कुछ लोग मेरे पास मिलने आते हैं। पर वे नहीं कहते जो सचमुच सोच रहे हैं। वे लोग मेरे विषय में कुछ पता लगाने आते और जब वे लौटते अफवाह फैलाते।
मरकुस 7:20 - पवित्र बाइबल फिर उसने कहा, “मनुष्य के भीतर से जो निकलता है, वही उसे अशुद्ध बनाता है Hindi Holy Bible फिर उस ने कहा; जो मनुष्य में से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) येशु ने फिर कहा, “जो मनुष्य में से बाहर निकलता है, वही उसे अशुद्ध करता है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) फिर उसने कहा, “जो मनुष्य में से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। नवीन हिंदी बाइबल फिर उसने कहा,“जो मनुष्य में से निकलता है वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। सरल हिन्दी बाइबल “जो मनुष्य में से बाहर आता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 फिर उसने कहा, “जो मनुष्य में से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। |
कुछ लोग मेरे पास मिलने आते हैं। पर वे नहीं कहते जो सचमुच सोच रहे हैं। वे लोग मेरे विषय में कुछ पता लगाने आते और जब वे लौटते अफवाह फैलाते।
ऐसे उन लोगों पर विपत्तियाँ गिरेंगी, जो पापपूर्ण योजना बनाते हैं। ऐसे लोग बिस्तर में सोते हुए षड़यन्त्र रचते हैं और पौ फटते ही वे अपने षड़यन्त्रों पर चलने लगते हैं। क्यों क्योकि उन के पास उन्हें पूरा करने की शक्ति है।
किन्तु जो मनुष्य के मुँह से बाहर आता है, वह उसके मन से निकलता है। यही उसको अपवित्र करता है।
यीशु ने उत्तर दिया, “शास्त्र में लिखा है, ‘मनुष्य केवल रोटी से ही नहीं जीता बल्कि वह प्रत्येक उस शब्द से जीता है जो परमेश्वर के मुख से निकालता है।’”
ऐसी कोई वस्तु नहीं है जो बाहर से मनुष्य के भीतर जा कर उसे अशुद्ध करे, बल्कि जो वस्तुएँ मनुष्य के भीतर से निकलतीं हैं, वे ही उसे अशुद्ध कर सकती हैं।”
फिर भी मिलिकिसिदक ने, जो लेवी वंशी भी नहीं था, इब्राहीम से दसवाँ भाग लिया। और उस इब्राहीम को आशीर्वाद दिया जिसके पास परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ थीं।
हाँ, जीभ एक लपट है। यह बुराई का एक पूरा संसार है। यह जीभ हमारे देह के अंगों में एक ऐसा अंग है, जो समूचे देह को भ्रष्ट कर डालता है और हमारे समूचे जीवन चक्र में ही आग लगा देता है। यह जीभ नरक की आग से धधकती रहती है।
तुम्हारे बीच लड़ाई-झगड़े क्यों होते हैं? क्या उनका कारण तुम्हारे अपने ही भीतर नहीं है? तुम्हारी वे भोग-विलासपूर्ण इच्छाएँ ही जो तुम्हारे भीतर निरन्तर द्वन्द्व करती रहती हैं, क्या उन्हीं से ये पैदा नहीं होते?