यहेजकेल 18:8 - पवित्र बाइबल यदि कोई मुद्रा ऋण लेना चाहता है तो भला व्यक्ति उसे ऋण देता है। वह उस ऋण का ब्याज नहीं लेता। भला व्यक्ति कुटिल होने से इन्कार करता है। वह हर व्यक्ति के प्रति सदा भला रहता है। लोग उस पर विश्वास कर सकते हैं। Hindi Holy Bible न ब्याज पर रुपया दिया हो, न रुपए की बढ़ती ली हो, और अपना हाथ कुटिल काम से रोका हो, मनुष्य के बीच सच्चाई से न्याय किया हो, पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) वह अपना धन ब्याज पर नहीं देता और न ही सूद खाता है। वह किसी कुकर्म में हाथ नहीं डालता। वह वादी और प्रतिवादी के बीच सच्चाई से न्याय करता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) न ब्याज पर रुपया दिया हो, न रुपए की बढ़ती ली हो, और अपना हाथ कुटिल काम से रोका हो, मनुष्य के बीच सच्चाई से न्याय किया हो, सरल हिन्दी बाइबल वह बिना किसी ब्याज के पैसा उधार देता है, या उनसे लाभ नहीं उठाता है. वह गलत कार्य करने से अपने हाथ को रोके रखता है और दो पक्षों के बीच सही न्याय करता है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 न ब्याज पर रुपया दिया हो, न रुपये की बढ़ती ली हो, और अपना हाथ कुटिल काम से रोका हो, मनुष्य के बीच सच्चाई से न्याय किया हो, |
किन्तु मुझ से पहले के राज्यपालों ने लोगों के जीवन को दूभर बना दिया था। वे राज्यपाल लोगों पर लगभग एक पौंड चाँदी चालीस शकेल देने के लिए दबाव डाला करते थे। उन लोगों पर वे खाना और दाखमधु देने के लिये भी दबाव डालते थे। उन राज्यपालों के नीचे के हाकिम भी लोगों पर हुकूमत चलाते थे और जीवन को औऱ अधिक दूभर बनाते रहते थे। किन्तु मैं क्योंकि परमेश्वर का आदर करता था, और उससे डरता था, इसलिए मैंने कभी वैसे काम नहीं किये।
वह मनुष्य यदि किसी को धन उधार देता है तो वह उस पर ब्याज नहीं लेता, और वह मनुष्य किसी निरपराध जन को हानि पहुँचाने के लिये घूस नहीं लेता। यदि कोई मनुष्य उस खरे जन सा जीवन जीता है तो वह मनुष्य परमेश्वर के निकट सदा सर्वदा रहेगा।
“यदि मेरे लोगों में से कोई गरीब हो और तुम उसे कर्ज़ दो तो उस धन के लिए तुम्हें ब्याज़ नहीं लेना चाहिए। और जल्दी चुकाने के लिए भी तुम उसे मजबूर नहीं करोगे।
वह जो मोटा ब्याज वसूल कर निज धन बढ़ाता है, वह तो यह धन जोड़ता है किसी ऐसे दयालु के लिये जो गरीबों पर दया करता है।
अच्छे काम करना सीखो। दूसरे लोगों के साथ न्याय करो। जो लोग दूसरों को सताते हैं, उन्हें दण्ड दो। अनाथ बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्ष करो। जिन स्त्रियों के पति मर गये हैं, उन्हें न्याय दिलाने के लिए उनकी पैरवी करो।”
वे लोग ही इस आग में से बच पायेंगे जो अच्छे हैं, सच्चे हैं। वे लोग पैसे के लिये दूसरों को हानि नहीं पहुँचाना चाहते। वे लोग घूस नहीं लेते। दूसरे लोगों की हत्याओं की योजना को वे सुनने तक से मना कर देते हैं। बुरे काम करने की योजनाओं को वे देखना भी नहीं चाहते।
हाय माता, तूने मुझे जन्म क्यों दिया मैं (यिर्मयाह) वह व्यक्ति हूँ जो पूरे देश को दोषी कहे और आलोचना करे। मैंने न कुछ उधार दिया है और न ही लिया है। किन्तु हर एक व्यक्ति मुझे अभिशाप देता है।
तब तुम जानोगे कि मैं यहोवा हूँ। वह मेरा नियम था जिसे तुमने तोड़ा है! तुमने मेरे आदेशों का पालन नहीं किया। तुमने अपने चारों ओर के राष्ट्रों की तरह रहने का निर्णय किया।”
किसी व्यक्ति को उस पापी पुत्र से ऋण लेने की आवश्यकता हो सकती है। वह पुत्र उसे मुद्रा ऋण दे सकता है, किन्तु वह उस व्यक्ति को उस ऋण पर ब्याज देने के लिये विवश करेगा। अत: वह पापी पुत्र जीवित नहीं रहेगा। उसने भयंकर पाप किये अत: मार दिया जाएगा और अपनी मृत्यु के लिये वह स्वयं ही उत्तरदायी है।
वह गरीबों की सहायता करता है यदि कोई व्यक्ति ऋण लेना चाहता है तो भला पुत्र उसे मुद्रा उधार दे देता है और वह उस ऋण पर ब्याज नहीं लेता। भला पुत्र मेरे नियमों का पालन करता है और मेरे नियम के अनुसार चलता है! वह भला पुत्र अपने पिता के पापों के कारण मारा नहीं जायेगा! वह भला पुत्र जीवित रहेगा।
यरूशलेम में, तुम लोग, लोगों को मार डालने के लिये धन लेते हो। तुम लोग ऋण देते हो और उस ऋण पर ब्याज लेते हो। तुम लोग थोड़े धन को पाने के लिये अपने पड़ोसी को ठगते हो और तुम लोग मुझे भूल गए हो।’ मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कहीं।
“तुम्हें न्याय करने मै ईमानदार होना चाहिए। न तो तुम्हें ग़रीब के साथ विशेष पक्षपात करना चाहिए और न ही बड़े एवं धनी लोगों के प्रति कोई आदर दिखाना चाहिए। तुम्हें अपने पड़ोसी के साथ न्याय करते समय ईमानदार होना चाहिए।
“तम्हें न्याय करते समय लोगों के प्रति ईमानदार होना चाहिए। तुम्हें चीज़ों के नापने और तौलने में ईमानदार होना चाहिए।
किन्तु तुम्हें यह करना चाहिए: अपने पङोसीयों से सत्य बोलो। जब तुम अपने नगरों में निर्णय लो, तो वह करो जो सत्य और शान्ति लाने वाला हो।
सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “शोक मनाने और उपवास के विशेष दिन चौथे महीने, पाँचवें महीने, सातवें महीने और दसवें महीने में हैं। वे शोक के दिन प्रसन्नता के दिन में बदल जाने चाहिये। वे अच्छे और प्रसन्ननता के दिन में बदल जाने चाहिये। वो अच्छे और प्रसन्ननता के पवित्र दिन होंगे और तम्हें सत्य और शान्ति से प्रेम करना चाहिये!”
“जब तुम यहोवा अपने परमेश्वर को वचन दो, तो जो तुम देने को कहो उन सबको देने में ढीले न पड़ो। यदि तुम वचन दी गई चिज़ों को नहीं दोगे तो पाप करोगे।