तुम में से हर एक को अब यहोवा से डरना चाहिए। जो करो उसमें सावधान रहो क्योंकि हमारा यहोवा परमेश्वर न्यायी है। वह किसी व्यक्ति को अन्य व्यक्ति से अधिक महत्वपूर्ण मानकर व्यवहार नही करता। वह अपने निर्णय को बदलने के लिये धन नही लेता।”
नीतिवचन 24:23 - पवित्र बाइबल ये सुक्तियाँ भी बुद्धिमान जनों की है: न्याय में पक्षपात करना उचित नहीं है। Hindi Holy Bible बुद्धिमानों के वचन यह भी हैं॥ न्याय में पक्षपात करना, किसी रीति भी अच्छा नहीं। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) विद्वानों ने यह भी कहा है: न्याय करते समय पक्षपात करना अनुचित है। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) बुद्धिमानों के वचन यह भी हैं। न्याय में पक्षपात करना, किसी रीति भी अच्छा नहीं। नवीन हिंदी बाइबल बुद्धिमानों के वचन ये भी हैं : न्याय में पक्षपात करना उचित नहीं है। सरल हिन्दी बाइबल ये भी बुद्धिमानों द्वारा बोली गई सूक्तियां हैं: न्याय में पक्षपात करना उचित नहीं है: इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 बुद्धिमानों के वचन यह भी हैं। न्याय में पक्षपात करना, किसी भी रीति से अच्छा नहीं। |
तुम में से हर एक को अब यहोवा से डरना चाहिए। जो करो उसमें सावधान रहो क्योंकि हमारा यहोवा परमेश्वर न्यायी है। वह किसी व्यक्ति को अन्य व्यक्ति से अधिक महत्वपूर्ण मानकर व्यवहार नही करता। वह अपने निर्णय को बदलने के लिये धन नही लेता।”
क्या तुम मेरे विरुद्ध परमेश्वर का पक्ष लोगे? क्या तुम न्यायालय में परमेश्वर को बचाने जा रहे हो?
यदि कोई व्यक्ति विवेकी है तो वह इन बातों को याद रखेगा। यदि कोई व्यक्ति विवेकी है तो वह समझेगा कि सचमुच परमेश्वर का प्रेम कैसा है।
किसी धन्यवान व्यक्ति का पक्षपात करना अच्छा नहीं होता तो भी कुछ न्यायाधीश कभी कर जाते पक्षपात मात्र छोटे से रोटी के ग्रास के लिये।
ये बातें बुद्धिमान व्यक्ति को समझना चाहिये, ये बातें किसी चतुर व्यक्ति को जाननी चाहियें। यहोवा की राहें उचित है। सज्जन उसी रीति से जीयेंगे; और दुष्ट उन्हीं से मर जायेंगे।
“तुम्हें न्याय करने मै ईमानदार होना चाहिए। न तो तुम्हें ग़रीब के साथ विशेष पक्षपात करना चाहिए और न ही बड़े एवं धनी लोगों के प्रति कोई आदर दिखाना चाहिए। तुम्हें अपने पड़ोसी के साथ न्याय करते समय ईमानदार होना चाहिए।
बातें जैसी दिखती हैं, उसी आधार पर उनका न्याय मत करो बल्कि जो वास्तव में उचित है उसी के आधार पर न्याय करो।”
जब तुम फैसला करो तब यह न सोचो कि कोई व्यक्ति दूसरे की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण है। तुम्हें हर एक व्यक्ति का फैसला एक समान समझकर करना चाहिए। किसी से डरो नहीं क्योंकि तुम्हारा फैसला परमेश्वर से आया है। किन्तु यदि कोई मुकदमा इतना जटिल हो कि तुम फैसला ही न कर सको तो उसे मेरे पास लाओ और इसका फैसला मैं करूँगा।’
तुम्हें ठीक न्याय को बदलना नहीं चाहिए। तुम्हें किसी के सम्बन्ध में अपने इरादे को बदलने के लिए धन नहीं लेना चाहिए। धन बुद्धिमान लोगों को अन्धा करता है और उसे बदलता है जो भला आदमी कहेगा।
किन्तु स्वर्ग से आने वाला ज्ञान सबसे पहले तो पवित्र होता है, फिर शांतिपूर्ण, सहनशील, सहज-प्रसन्न, करुणापूर्ण होता है। और उससे उत्तम कर्मों की फ़सल उपजती है। वह पक्षपात-रहित और सच्चा भी होता है।
और यदि तुम, प्रत्येक के कर्मों के अनुसार पक्षपात रहित होकर न्याय करने वाले परमेश्वर को हे पिता कह कर पुकारते हो तो इस परदेसी धरती पर अपने निवास काल में सम्मानपूर्ण भय के साथ जीवन जीओ।