको बनाने तथा उन्हें शक्तिशाली करने की दृष्टि से ध्यान दूँगा।” यह सन्देश यहोवा का है।
यह सन्देश यहोवा का है: “वे दिन आ रहे हैं जब यरूशलेम नगर यहोवा के लिये फिर बनेगा। पूरा नगर हननेल के स्तम्भ से कोने वाले फाटक तक फिर बनेगा।
मेरी दुल्हन, इस्राएल, मैं तुम्हें फिर सवारुँगा। तुम फिर सुन्दर देश बनोगी। तुम अपना तम्बूरा फिर संभालोगी। तुम विनोद करने वाले अन्य सभी लोगों के साथ नाचोगी।
वे मुझे प्रसन्न करेंगे। मैं उनका भला करने में आनन्दित होऊँगा और मैं, निश्चय ही, उन्हें इस धरती में बसाऊँगा और उन्हें बढ़ाऊँगा। यह मैं अपने पूरे हृदय और आत्मा से करूँगा।’”