यहोवा ने यह आदेश मूसा और हारून को दिया था। इसलिए इस्राएल के लोगों ने वही किया जो यहोवा का आदेश था।
गिनती 31:41 - पवित्र बाइबल यहोवा के आदेश के अनुसार मूसा ने यहोवा के लिए दी गई उन सारी भेटों को याजक एलीआज़ार को दे दिया। Hindi Holy Bible इस कर को जो यहोवा की भेंट थी मूसा ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार एलीआजर याजक को दिया। पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) मूसा ने प्रभु के लिए अलग की गई भेंट पुरोहित एलआजर को दे दी, जैसी आज्ञा प्रभु ने मूसा को दी थी। पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) इस कर को जो यहोवा की भेंट थी मूसा ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार एलीआज़ार याजक को दिया। सरल हिन्दी बाइबल मोशेह ने पुरोहित एलिएज़र को याहवेह के लिए ठहराया भाग सौंप दिया, ठीक जैसी याहवेह की आज्ञा थी. इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 इस कर को जो यहोवा की भेंट थी मूसा ने यहोवा की आज्ञा के अनुसार एलीआजर याजक को दिया। |
यहोवा ने यह आदेश मूसा और हारून को दिया था। इसलिए इस्राएल के लोगों ने वही किया जो यहोवा का आदेश था।
कोई भी चीज, जिसे लोग पवित्र भेंट के रूप में मुझे चढ़ाते हैं, मैं यहोवा उसे तुमको देता हूँ। यह तुम्हारा हिस्सा हैं। मै इसे तुमको और तुम्हारे पुत्रों और तुम्हारी पुत्रियों को देता हूँ। यह यहोवा के साथ की गयी वाचा है जो सदा बनी रहेगी। मैं यह वचन तुमको और तुम्हारे वंशजों को देता हूँ।”
तब यहोवा ने हारून से कहा, “मैंने अपने लिए चढ़ाई गई भेटों का उत्तरदायित्व तुमको दिया है। इस्राएल के लोग जो सारी भेंट मुझको देंगे, वह मैं तुमको देता हूँ। तुम और तुम्हारे पुत्र इन पवित्र भेटों को आपस में बाँट सकते हैं। यह सदा तुम्हारी होंगी।
तब मूसा ने लोगों को प्राप्त आधे हिस्से को गिना। यह वह हिस्सा था जिसे मूसा ने युद्ध में भाग लेने वाले सैनिकों से लिया था।
किसी व्यक्ति को ये विशेष भेंट देनी नहीं पड़ेगी। किन्तु यदि वह उनको देता है तो वह याजक की होगी।”
“यदि इस्राएल का कोई व्यक्ति यहोवा को विशेष भेंट देता है तो वह याजक जो उसे स्वीकार करता है उसे अपने पास रख सकता है। यह उसकी है।
यात्रा के लिए कोई झोला तक मत लो। कोई फालतू कुर्ता, चप्पल और छड़ी मत रखो क्योंकि मज़दूर का उसके खाने पर अधिकार है।
जिसे परमेश्वर का वचन सुनाया गया है, उसे चाहिये कि जो उत्तम वस्तुएँ उसके पास हैं, उनमें अपने उपदेशक को साझी बनाए।
जो बुज़ुर्ग कलीसिया की उत्तम अगुआई करते हैं, वे दुगुने सम्मान के पात्र होने चाहिए। विशेष कर वे जिनका काम उपदेश देना और पढ़ाना है।