इसके बाद लेवीवंशी येशू, कदमीएल, बानी, हशबन्याह, शेरेब्याह, होदियाह, शबन्याह और पतहयाह ने फिर कहा। वे बोले: “खड़े हो जाओ और अपने यहोवा परमेश्वर की स्तुति करो! “परमेश्वर सदा से जीवित था! और सदा ही जीवित रहेगा! लोगों को चाहिये कि स्तुति करें तेरे महिमावान नाम की! सभी आशीषों से और सारे गुण—गानों से नाम ऊपर उठे तेरा!
हे आकाशों, हे धरती, तुम प्रसन्न हो जाओ! हे पर्वतों, आनन्द से जयकारा बोलो! क्यों क्योंकि यहोवा अपने लोगों को सुख देता है। यहोवा अपने दीन हीन लोगों के लिये बहुत दयालु है।
हर स्वर्गदूत दूसरे स्वर्गदूत से पुकार—पुकार कर कह रहे थे, “पवित्र, पवित्र, पवित्र, सर्वशक्तिशाली यहोवा परम पवित्र है! यहोवा की महिमा सारी धरती पर फैली है।” स्वर्गदूतों की वाणी के स्वर बहुत ऊँचे थे।
फिर मैंने सुना कि स्वर्ग की, धरती पर की, पाताल लोक की, समुद्र की, समूची सृष्टि—हाँ, उस समूचे ब्रह्माण्ड का हर प्राणी कह रहा था: “जो सिंहासन पर बैठा है और मेमना का स्तुति, आदर, महिमा और पराक्रम सर्वदा रहें!”