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यशायाह 57:20 - पवित्र बाइबल

किन्तु दुष्ट लोग क्रोधित सागर के जैसे होते हैं। वे चुप या शांत नहीं रह सकते। वे क्रोधित रहते हैं और समुद्र की तरह कीचड़ उछालते रहते हैं। मेरे परमेश्वर का कहना है:

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Hindi Holy Bible

परन्तु दुष्ट तो लहराते समुद्र के समान है जो स्थिर नहीं रह सकता; और उसका जल मैल और कीच उछालता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

परन्‍तु दुर्जन व्यक्‍ति उमड़ते हुए समुद्र के समान है, जो कभी शान्‍त नहीं होता, जिसका जल कीचड़ और कचरा उछालता रहता है।’

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

परन्तु दुष्‍ट तो लहराते हुए समुद्र के समान है जो स्थिर नहीं रह सकता; और उसका जल मैल और कीच उछालता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

परंतु दुष्ट लहराते हुए सागर समान है, जो स्थिर रह ही नहीं सकता, उसकी तरंगें कचरे और कीचड़ को उछालती रहती हैं.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

परन्तु दुष्ट तो लहराते हुए समुद्र के समान है जो स्थिर नहीं रह सकता; और उसका जल मैल और कीच उछालता है। (यहू. 1:13)

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यशायाह 57:20
13 क्रॉस रेफरेंस  

अराम का राजा इससे बहुत घबराया। अराम के राजा ने अपने सैनिक अधिकारियों को बुलाया, और उनसे पूछा, “मुझे बताओ कि इस्राएल के राजा के लिये जासूसी कौन कर रहा है।”


किन्तु बुरे लोगों के लिए यह बहुत बुरा होगा। उन पर बड़ी विपत्ति टूट पड़ेगी। जो बुरे काम उन्होंने किये हैं, उन सब के लिये उन्हें दण्ड दिया जायेगा।


लोगों के चेहरों पर जो भाव हैं उनसे साफ़ दिखाई देता है कि वे बुरे कर्म करने के अपराधी हैं। किन्तु वे इन अपराधों को छुपाते नहीं है, बल्कि उन पर गर्व करते हुए अपने पापों की डोंडी पीटते हैं। वे ढीठ हैं। वे सदोम नगरी के लोगों के जैसे हैं। उन्हें इस बात की परवाह नही। है कि उनके पापों को कौन देख रहा है। यह उनके लिये बहुत बुरा होगा। अपने ऊपर इतनी बड़ी विपत्ति उन्होनें स्वयं बुलाई है।


किन्तु परमेश्वर कहता है, “दुष्टों को शांति नहीं है!”


ऐसे लोग शांति का मार्ग नहीं जानते। उनके जीवन में नेकी तो होती ही नहीं। उनके रास्ते ईमानदारी के नहीं होते। कोई भी व्यक्ति जो उनके जैसा जीवन जीता है, अपने जीवन में कभी शांति नहीं पायेगा।


यह सन्देश दमिश्क नगर के लिये है: “हमात और अर्पद नगर भयभीत हैं। वे डरे हैं क्योंकि उन्होंने बुरी खबर सुनी है। वे साहसहीन हो गए हैं। वे परेशान और आतंकित हैं।


ये लोग तुम्हारे प्रीति-भोजों में उन छुपी हुई चट्टानों के समान हैं जो घातक हैं। ये लोग निर्भयता के साथ तुम्हारे संग खाते-पीते हैं किन्तु उन्हें केवल अपने स्वार्थ की ही चिंता रहती है। वे बिना जल के बादल हैं। वे पतझड़ के ऐसे पेड़ हैं जिन पर फल नहीं होता। वे दोहरे मरे हुए हैं। उन्हें उखाड़ा जा चुका है।


वे समुद्र की ऐसी भयानक लहरें हैं, जो अपने लज्जापूर्ण कार्यों का झाग उगलती रहती हैं। वे इधर-उधर भटकते ऐसे तारे हैं जिनके लिए अनन्त गहन अंधकार सुनिश्चित कर दिया गया है।